असम के बिहू त्यौहार पर निबंध Essay on Bihu Festival in Hindi
इस लेख में हिंदी में असम के बिहू त्योहार पर निबंध (Bihu festival Essay in Hindi) आसान शब्दों में लिखा गया है। इसमें बिहू त्योहार क्या है, इसका महत्व, कैसे मनाया जाता है, बिहू त्योहार के प्रकार, बिहू नृत्य व गीत का इतिहास, प्रमुख पकवान इत्यादि के विषय में चर्चा किया गया है।
बिहू त्योहार क्या है? Bihu Festival in Hindi
यूं तो प्रत्येक त्यौहार पूरे भारत में ही धूमधाम से बनाए जाते हैं, लेकिन कई ऐसे क्षेत्रीय त्यौहार होते हैं, जो किसी खास राज्य अथवा क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है। बिहू त्योहार की बात करें तो यह प्रमुख रूप से भारत के असम राज्य में बहुत ही सुंदर ढंग से मनाया जाता है।
कृषि से जुड़े भारत में और भी कई पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें पोंगल, लोहड़ी तथा बिहू जैसे त्योहारों का समावेश होता है, जो कि संक्रांति के अवधि में ही मनाए जाते हैं। बिहू त्यौहार फसलों की कटाई तथा फसल पकने की खुशी में बड़े ही धूमधाम से बनाए जाते हैं।
बिहू त्योहार हमारे सनातन संस्कृति से जुड़ा हुआ बेहद महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेषकर असम राज्य में मनाया जाता है। बिहू यह कृषि से जुड़ा हुआ एक सांस्कृतिक त्योहार है, जो प्राचीन समय से ही असम के क्षेत्रीय लोगों द्वारा मनाया जाता आ रहा है।
कृषि चक्र को दर्शाने वाला बिहू त्यौहार साल में तीन बार मनाया जाता है। बिहू त्योहार से संबंधित बिहू लोकगीत तथा बिहू नृत्य भारत सहित पूरी दुनिया में प्रख्यात है।
मानवता और समृद्धि को प्रकट करने वाला वाले इस महत्वपूर्ण त्यौहार को असम के लोक निवासी अवश्य मनाते हैं, चाहे वह दुनिया के किसी भी देश में निवास कर रहे हो। भारत में निवास करने वाले विभिन्न धर्म, समुदाय, क्षेत्र तथा संस्कृति के आधार पर त्योहारों में भी विभिन्नता पाई जाती है।
बिहू त्योहार का महत्व Bihu Festival Importance in Hindi
यह त्यौहार हमारे जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाता है। बिहू त्योहार पृथ्वी की शांति तथा समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। कृषि चक्र के आधार पर मनाए जाने वाला या पर्व बेहद महत्वपूर्ण है।
सनातन संस्कृति में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सदियों से ऐसी मान्यता है कि इस समय सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे पृथ्वी पर भी कई बदलाव होते हैं। मकर संक्रांति से ही संबंधित बिहू त्योहार अपना एक खास सांस्कृतिक महत्व रखता है।
बिहू पर्व के दरमियान सबसे अधिक प्रसन्नता किसान भाई बहनों में देखी जाती है। साल भर खून पसीने से कड़ी मेहनत करके सींची गई फसलें जब परिपक्व होकर खेतों में लहराती हैं, तब किसानों के हृदय में एक अलग ही उत्साह दिखता है। यह भी कहा जा सकता है कि बिहू त्योहार कड़ी मेहनत को प्रदर्शित करता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिहू त्योहार भाईचारा और अमन को बढ़ावा देता है। जिस तरह किसी भी व्यवसाय का कोई धर्म या जाति नहीं होता, उसी तरह केवल मानवता के आधार पर सभी लोग अपने कृषि क्षेत्र में हुए समृद्धि को पर्व की तरह मनाते हैं।
यह सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ त्यौहार नहीं है, बल्कि किसानों का त्यौहार है जिसे हर कोई एक साथ मिलकर धर्मनिरपेक्ष होकर मनाता है।
बिहू त्योहार का उत्सव (कैसे मनाया जाता है?) Celebration of Bihu Festival in Hindi
त्योहार हर किसी के लिए बेहद खास दिन होते हैं, इसीलिए बिहू पर्व को मनाने के लिए छोटे, बड़े, बूढ़े हर किसी में बड़ा ही उत्साह होता है। लोग ऐसे पवित्र अवधि में प्रातः काल उठकर भगवान की पूजा अर्चना करके दान दक्षिणा करते हैं तथा अपने द्वारा किए गए भूल चूक माफ करने के लिए ईश्वर से क्षमा भी मांगते हैं।
बिहू त्योहार को मनाने के लिए कई सारे पारंपरिक ढंग से व्यवस्थाएं की जाती हैं। माघ बिहू के समय एक बड़े से खुले क्षेत्र में धान के पुआल की छावनी तैयार की जाती है, जिसे भेलाघर के नाम से भी जाना जाता है।
छावनी के चारों तरफ एक स्तंभ बनाने के लिए बांस की लकड़ी तथा पुआल का सहारा लिया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे ‘मेजी’ कहा जाता है। इस छावनी में सभी लोग एक साथ मिलकर रात्रि के समय प्रसाद और पकवानों को ग्रहण करते हैं।
दूसरे दिन सभी लोग प्रातः काल स्नान करने के पश्चात तैयार की गई मेजी को जलाकर बिहू पर्व का शुभारंभ करते हैं। माघ बिहू त्योहार का आरंभ लोहड़ी के दिन ही होता है।
यह बहुत हद तक लोहड़ी पर्व से मिलता जुलता है। मेजी को अग्नि प्रदान करने के बाद सभी लोग चारों तरफ इकट्ठा होकर अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
इस पवित्र प्रार्थना के दौरान हर कोई अपने क्षमता अनुसार कुछ न कुछ भेंट भी चढ़ाते हैं। इसके पश्चात क्षेत्रीय स्थान में लोक नृत्य और कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें पारंपरिक ढंग से संगीत और नित्य का प्रदर्शन होता है।
बिहू त्योहार के दिन असम में बेहद आकर्षक और बड़े-बड़े मेलों का भी आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
बिहू त्योहार के प्रकार Types of Bihu Festival in Hindi
असम में बिहू त्योहार साल में कुल 3 बार मनाया जाता है। यह अलग-अलग मौसम चक्र में पड़ता है, जिनमें वैशाख में बोहाग बिहू अथवा रोंगाली बिहू, माघ के महीने में माघ बिहू तथा कार्तिक महीने में काटी बिहू अथवा कोंगाली बिहू को मनाया जाता है।
1. बोहाग बिहू अथवा रोंगाली बिहू (Bohag Bihu or Rongali Bihu in Hindi)
परंपरागत असमी भाषा में त्यौहार के पहले चरण को रोंगाली बिहू कहा जाता है। वसंत ऋतु के आगमन के पश्चात बेहद हर्षोल्लास से बिहू त्योहार का स्वागत किया जाता है।
वसंत ऋतु के सुंदर मौसम में प्रकृति भी बेहद अनूठी हो जाती है। लोग प्रकृति की पूजा अर्चना करते हैं तथा नदी और तालाबों में पवित्र स्नान करने का भी रिवाज है। इस दिन सभी लोग नए कपड़े पहन कर बिहू त्योहार को मनाते हैं।
इसके साथ ही बिहू नृत्य और लोक गीतों के अलावा बैलों की लड़ाई और दूसरे कई मजेदार प्रतियोगिताओं वाले खेलों का भी आयोजन होता है।
2. माघ बिहू अथवा भोगाली बिहू (Magh bihu or Bhogali Bihu)
माघ बिहू सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, जब लोग अग्नि देवता की पूजा करते हैं। इस दरमियान मेजी जलाकर तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवानों को तैयार किया जाता है और साथ मिलकर प्रसाद भी ग्रहण किया जाता है। भोगाली बिहू यह पौष संक्रांति के दरमियान मनाया जाता है।
3. काटी बिहू अथवा कोंगाली बिहू (Kati Bihu or Kongali Bihu)
कार्तिक महीने में कोंगाली बिहू को मनाने का पारंपरिक रिवाज़ है। इस पर्व के दरमियान किसी भी प्रकार का पकवान नहीं बनाया जाता है।
परंपरा के अनुसार काटी बिहू अथवा कोंगाली बिहू के अवसर पर लोग हर्षोल्लास या किसी भी प्रतियोगिता का आनंद नहीं उठाते हैं। लोग इस दिन कुछ विशेष प्रकार की क्रिया करते हैं।
प्रकृति के प्रति समर्पण की भावना रखकर तुलसी जैसे पौधों के चारों तरफ दीपक जलाकर रोशनी करने की परंपरा इस दिन मानी जाती है।
बिहू नृत्य व गीत का इतिहास Bihu Dance and Song History in Hindi
बिहू नृत्य भारत के असम राज्य का प्रमुख नृत्य है। यह सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों ही रूप से बेहद महत्वपूर्ण लोक नृत्य है, जोकि बिहू त्योहार से जुड़ा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि बिहू नृत्य व गीतों का प्रदर्शन देखने के लिए भारत सहित दुनिया के कोने कोने से प्रवासी आया करते हैं।
पारंपरिक ढंग से असमिया परिधान को धारण करके युवा महिलाएं और पुरुष दोनों के द्वारा ऐसे नित्य व गीतों का बड़े ही जोश से प्रदर्शित किया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस बात का कोई गवाह नहीं है, कि बिहू नृत्य की उत्पत्ति कब और कैसे हुई।
हालांकि मूल अज्ञात होने के बावजूद भी अधिकारिक सबूतों के अनुसार लगभग 1694 में राजा रुद्र सिंह द्वारा रोंगाली बिहू पर्व के उपलक्ष में बिहू नृत्य का प्रदर्शन करने के लिए कुछ पारंपरिक लोक बिहू नर्तकों को आमंत्रित किया गया था, जिसके पश्चात से तभी से यह कार्यक्रम इसी प्रकार मनाया जाता आ रहा है।
बिहू के प्रमुख पकवान Bihu Traditional Recipes
यूं तो त्योहारों के आने की खुशी में घर-घर में स्वादिष्ट पकवान जरूर तैयार किए जाते हैं। किंतु ऐसे खास पर्व होते हैं, जिनमें विशेष प्रकार के पकवानों को बनाने की मान्यता है।
बिहू त्योहार के समय में कई पारंपरिक पकवान तैयार किए जाते हैं। नारियल से बने लड्डू, बेनगेना खार, घिला पीठा, मच्छी पीतिका, तिल पीठा अन्य कई पकवानों को तैयार करने का रिवाज है।
बिहू त्योहार पर 10 लाइन Few Lines on Bihu Festival in Hindi
- माघ बिहू को भोगाली के नाम से भी जाना जाता है, जिसके पहले दिवस को उरूका कहा जाता है।
- बिहू त्योहार यह कृषि से जुड़ा प्रमुख त्यौहार है, जो कृषि चक्र को प्रदर्शित करता है।
- यह पर्व समस्त मानव जाति को शांति, समृद्धि और भाईचारा को कायम करने का संदेश देता है।
- बिहू त्योहार साल में 3 बार मनाया जाता है, जिनमें अलग अलग प्रकार के पर्व काटी बिहू, बोहाग बिहू और माघ बिहू का समावेश होता है।
- इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। इसके अलावा अग्नि देव और दूसरे भगवान को प्रमुख रूप से पूजा जाता है।
- पर्व के समय हर कोई प्रातः काल उठकर परमेश्वर की पूजा अर्चना करता है।
- बिहू त्योहार के दरमियान दान दक्षिणा करने का खास महत्व माना जाता है, जिससे लोगों के जीवन में सुख शांति प्रवेश करती है।
- पूजा-पाठ समाप्त होने के बाद गरीब और जरूरतमंद लोगों को उपहार भेंट किए जाते हैं।
- बिहू त्योहार से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम बिहू नृत्य व लोकगीत का प्रदर्शन होता है, जिसे देखने भारी भीड़ जमा होती है।
- परंपरा के अनुसार इस दिन कई जगहों पर बैलों, मुर्गो व बकरों के लड़ाई का खेल आयोजित किया जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने बिहू त्योहार पर निबंध (Essay on Bihu Festival in Hindi) पढ़ा। जिसमें इस अनोखे और सुंदर त्योहार के महत्व, वेश-भूषा, पकवान, इतिहास के विषय में अहमने आपको बताया। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।
Nice post. Bahut hi ummda
Sooooooo coooool…
waw aj 2019 me apko hapy bhogali bihu nice
Wow! a very good explanation…thank u so much
Very very ñice+very very cool
All bihu s are great. Because I am also Assamese.
It was too much too read…. I couldn’t read the whole and I wanted to prepare for my hindi tool.. But I couldn’t so I reached another website
Very very nice
very good short writing
Nice story on bihu
Thnks I need itt