कृषि बिल 2020 क्या है? Krishi Bill 2020 in Hindi?
इस लेख में जानिये कृषि बिल 2020 (Krishi Bill 2020) क्या है तथा कृषि अध्यादेश 2020 के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं?
बीते कुछ समय में कृषि बिल को लेकर विपक्ष बहुत अधिक आक्रामक होकर जगह-जगह पर धरना व ट्रेक्टर चलाना-जलाना शुरू कर दिया था। कृषि विधेयक बिल एक मुख्य चर्चा का विषय रहा जिसमे किसान और सामान्य जनों की गहरी रूचि रही और रूचि के साथ-साथ बहुत सी भ्रांतियाँ भी रही जिसे इस लेख कृषि अध्यादेश बिल 2020 में पारदर्शिता के साथ समझाने की कोशिश की गयी है। अगर आप इस कृषि बिल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी चाहते हैं तो इस सरल लेख को पूरा पढ़े।
कृषि बिल 2020 को लाने की जरूरत क्यों पडी ?
भारत को आजाद हुए सत्तर सालों से भी ज्यादा हो चुके हैं और इस समय चक्र में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे। देश कभी मंद गति तथा कभी तीव्र गति से विकास के मार्ग पर चलता रहा है और इस विकास की नदी में कई सरकारों ने अपने हाथ धोएं है, कई नेता शुन्य से शिखर पर चले गए लेकिन इन वर्षों में कोई अगर सबसे पीछे रह गया तो वह है हमारा “किसान”।
जिस देश की नींव कृषि पर आधारित हो, जहाँ की संस्कृति किसान को अन्नदाता की उपमा से अलंकृत करती हो, जहाँ जय जवान जय किसान का नारा लगता हो वहां पर आत्महत्या के मामले में किसान प्रथम स्थान पर आता है यह एक विडम्बना ही हो सकती है।
कृषि बिल 2020 तीन कृषि कानूनों की एक श्रृंखला है, जिसे वर्तमान सरकार अध्यादेश लाकर सदन में ध्वनिमत के माध्यम से पारित करवाया क्योंकि भारतीय संविधान के अनुसार आपदा-विपदा के समय जब सत्र सुचारू रूप से न चल रहे हों तो माननीय राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होता है की वह किसी भी अध्यादेश को स्व-पारित कर सकें।
लेकिन इतने बवाल के बीच इस बिल को लाने की जरुरत क्यों पड़ी तथा इस कृषि संशोधन बिल 2020 के क्या लाभ या नुकसान हैं? उसे जानने के लिए आपको पुराने कृषि कानून को जानने की आवश्यकता है।
पुराना कृषि कानून Old Krishi Bill
पुराने कृषि कानून के तहत कोई भी किसान निचे दिए गए तीन तरीकों से अपनी फसल बेचता था।
- लोकल मार्केट में
- APMC मंडी में (Agricultural Produce Market Committee)
- MSP में (Maximum support price)
जब किसान की फसल मात्रा में कम होती है तो वह अपनी फसल को जान-पहचान के साहूकार या दुकानदार को बेच देता है, लोकल मार्केट में वही किसान जाते हैं जो फसल की कम पैदावार करते है।
Local Market: जो किसान ज्यादा मात्रा में अनाज उगाए तथा उसे बेचना चाहे तो उसके लिए APMC मंडी की स्थापना कर दी गयी। जिसमें सरकार किसानों को अनाज के संग्रह, रखरखाव, सुरक्षा तथा जगह इत्यादि मुहैया करवाती है। APMC मंडी राज्य सरकार के अंतर्गत आती है और किसानों को अपने ट्रांसपोर्ट का खर्च उठाकर सिर्फ मंडी तक जाना होता है और बाकी कार्य निशुल्क होता है।
APMC मंडी: APMC मंडी में प्रोसेस के लिए दलाल होते हैं जो खरीद्दार और विक्रेता के बीच की कड़ी होते हैं। दलाल ही किसान के फसल की लोडिंग-अनलोडिंग करवाते हैं तथा दूसरी चीज़ें देखते हैं। इस मंडी को आप flipkart और amazon के ज़रिये समझ सकते हैं जिस प्रकार एमेजोंन ग्राहक और दुकानदार के बीच की कड़ी होते हैं और पारदर्शिता के साथ काम करते हैं ठीक वैसे ही रूप-रेखा इन दलालों की भी होती है। बस ये उनकी तरह पारदर्शी नहीं होते हैं।
MSP: जब APMC मंडी में ठगी, मुनाफ़ाखोरी बढ़ने लगी तो सरकार द्वारा एक नया कानून लाया गया जिसे MSP कहते हैं इसमें फसलों का दाम निश्चित कर दिया जाता है और सभी किसान उस निश्चित दाम पर अपनी फसल दूसरों को बेचते है और अनाज न बिकने या कम दाम पर बिकने पर सरकार उसी MSP rate पर अनाज खुद खरीद लेती है।
पुराने कृषि कानून के नुकसान Disadvantages of Old Krishi Bill
शुरुवात में ये कानून किसानों के लिए लाभदायक रहे लेकिन कुछ ही महीनों में भ्रष्टाचार, मुनाफ़ाखोरी और किसानों का आर्थिक शोषण चरम पर चला गया और कुछ मुख्य नुकसान बनकर सामने आये।
अत्यंत छोटे कृषकों को छोड़कर जिनके पास ज्यादा अनाज होते थे वे APMC मंडी नियम के कारण दुसरे नगरों, शहरों या जिलों में अपनी फसल नहीं बेच सकता था क्योंकि ऐसा नियम था की हर जिले का अपना APMC मंडी होगा और किसान उसी मंडी में अपनी फसल बेचेंगे दूसरी जगह नहीं बेच सकेंगे।
APMC मंडियों में दलालों का बोलबाला होने लगा और फसलों के लिए होते बिडिंग प्रोसेस को वे पहले से ही काबू करने लगे और अपने मुनाफे के लिए कम कीमत पर किसानों से अनाज लेकर अधिक कीमत पर बेचते थे जिससे किसानों की आय और कम होने लगी।
MSP आने के बाद किसान सीधे सरकार को अनाज बेचने लगे लेकिन किसानों की आर्थिक वृद्धि के लिए सरकार उनसे MSP मूल्य पर अनाज खरीदकर बेहद कम दाम पर लोगों को राशन कार्ड पर बेचने के लिए बाध्य होI
MSP का पूरा प्रोसेस fssai के अंतर्गत आता है, लोभवश fssai गलत तरीके से काम करने लगी और किसानों को MSP rate पर बेचने के लिए लम्बे और अपारदर्शी प्रोसेस से गुजारने लगी। जिससे किसानों की फसलें बासी हो जाती और लिए हुए बैंक लोन का ब्याज भी बढ़ता, साथ ही ज्यादा दिन होने के कारण फसलों के ख़राब होने का डर भी रहता। इसलिए MSP के अधिकारी किसानों से कम दाम पर अनाज खरीदकर उसे MSP रजिस्टर में सरकारी भाव में दिखा देते और मुनाफा खाते।
वर्तमान समय में सरकार गेहूं को 19.25 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर खरीदती है और जिसे मज़बूरी वश 2 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचना पड़ता है। भारत के पास अच्छे अनाज संग्रह सिस्टम की कमी है जिसके कारण हर साल बड़ी मात्रा में अनाज सड़ जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष 90 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
कृषि बिल 2020 और उसके फायदे व संभावित नुकसान What is Krishi Bill 2020 and Its advantages and Potential loss?
अब इतने सारे आर्थिक सरदर्दों से बचने के लिए सरकार ने कोरोना काल को सही अवसर के रूप में चुना, जिसमें विपक्ष ज्यादा भीड़ इकठ्ठा नहीं कर सकता था तो इसी का फायदा उठाकर तमाम विरोधों के बावजूद निम्न तीन कृषि विधेयकों को पारित किया गया।
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 -The Farmers produce trade and commerce (promotion and facilitation) Bill 2020
- कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 -The Farmers (Empowerment and protection) Agreement of price assurance and farm service bill 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 The essential commodities (Amendment) Bill 2020
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कृषि बिल 2020 के तहत किसान अब एपीएमसी मंडी के बाहर जाकर किसी भी राज्य के किसी भी जिले के किसी भी व्यापारी को अपना अनाज सीधे बेच सकेगा। पहले की तरह राज्य सरकार से केंद्र सरकार द्वारा थोक में अनाज खरीदने पर राज्य सरकार टैक्स नहीं ले सकेगी।
पंजाब जैसे राज्य में अनाज के इतने अधिक उत्पादन को राज्य सरकार अकेले बेचने में सक्षम नहीं है इसलिए केंद्र सरकार को अपने अनाज को बेच देती है और कुल अनाज पर 8.5% टैक्स लेती है जिसमें 2.5% APMC मंडियों को दिया जाता है और 6% राज्य सरकार खुद रख लेती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष पंजाब को 3600 करोड़ रुपये टैक्स में मिले थे। कुछ इस प्रकार मिले पैसे ही चुनाव के समय उपयोग किये जाते हैं और ऐसे पैसों का गलत जगह उपयोग होने की संभावना ज्यादा रहती है।
आपने देखा होगा की पंजाब और हरियाणा में विरोध प्रदर्शन इतना ज्यादा हो रहा है क्योंकि अकेला पंजाब और हरियाणा इतनी बड़ी मात्रा में अनाज उत्पादन करते हैं जितना पुरे भारत में कोई राज्य नहीं करता। इसलिए इस कानून से बिचौलियों और मुनाफ़ाखोरों को ज़ोर का धक्का लगा।
2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
कृषि बिल में किसान को सशक्त और संरक्षित करने का प्रावधान है। जिसमें किसान और कंपनी के बीच कानूनी एग्रीमेंट होगा। जिसमें कंपनी किसान को बताएगी की उसे किस प्रकार का अनाज चाहिए? और कंपनी एग्रीमेंट के अनुसार किसान की जमीन की गुणवत्ता, जरूरी सहायता और अनाज संग्रह तथा संरक्षण में मदद करेगी।
इस एग्रीमेंट में फसल का रेट पहले से निश्चित होगा ताकि कंपनी किसान पर कोई दबाव न बना सके। किसान ज्यादातर अनपढ़ होते हैं और वे मार्केट का अंदाजा नहीं लगा पाते की कब डिमांड कम होने वाली है या कब डिमांड बढ़ने वाली है और इसी बात का फायदा बिचौलिए उठाते हैं।
लेकिन इस कानून के तहत किसान किसी भी कंपनी के साथ कानूनी करार कर अपने आपको सुरक्षित रख सकेगा।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
यह कृषि संशोधन बिल कोई नया नहीं है इसे पहली बार 1955 में लाया गया था। क्योंकि उस वक़्त कुछ साहूकारों तथा व्यापारियों ने वस्तुओं को महँगी करने के लिए उनकी संग्रहखोरी शुरू कर दी थी जिसका परिणाम यह आया की देश में भुखमरी जैसे हालात होने लगे और चीज़ें बेहद ही महँगी होने लगी और अवसर देखकर मुनाफ़ाखोरों ने चीज़ों को अधिक कीमत पर बेचना शुरू कर दिया।
उस वक़्त यह कानून लाया गया की कुछ जरुरी वस्तुओं को सरकार अपने अंतर्गत रखेगी और उन चीज़ों को कोई भी जमा नहीं कर सकेगा और अगर कोई संग्रहखोरी करता पकड़ा गया तो उसका लाइसेंस रद्द होगा तथा एक लाख तक का जुर्माना लगेगा।
इन वस्तुओं की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है यानी समय के साथ इसमें वस्तुएँ एड की जा सकती है। जैसे की सन 2020 में सरकार ने मास्क और सेनिटाइज़र को इस लिस्ट में शामिल किया था लेकिन कुछ महीनों में उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया था।
नए आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक में कुछ बदलाव किये गए हैं की अब वस्तुएँ संग्रह की जा सकेंगी लेकिन आपातकालिक समय जैसे महँगाई बढ़ने पर युद्ध, प्राकृतिक आपदाएँ आने पर इन चीज़ों का संग्रह नहीं किया जा सकेगा।
कृषि बिल 2020 पर विपक्ष का शक या संभावित नुकसान Potential loss of Krishi Bill 2O2O by Oposition party
किसानों के द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन में कुछ मुख्य सवाल सामने आ रहे हैं जैसे की अगर प्राइवेट कंपनियों का किसानों के नजदीक आने से एक समय के बाद MSP बंद हो जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने खुद यह आश्वासन दिया है की MSP कभी भी बंद नहीं होगी।
विपक्ष किसान को आगे कर यह सवाल कर रहा है की APMC मंडी बंद होने के बाद प्राइवेट कंपनियां मनमानी न करें इसलिए इन नए नियमों में MSP को भी शामिल किया जाए। सभी अर्थशास्त्रियों ने एक मत में कहा की अगर केंद्र सरकार ने यह किया तो किसान फिर से उसी स्थिति में हो जाएगा जहां पहले था और केंद्र के सारे प्रयास निरर्थक हो जायेंगे।
एक सबसे आवश्यक मुद्दा किसानों द्वारा उठाया गया है, जिसे केंन्द्र सरकार को ध्यान में लेना चाहिए और उसके लिए प्रबंध करना चाहिए। किसान कहते हैं की अगर कोई प्राइवेट कंपनी करार के बाद दिवालिया हो गयी या कंपनी को मनचाहा फसल न मिला तो क्या होगा? करारनामा भले ही किया गया हो लेकिन अगर कंपनी किसी कानून का उल्लंघन करती है तो एक सामान्य किसान उस बड़ी कंपनी के खिलाफ कैसे केस लड़ सकेगा?
एक मुद्दा काफी शोरों में है की आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक से बड़े-बड़े व्यापारी अनाज को संग्रहित करना शुरू कर देंगे तथा कृत्रिम डिमांड को बढ़ाएँगे। यह मुद्दा भी एक चिंता का विषय है लेकिन एक बात विचारणीय योग्य है की इतने बड़े फैसले को केन्द्रीय मंत्रीमंडल आँख बंद कर नहीं कर सकता या वे इन मुश्किलों से अनभिज्ञ होंगे।
उन्होंने कुछ योजनायें जरुर निर्मित की होंगी लेकिन विपक्ष हर चीज़ को सार्वजनिक करने की मांग करता है जो संभव नहीं होता क्योंकि योजनायें सार्वजनिक करने का अर्थ भ्रष्टाचारियों और बिचौलियों को सतर्क हो जाने के लिए इशारा करना होता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने कृषि बिल 2020 (Agricultural bill 2020) के बारे में विस्तार से पढ़ा, जिसमें पुराने कृषि बिल की रूप रेखा व उसके नुकसान तथा कृषि संशोधन विधेयक 2020 के नए कानून उसके लाभ तथा उसके संभावित हानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। आप इस कानून के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह किसानों के लिए लाभदायक होगा? कमेंट करके बताएं और अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।
Yes this bill definitely in the benefits of farmers
किसानों के लिये बिल सही हैं
यह बिल सही है
Bilkul sahi hai
Bill best h
No….this is not good for farmers
Why
Can you explain?
Please elaborate, why this is not good.
हा जो भी मैने पढ़ा ये बिल किसानों के लिए फायदेमंद है। इस बिल में कुछ भी गलत नहीं लगा और किसानों को कन्फ्यूजन है तो सरकार से बिल वापस ना करवाकर उसका संशोधन जानने की कोशिश की जाए तो ज्यादा अच्छा है।
analysis is correct
After 3 years farmer’s as Labour man in own farm.
ये बिल अगर ऐसा ही है जैसा ईश लेख में बताया गया है तो वाकई में ये बिल किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा और मैं इसका समर्थन करता हूं जय हिंद
Ya This is best…
यह बिल किसानो के हीथमें है
Bill kisano leye to best hae per parivet sctoor ki entry se aam logo ko muh mange dam dene honge es per sarkar ko sochna hoga ✍️✍️
YE BILL KISANO KE LIYE KHARAB HE
No not good for farmers
संशोधन की जरूरत है