आवश्यकता अविष्कार की जननी है पर निबंध Essay on Necessity is the Mother of Invention in Hindi

निबंध आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है Essay on “Necessity is the mother of invention”

“आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है” हिन्दी कहावतों में से प्रमुख है। इस कहावत का सीधा अर्थ है कि जब आप को किसी वस्तु की अत्यधिक आवश्यकता होती है तब आप उसका आविष्कार करते हैं। 

गौरतलब है कि यहां अविष्कार करने का अर्थ सीधे तौर पर अविष्कार करने से न होकर किसी वस्तु के निर्माण या किसी प्रसंग के निर्माण को लेकर है। यह कहावत एक तरह से यह भी कहना चाहती है कि जब आप किसी भी वस्तु के लिए बहुत ज्यादा समर्पित या आदि हो जाते हैं तो उसके अभाव में आपको उसका निर्माण स्वंय करना होता है। 

आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है पर निबंध Essay on Necessity is the Mother of Invention in Hindi

उत्पत्ति 

इस कहावत की उत्पत्ति के पीछे इस तथ्य को प्रमुख माना जाता है कि आपकी आवश्यकताएं आपको अविष्कार करने के लिए विवश कर देती हैं। इस कहावत को कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है, वे उदाहरण निम्न हैं। 

  • यह मान लीजिए कि आप किसी ऐसे स्थान पर जाकर फंस गए हैं जहां से निकलना बहुत ज्यादा मुश्किल है, या फिर जहां से निकलना लगभग नामुमकिन है, लेकिन तथ्य यह भी है कि यहां से निकलना आपकी परम आवश्यकता है, तो आप क्या करेंगे, क्या आप वहीं फंसे रहेंगे। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा और आप किसी ना किसी तरीके से वहां से निकल जाएंगे। यहां पर आप इस कहावत का अर्थ देख सकते हैं। 
  • इस कहावत को समझने के लिए दूसरा उदाहरण जो देखा जा सकता है वह यह है कि मान लीजिए आपके पास घर पर खाने को कुछ नहीं है और आप खाना बनाना बिल्कुल भी नहीं जानते हैं। आपके पास मौजूदा समय मे केवल कच्ची सामग्री उपलब्ध है और आप खाना बनाना नहीं जानते। ऐसे में आप क्या करेंगे? ऐसे समय में आपके द्वारा बनाया गया कोई भी व्यंजन अविष्कार है और ऐसे समय में आपकी भूख ही आपकी आवश्यकता है। 
  • तीसरे उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आप अपने कार्यालय के लिए घर से निकलें हैं और आधे रास्ते में पहुंचकर आपको यह ज्ञात होता है कि यह रास्ता बंद है या इस रास्ते पर आगे बढ़ा नहीं जा सकता है। ऐसे में आप क्या करेंगे? इस वक़्त आपका कार्यालय में होना भी काफी ज्यादा आवश्यक है। ऐसे में आप किसी भी तरह से अपने कार्यालय पहुंचने के लिए अलग अलग रास्तों का प्रयोग करेंगे और निश्चित ही समय पर कार्यालय पहुंच जाएंगे। आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए ये रास्ते ही आपके अविष्कार हैं और कार्यालय समय पर पहुंच पाना ही आपकी आवश्यकता थी। 

इतिहास में प्रयुक्त कहावत 

इस कहावत का इतिहास से भी काफी ज्यादा गहरा नाता है। इतिहास के किसी भी अविष्कार को उठा कर यदि आप देखेंगे तो यह पाएंगे कि वह अविष्कार केवल आवश्यकता के कारण ही हुआ था। इस तरह के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं जिन्हे पढ़कर आप समझ सकते हैं कि यह कहावत इतिहास में काफी ज्यादा प्रयुक्त हुई है :- 

  • सर्वप्रथम यदि मनुष्य जीवन के सबसे बड़े अविष्कार या मनुष्य जीवन के सबसे ज्यादा क्रांतिकारी अविष्कार पहिए के अविष्कार को देखा जाए तो यह पाएंगे कि पहिए के अविष्कार के पीछे सबसे बड़ा कारण पहिए कि आवश्यकता थी। प्राचीन मनुष्य किसी भी तरह से अपने द्वारा अर्जित सामान को यहां से वहां स्थानांतरित करना चाहता था। पहिए का अविष्कार उसी दौरान हुआ था। यह सबसे बड़ी घटना है जो कि दर्शाती है कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। 
  • दूसरी घटना मनुष्य जीवन में जो इस कहावत की सत्यता को दर्शाती है वह घर की आवश्यकता है। पुराने जमाने में इंसानों के पास पहनने के लिए न तो कपड़े हुआ करते और न ही रहने के लिए किसी भी प्रकार का घर। यह उस समय के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक है। उस समय मनुष्य ने ठंड, गर्मी और बरसात से बचने के लिए जहां एक ओर अपने लिए घर का निर्माण किया वहीं दूसरी ओर खुद को ढकने के लिए एवं शीत से बचाने के लिए कपड़ों का अविष्कार किया। ये अविष्कार दर्शाते हैं कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। 
  • तीसरी घटना के रूप में थॉमस अल्वा एडीसन के बल्ब के अविष्कार को देखा जा सकता है। एडीसन को जब लगा कि विश्व को बल्ब के प्रकाश की आवश्यकता है तो उन्होने बल्ब का अविष्कार किया। वहीं चाल्र्स बैबेज ने जब कंप्यूटर की आवश्यकता समझी तो उन्होने कम्यूटर का अविष्कार कर दिया। लगभग किसी भी अविष्कार को उठा कर यदि देखें तो यह पाएंगे कि उस अविष्कार को करने के पीछे उसकी आवश्यकता थी। 
  • इस कहावत का सबसे अधिक प्रभाव स्वास्थ्य की दुनिया में देखा जा सकता है। आए दिन उत्पन्न होने वाली नई नई बीमारियों का इलाज डॉक्टरों द्वारा खोज लिया जाता है। ऐसा करने के पीछे उनकी आवश्यकता होती है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो लोगों का बीमारी के कारण मरना निश्चित है। 

असल मायने 

उपरोक्त उदाहरण यह तो साबित करते हैं कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है लेकिन यह कैसे साबित हो सकता है कि यह हर किसी के जीवन में मौजूद है। और यह भी सोचने लायक है कि क्या कोई व्यक्ति अपनी आवश्यकता के कारण अविष्कार ही करता है।

अगर ऐसा होता तो अब तक इस दुनिया में कितने ही अविष्कार हो चुके होते, लेकिन ऐसा नहीं होता। आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है इस कहावत के असल मायने यह नहीं कि अविष्कार अनिवार्य है।इस कहावत के असल मायने निम्नलिखित हैं :- 

  • सर्व प्रथम यह ध्यान देने योग्य है कि यह कहावत किसी को भी अविष्कार करने के लिए प्रेरित नहीं करती अपितु इस कहावत में आवश्यकता प्रमुख है। 
  • इस कहावत का भावार्थ यह है कि यदि आपको किसी भी वस्तु की आवश्यकता हो तो आप उस वस्तु के लिए किसी भी हद तक मेहनत करने के लिए तैयार हो जाते हैं और उस वस्तु को हासिल करके ही रहते हैं। 
  • इस कहावत के असल मायने यह हैं कि हमें हमारी जरूरतों के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए और यह ध्यान देना चाहिए कि क्या हम अपने भविष्य के लिए उचित मेहनत कर रहे हैं या नहीं। 
  • यदि आप कुछ भी हासिल करना चाहते हैं तो उसे अपनी आवश्यकता के रूप में स्थापित कर लें उसके बाद आप उसे हासिल करने के लिए अत्यधिक तत्पर हो जाएंगे। 

निष्कर्ष 

“आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है” इस कहावत की सत्यता किसी भी अविष्कार को उठाकर देखी जा सकती है। यह समस्त विश्व केवल इसी आधार पर टिका हुआ है। यह कहावत केवल अविष्कार करने पर ही जोर नहीं डालती अपितु यह अपनी आवश्यकताओं पर भी ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है। 

चाहे वह तकनीक की दुनिया हो या स्वास्थ्य की, चाहे वह परिवहन हो या संचार, हर क्षेत्र में हर नियमित समय के बाद आवश्यकताएं बढ़ने लग जाती हैं जिस कारण अविष्कार अनिवार्य हो जाता है। यह कहावत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समर्पित होने को कहती है। 

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