दोस्ती या मित्रता पर निबंध Essay in Friendship in Hindi

परीक्षाओं में कई बार बच्चों को दोस्ती या मित्रता पर निबंध (Essay in Friendship in Hindi) पूछ लिया जाता है। यदि आप ऐसे किसी आर्टिकल की तलाश कर रहे हैं। यह निबंध बहुत ही सरल भाषा में दिया गया हो तो यह लेख आपके लिए लिखा गया है।

दोस्ती या मित्रता पर निबंध Essay in Friendship in Hindi

इस आर्टिकल में आप मित्रता की परिभाषा, सच्ची मित्रता के बारे में तथा महत्व और लाभ पढ़ेंगे साथ ही आप मित्रता पर पांच प्रख्यात दोहों को भी पढ़ेंगे।

मित्रता या दोस्ती क्या है? What is friendship in Hindi?

जब किसी बालक का जन्म होता है, तो ठीक उसके जन्म के पश्चात से ही कई रिश्ते-संबंध बनना प्रारंभ हो जाता है। माता-पिता, भाई बहन, दादा-दादी इत्यादि कई परिवार के लोगों से उस बालक का एक गहरा रिश्ता जुड़ जाता है। मृत्यु तक रिश्ते जुड़ने का सिलसिला ताउम्र चलता ही रहता है।

बच्चे जब बड़े होते हैं, तो वे आमतौर पर अपनी आयु वाले दूसरे बच्चों के साथ खेलना, पढ़ना और उनके साथ ही स्कूल जाना बहुत पसंद करते हैं। यहां तक की अपनी सभी यादगार बातों को उनके साथ साझा करना भी बच्चों को अच्छा लगता है।

मित्रता अथवा दोस्ती परिवार की तरह ही एक दूसरा रिश्ता होता है। जिस प्रकार परिवार के लोगों के साथ एक भावनात्मक लगाव जुड़ा होता है, उसी तरह अपने दोस्तों से भी एक अलग सा ही लगाव होता है।

मित्रता की परिभाषा किसी भी जाति, धर्म, लिंग, समुदाय इत्यादि से मुक्त होता है। बचपन में हम निर्जीव खिलौनों को ही अपना मित्र समझते थे। हम जहां कहीं भी जाते थे, उसे अपने साथ ही रखते थे। यहां तक कि बचपन में उन खिलौनों में हमारी जान बसती थी।

जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती जाती है, जीवन में परिपक्वता के साथ नए-नए परिवर्तन भी आते हैं।

यह जरूरी नहीं है, कि किसी बाहर के व्यक्ति विशेष के साथ ही मित्रता हो। कई बार घर में माता-पिता, भाई बहन या अन्य कोई सदस्य भी हमारे एक मित्र जैसा होता है, जिसके साथ रहना और अपने विचारों को साझा करना हमें अच्छा लगता है।

सच्ची मित्रता / दोस्ती क्या होती है? What is true friendship in Hindi?

जिस प्रकार खजाने को ढूंढना एक कठिन काम होता है, उसी प्रकार एक सच्चे मित्र को ढूंढना भी बेहद मुश्किल कार्य होता है। हालांकि सच्ची मित्रता तो खून का रिश्ता नहीं होता है, लेकिन कभी-कभी उससे भी बढ़कर साबित होता है।

जीवन में एक अच्छे मित्र का होना ईश्वर के किसी वरदान से कम नहीं है। कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जहां अपने भी साथ देने से पीछे हट जाते हैं। लेकिन एक सच्चा मित्र कभी भी अपने मित्र को मुश्किल हालातों में अकेला नहीं छोड़ता है।

जब सच्ची मित्रता की बात की जाए तो भला श्री कृष्ण और उनके सखा सुदामा को किस प्रकार भुलाया जा सकता है। जब तक इस संसार में जीवन रहेगा तब तक कृष्ण और सुदामा की अनोखी और अद्वितीय मित्रता को हमेशा स्मरण किया जाता रहेगा।

सच्ची मित्रता कभी भी समय की मोहताज नहीं होती है। क्योंकि दो मित्रों के जीवन के बाद भी उनकी निश्चल और कपट रहित दोस्ती को कोई नहीं भुलाता है। सच्ची मित्रता में वह ताकत होती है, जिससे एक समर्थ व्यक्ति भी घुटने टेक दे। क्योंकि गरीब ब्राह्मण सुदामा ने भी अपने सखा भगवान श्री कृष्ण को अपने आगे झुकने पर मजबूर कर दिया था।

किसी को अपना मित्र समझने से पहले उसकी दोस्ती का परीक्षण जरूर कर लेना चाहिए। अक्सर लोग दोस्ती की सही परिभाषा को नहीं समझ पाते हैं। वे ऐसे लोगों को भी अपना मित्र कहते हैं, जो कुछ समय तक उनके साथ रहता हो और बातचीत करता हो।

दो सच्चे मित्र हमेशा एक दूसरे के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित रहते हैं। समय बीतने के बाद भी धन दौलत, अभिमान, कामकाज, परिवार इत्यादि कोई भी चीज मित्रता के रास्ते में फूट नहीं डाल पाती है।

मित्रता का महत्व क्या है? What is the importance of friendship in Hindi

सच्ची मित्रता का जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। इंसान के चारों तरफ का माहौल अथवा उसके आसपास रहने वाले लोगों के चरित्र रेखा जिस प्रकार की होगी, वैसा ही परिवर्तन मनुष्य में होता जाएगा।

अच्छे मित्र हमेशा ही हमें उचित दिशा में चलने के लिए प्रेरित करते हैं। जीवन में कोई भी तकलीफ हो केवल एक बार आवाज देने पर मित्र हमेशा ही उस मुश्किल भरी स्थिति से निकालने के लिए तैयार रहता है।

यदि एक ईमानदार और श्रेष्ठ मित्र की बात की जाए, तो वह सदा ही अपने मित्र को अंधकार भरे जीवन से निकाल कर एक उज्जवल भविष्य की तरफ दिशा निर्देश करता है। ऐसे लोगों का जीवन में होना वाकई में एक सौभाग्य की बात होती है, जो हमें हर पल बुरी परिस्थितियों तथा मानसिकता वाले लोगों से सचेत करते हों।

कई बार किसी कारणवश हम हताशा और दुखों से घिर जाते हैं। यह ऐसा समय होता है, जब हम अंदर से बहुत बुरा महसूस करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में हम चाह कर भी किसी को अपने मन की बात नहीं बता पाते।

लेकिन अपने पक्के और सच्चे मित्र से अपनी बातें साझा करने में कोई परेशानी नहीं होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमें यह विश्वास होता है, कि हमारा मित्र अवश्य ही इस परेशानी का भी हल ढूंढ लेगा। इस प्रकार का अनोखा भावनात्मक लगाव और समर्थन कई बार परिवार की तरफ से भी नहीं देखा जाता है।

जितना अधिक मौज-मस्ती और आनंद का अनुभव हम अपने मित्र के साथ करते हैं उतना और किसी के साथ नहीं करते। अपने दोस्त के साथ बिताए गए प्रत्येक पल बड़े ही रोमांचक और मजेदार यादगारों से भरे होते हैं।

मानव प्रवृत्ति के अनुसार व्यक्ति अपने मित्र के साथ बेहद सहज तथा आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करता है। अपने मित्र के साथ ही मनोरंजन वाली गतिविधियां जैसे फिल्में देखना, यात्राएं करना, खरीदारी, गपशप और मौज-मस्ती करना सबसे अधिक प्रिय होता है।

जीवन में मित्रता या दोस्ती के लाभ Benefits of Friendship in Life in Hindi

एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, जिन लोगों के अच्छे और मजेदार दोस्त होते हैं उन्हें कभी भी डिप्रेशन अथवा मानसिक तनाव और ह्रदय संबंधित बीमारियां होने का खतरा बहुत हद तक कम हो जाती हैं।

यदि आपके साथ एक इमानदार और छल कपट रहित कोई दोस्त है, तो आपको किसी भी परिस्थिति से बहुत कम समय में ही बाहर निकलने में सहायता मिलती है।

जीवन में एक अच्छा दोस्त होने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है, कि उससे अपनी दिल की सारी बातों और समस्याओं को कहकर एक सुकून और शांति महसूस होता है।

अच्छे लोगों के साथ रहने से हमेशा सकारात्मक भावना हमारे मन में प्रवेश करती रहती है तथा नकारात्मक विचारों का नाश होता है।

बनावटी और लालची लोगों की बात की जाए, तो ऐसे लोग सिर्फ आपका साथ तभी तक देते हैं, जब तक आपके पास धन दौलत और रुतबा हो जिनसे उन्हें फायदा हो रहा हो। ऐसे लोग अपना काम निकलवाने अथवा स्वार्थ पूरा हो जाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं।

हर मुश्किल घड़ी में चाहे आपकी हालात कैसी भी हो यदि कोई मदद करने सबसे पहले आगे आता है, तो वह एक सच्चा मित्र होता है।

अच्छे मित्रों की यह सबसे बड़ी खासियत होती है, कि वे गलत को गलत और सही को सही कहने में संकोच नहीं करते हैं। यदि एक सच्चा मित्र अपने दोस्त को किसी बात के लिए डांटता अथवा आलोचना करता है, तो इसके पीछे उसका धेय केवल और केवल बुरे मार्ग पर भटकने से रोकना होता है।

अच्छे व बुरे मित्र की पहचान क्या है? What is the Difference Between a Good and a Bad Friend in Hindi?

संगति एक ऐसी चीज है जो किसी का भी जीवन बदल सकती है। यह साधारण बात है की लोगों की संगति अक्सर उनके परिवार तथा मित्रों के साथ सबसे अधिक होती है।

यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए, कि शहद और मीठे खाद्य पदार्थ सबसे जल्दी खराब होते हैं। ठीक उसी प्रकार अगर कोई व्यक्ति जिसे आप मित्र मानते हैं, वह सदैव ही आपकी प्रशंसा करें, भले ही आप गलत की ही क्यों ना हो। ऐसे लोग स्वार्थ से भरे होते हैं। इसीलिए वह मित्र नहीं शत्रु की संज्ञा में गिने जाएंगे।

आज के समय की बात करें तो सच्चे मित्र की उपस्थिति एक भाग्यशाली बात है। ऐसे तथाकथित दोस्त हमें हर जगह और हर क्षण दिख जाएंगे जो सिर्फ ‘फ्रेंडशिप डे’ के दिन ही अपने मित्र को याद करेंगे।

यह बहुत निराशा की बात है कि मित्रता की मिसाल पेश करने वाले हमारी भारतीय संस्कृति को अब लोग भूलते जा रहे हैं और अंग्रेजों द्वारा बनाए गए त्योहारों को मनाने में अपनी शान समझते हैं।

सच्चे मित्र की पहचान सिर्फ कठिन परिस्थितियों में की जा सकती है। क्योंकि अच्छे दिनों में तो हर कोई हमारे साथ अच्छा व्यवहार करता है। लेकिन जो हमारे बुरे हालातों में भी हमारा साथ ना छोड़े और अच्छे से व्यवहार करें वही एक सच्चा मित्र होता है।

वे लोग जो सामने तो बहुत अच्छे और संस्कारी बनते हो और हमेशा अपने दोस्त के सामने उसकी बढ़ाई करते हों ऐसे ही लोग सबसे बड़े आलोचक होते हैं।

एक इमानदार मित्र कभी भी अपने संबंधों को झूठ और फरेब के आधार पर विकसित नहीं करता है। वे विरले लोग होते होंगे जिनका मित्र उनकी परेशानियों को बिना कहे ही समझ सकता हो।

मित्रता या दोस्ती पर 5 प्रमुख दोहे 5 main couplets on friendship in Hindi

  1. आगें कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई।
    जाकर चित अहिगत सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहि भलाई।

अर्थ: जो सामने मीठी-मीठी बातें करता है और पीठ पीछे इष्या भाव से बुराई करता है तथा जिसका मन साॅप की भांति टेढा है, ऐसे खराब मित्र को त्याग देने में ही हित है।

  1. देत लेत मन संक न धरई, बल अनुमान सदा हित करई।
    विपती काल कर सतगुन नेहा, श्रुति कह संत मित्र गुन एहा।

अर्थ: मित्रों से लेन-देन में शंका नहीं करनी चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार सदैव अपने मित्र की सहायता करनी चाहिए। वेदों के अनुसार विपत्ति के समय में जो स्नेह प्रेम करें और साथ ना छोड़े यह गुण एक सच्चे मित्र के होते हैं।

  1. कहि रहीम संपति सगे बनत बहुत बह रीत।
    विपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत।।

अर्थ: ऐसे लोग जो हमेशा सुख में साथ देते हो और सदैव आपके हितेषी बनते हो, विपत्ति काल में ऐसे लोग मुंह मोड़ लेते हैं। लेकिन जो लोग दुख में भी आपका साथ ना छोड़े वही सच्चे मित्र होते हैं।

  1. सौ सौ बार विचारिए, क्या होता है मित्र।
    खूब जाँचीये पराखिए, उसका चित्त चरित्र।।

अर्थ: मित्र बनाने से पहले उस व्यक्ति के विषय में सब कुछ जान लेना चाहिए। मन तथा चरित्र को परखने के बाद ही मित्र बनाने चाहिए।

  1. जिन्ह कें अति मति सहज न आई, ते सठ कत हरि करत मिताई।
    कुपथ निवारि सुपंथ चलावा, गुन प्रगटै अब गुनन्हि दुरावा।।

अर्थ: केवल मित्रता कर लेने से कोई मित्र नहीं होता है। अर्थात मित्र धर्म को निभाना और अपने कर्तव्यों का पालन करना की मित्रता कहलाती है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने मित्रता या दोस्ती पर हिंदी में निबंध (Essay in Friendship in Hindi) पढ़ा। आशा है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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