हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

इस दुनिया के हर इंसान के जीवन मे कोई न कोई ऐसी घटना ज़रूर घटित हुई होती है जो उत्साह और रोमांच से भरी होती है। एक ऐसी ही घटना मेरे जीवन मे घटित हुई थी, जब मैनें पहली बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। मेरे जीवन की यह सबसे रोमांचक यात्रा थी। आज शाम को जब मैं अपने घर की छत पर सुहाने मौसम का आनंद ले रहा था तभी मैंने एक हवाई जहाज़ को आसमान में उड़ते हुए देखा। इस हवाई जहाज़ को देखकर मेरे मन में  मेरी पहली हवाई जहाज़ से की हुई यात्रा की यादें अचानक से जीवित हो उठी।

मेरी प्रथम हवाई जहाज़ यात्रा पर निबंध My First Aeroplene Journey in Hindi

जब मैं एक अबोध बालक की अवस्था मे था तब इस विशाल नीले गगन में पक्षियों को उड़ते हुए देखकर मेरे मन में बहुत से सवाल जन्म लिया करते थे जैसे कि ये पंक्षी इस खुले आसमान में कैसे उड़ लेते है। इसके अलावा सबसे अहम और मुझे रोमांच से भर देने वाली बात जो मेरे ज़हन में आती थी “कि काश मैं भी इन पक्षियों की तरह इस खुले आसमान में उड़ पाता”, क्योंकि तब मुझे विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नही थी। 

मैने हवाई जहाज़ के बारे में सुना था लेकिन कभी देखा नही था परन्तु मेरे जीवन मे भी एक समय ऐसा आया जब मुझे हवाई जहाज़ से यात्रा करने का मौका मिला। यह मौका था जब मैंने चेन्नई से मालदीव की हवाई यात्रा करनी थी। लेकिन मुझे इस हवाई यात्रा के बारे में कोई जानकारी नही थी इसीलिए मैंने अपने एक मित्र से इसके बारे में पूछा क्योंकि मेरे मित्र ने कई बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। 

उसी की मदद से मैंने एक ऑनलाइन पोर्टल से एयर टिकट को बुक किया। टिकट बुक करने के बाद उसने मुझे यह भी बताया कि टिकट बुक करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हमारे द्वारा दी गयी सारी जानकारी सही हो और अपना मोबाइल नम्बर देना तो बिल्कुल भी नही भूलना चाहिए क्योंकि अगर जहाज़ की उड़ान में देरी होती है या जहाज़ के समय मे कोई बदलाव होता है तो एयरलाइंस कंपनी इसकी जानकारी एसएमएस के द्वारा या फिर हमें कॉल कर के देते है। 

उसने मुझे यह भी बताया कि एयरपोर्ट पर जाने से पहले अपने साथ एयर टिकट और एक पहचान पत्र भी अवश्य ले लूँ क्योंकि इसके बिना मुझे एयरपोर्ट के अंदर प्रवेश नही मिलेगा। इस सब के अलावा उसने मुझ को यह भी सुझाया कि जिस तरह हम बस या ट्रेन में सफर करने के लिए टिकट लेकर सीधे अपनी सीट पर बैठ जाते है, हवाई जहाज़ से यात्रा में ऐसा नही होता है। 

हवाई जहाज से यात्रा करने के लिए बुक किये गए हवाई टिकट को एयरपोर्ट पर मौजूद कर्मचारी को दिखाना होता है जिसके बाद वह हमें बोर्डिंग पास देता है। इसी बोर्डिंग पास को दिखा कर ही हम हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश कर सकते है। उसने यह भी बताया कि हवाई जहाज़ में यात्रा करने के लिए एक निश्चित वजन तक का ही सामान हम अपने साथ ले जा सकते है। 

अपने दोस्त से मिली इन सभी जानकारियों के बाद मैंने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया और अगले दिन फ्लाइट की उड़ान से लगभग दो घंटे पहले मैं बुक की गई टिकट, अपने पहचान पत्र तथा अपने सामान के साथ एयरपोर्ट पर पहुँच गया। एयरपोर्ट पर सभी मानकों को पूरा करते हुए मैंने अपना बोर्डिंग पास हासिल किया। बोर्डिंग पास को लेने के बाद मैं हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश करने के आदेश होने का इंतजार करने के लिए एक बड़े से हाल में बैठ गया। 

इसके कुछ समय बाद जहाज़ में बैठने का आदेश हुआ। जहाज के अंदर जाने के लिए इसके पास एक सीढ़ी लगी हुई थी जिसकी मदद से सभी यात्रियों ने अंदर प्रवेश किया। हवाई जहाज़ के अंदर मुझ को खिड़की के बिल्कुल किनारे वाली सीट मिली थी। जिसकी वजह से मैं बाहर के दृश्यों को आसानी से देख सकता था।

अब हवाई जहाज़ से लगी सीढ़ी को हटाकर इसका दरवाज़ा बंद कर दिया गया। जहाज़ के अंदर यात्रियों की देखभाल करने और उनकी मदद करने के लिए एयर होस्टेस भी थी। उन्ही एयर होस्टेस में से एक ने यह सूचना दी कि कृपया सभी यात्रीगण अपनी अपनी सीट पर लगी हुई सुरक्षा पेटियां बांध लें परन्तु मुझ को सुरक्षा पेटी को बाँधना  नही आता था तो मैंने एक एयर होस्टेस से मदद मांगी। 

हवाई जहाज़ के अंदर पहली बार बैठने का अनुभव मुझे अंदर ही अंदर आनन्दित कर रहा था। अपने उस आनंद को शब्दों में व्यक्त कर पाना मेरे लिए असंभव है। रन-वे पर कुछ दूरी तय करने के बाद अब हवाई जहाज़ धीरे धीरे आसमान की बुलंदी की ओर बढ़ रहा था और कुछ ही समय बाद वह आकाश में बादलों के बीच मे उड़ने लगा था। यह सब मेरे लिए किसी सपने जैसा लग रहा था। 

मानो जैसे मैं खुद किसी आज़ाद पंक्षी की तरह इस खुले आकाश में उड़ रहा हूँ। ऊपर से नीचे देखने पर बड़ी बड़ी इमारतें इंसान और जानवर छोटे छोटे खिलौनें की तरह दिख रहे थे। जमीन पर मौजूद हरे भरे पेड़ -पौधे और नीला समुन्दर जहाज़ के अंदर से एक मनोरम प्राकृतिक दृश्य का चित्रण कर रहे थे। प्रकृति की इस खूबसरती को देखते-देखते समय का पता ही नही चला और अब मेरे हवाई जहाज़ के अपने निर्धारित स्थान पर उतर कर धरती को छूने के लिए तैयार थीं। 

अब हमें पुनः अपनी सुरक्षा पेटियों को बांधने के लिए कहा गया। हवाई जहाज ने रन-वे की पट्टी को छुआ तो हम सभी को हल्का सा झटका महसूस हुआ जिसके कुछ समय बाद जहाज रुक गया। अब फिर से जहाज के पास सीढ़ी लगा दी गयी। हम सभी एक-एक कर उतर कर फिर से हवाई अड्डे के अंदर आ गए। इस तरह मैंने हवाई अड्डे से टैक्सी पकड़ कर अपने गंतव्य पर पहुँच गया।

कुछ घंटों का मेरा यह यात्रा वृतांत मेरे जीवन की एक ऐसी घटना है जिसने न सिर्फ मेरे सपने को पूरा किया अपितु मैंने जीवन मे बहुत सारे अनुभव को भी प्राप्त किया।

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