श्री गुरु घासीदास का जीवन परिचय Guru Ghasidas Biography in Hindi
इस लेख मे हमने श्री गुरु घासीदास का जीवन परिचय Guru Ghasidas Biography in Hindi हिन्दी मे लिखा है। इसमे हमने उनके प्रारम्भिक जीवन,
श्री गुरु घासीदास का जीवन परिचय Guru Ghasidas Biography in Hindi
गुरु घासीदास (1756-1836 CE), 19वीं सदी के हिन्दू धर्म के सतनामी संप्रदाय के सर्वोपरि माने जाते हैं। उनका जन्म उस सदी में हुआ था जब लोग उंच-नीच, और छुआ-छूत जैसे जाती-पाती के सामाजिक समस्याओं से घिरे हुए थे। ऐसे समय मे इस महान पुरुष ने हमारे देश मे लोगों को एकता और भाईचारा का पाठ पढ़ाया।
घसीदास जी सत्यवादी थे और उन्होंने लोगों को भी सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सामाजिक कार्यों मे बीता दिया। आईए उन्ही महान व्यक्ति के जीवन परिचय से आपको अवगत करते हैं।
प्रारंभिक जीवन Early Life
गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसम्बर, 1756 को गिरौदपुरी, रायपुर जिले के, तहसील-बलोदाबाज़र में हुआ था। उनके पिता का नाम महंगुदास जी और माता का नाम अमरौतिन देवी था। उनकी एक पत्नी भी थी जिनका नाम सफुरा था।
शिक्षा Education
लोगों का मानना है गुरु घसीदास जी ने छत्तीसगढ़ राज्य में रायगढ़ जिले के बिलासपुर रोड, सारंगढ़ तहसील मे एक वृक्ष के नीचे तपस्या के माध्यम से अपनी शिक्षा ली थी। उनके महान उपदेशों ने समाज के छुआछूत, मूर्ति पूजा, जैसे जाती-पाती से जुड़े सामाजिक कुप्रथाओं को की हद तक दूर किया। बाद में उनके तपस्या के स्थान को एक पुष्प वाटिका के रूप मे निर्मित किया गया।
मुख्य सामाजिक कार्य Major social works
गुरु घासीदास जी ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के लिए सतनाम का प्रचार किया। उनके बाद, उनकी शिक्षाओं को उनके पुत्र बालाकदास ने लोगों तक पहुँचाया। गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ में सतनाम संप्रदाय की स्थापना की थी इसीलिए उन्हें ‘सतनाम पंथ‘ का संस्थापक माना जाता है।
गुरु घंसिदास का समाज में एक नई सोच और विचार उत्पन्न करने के बहुत बड़ा हाँथ है। घासीदास जी बहुत कम उम्र से पशुओं की बलि, अन्य कुप्रथाओं जैसे जाती भेद-भाव, छुआ-छात के पूर्ण रूप से खिलाफ थे। उन्होंने पुरे छत्तीसगढ़ के हर जगह की यात्रा की और इसका हल निकालने का पूरा प्रयास किया।
उन्होंने (Satnam) यानी की सत्य से लोगों को साक्षात्कार कराया और सतनाम का प्रचार किया। उनके अनमोल विचार और सकारात्मक सोच, हिन्दू और बौद्ध विचार धाराओं से मिलते झूलते हैं। उन्होंने सत्य के प्रतिक के रूप में ‘जैतखाम’ को दर्शाया – यह एक सफ़ेद रंग किया हुआ लकड़ियों का ढेर होता है जिसके ऊपर एक सफ़ेद झंडा फहराता है। इसके सफ़ेद रंग को सत्य का प्रतीक माना जाता है।
श्री गुरु घासीदास जयंती Guru Ghasidas Jayanti in Chhattisgarh
प्रतिवर्ष 18 दिसम्बर, को गुरु घासीदास के जन्म दिन को पुरे छत्तीसगढ़ में श्री गुरु घासीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनकी जयंती खासकर गुरु घासीराम जी के पुष्प वाटिका मे 2-3 दिन उत्साह के साथ मनाया जाता है।
गिरौदपुरी का जैतखाम Jaitkham at Girodpuri
Image Credit – dprcg.gov.in
रायपुर, छत्तीसगढ़ से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर बाबा गुरु घासीदास के जन्म स्थान गिरौदपुरी में सरकार ने विशाल स्तंभ ‘