एक देश एक चुनाव पर निबंध One Nation One Election Essay in Hindi

इस लेख में हम एक देश एक चुनाव पर हिंदी में निबंध (One Nation One Election Essay in Hindi) पढ़ेंगे। यहाँ पर आप या नई मुहिम क्या है? इसके फायदे, नुकसान, लोकतंत्र पर प्रभाव, जैसी कई जानकारियाँ दी गई हैं।

एक देश एक चुनाव पर निबंध One Nation One Election Essay in Hindi

पिछले कुछ वर्षों से लोकसभा और विधानसभा में एक साथ चुनाव कराए जाने के विषय पर बहस चल रही है।

इसलिए परीक्षाओं में भी एक देश तथा एक चुनाव के मुद्दे पर प्रश्न पूछे जाते हैं। इस लेख में दिए हुए तमाम तथ्य विश्वसनीय स्त्रोतों से लिए गए हैं, जिस पर विद्यार्थी गण आसानी से भरोसा कर सकते हैं।

एक देश एक चुनाव क्या है? What is The One Nation One Election in Hindi?

भारत में काम कर रही चुनाव आयोग की पूरी दुनिया भर में प्रशंसा होती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव कराना बेहद ही कठिन और जिम्मेदारी का काम है।

हमारे देश में चुनाव को त्योहार के रूप में देखा जाता है। जिस प्रकार त्योहार एक के बाद एक लगातार आते रहते हैं ठीक उसी प्रकार चुनाव भी लगातार दस्तक देते रहते हैं।

इतना ज्यादा चुनाव कराने का मतलब है की जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा तथा समय चुनाव संचालन में लगाना। इन्ही खर्चों तथा जिम्मेदारियों से मुक्त होने के प्रयास के रूप में एक देश एक चुनाव का ताना-बाना रचा गया था।

एक देश एक चुनाव की मुहिम को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ने भी सराहा है और इस मुहिम को आगे बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया है।

यह मुहिम आजादी के बाद कई बार उठाई जा चुकी है लेकिन अल्प समर्थन के कारण यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन सका।

एक देश एक चुनाव का अर्थ भारत के लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराने की एक प्रेरणा है। हालांकि ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह वर्तमान सरकार की तरफ से किया गया एक प्रयास है बल्कि यह भारत में सन 1952, 1957, 1962 तथा 1967 में पहले भी किया जा चुका है।

उपरोक्त वर्षों में लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाए गए थे। लेकिन यह क्रम 1968–69 में टूट गया जब कुछ राज्यों की विधानसभाएं किन्ही कारणों से समय से पहले ही भंग कर दी गई थी।

इसलिए जानकारों तथा कुछ राजनीतिक पार्टियों का मानना है, की जब ऐसे चुनाव पहले से होते आए है तो अब कराने में क्या हर्ज है?

एक देश एक चुनाव के फायदे Advantages of One Nation One Election in Hindi

लोकतंत्र के हर पहलू के कई लाभ और हानियां भी होती हैं। जैसे किसी भी लोकतंत्र के सबसे बड़े आधार स्तंभ वहां के चुनाव को माना जाता है और चुनाव संचालकों के लिए यह बेहद मुश्किल भरा कार्य होता है।

एक स्वस्थ तथा निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया भारत जैसे विशाल देश को अन्य लोकतंत्र से बेहतर तथा अनोखा बनाते हैं। इन चुनाव के पीछे हजारों–लाखों लोगों का समर्पण जुड़ा रहता है। क्योंकि इतने बड़े लोकतंत्र में सटीक चुनाव करना लगभग नामुमकिन काम माना जाता है।

अगर हम देश के चुनावों पर नजर डालें तो हर वर्ष कोई न कोई बड़ा चुनाव होता ही रहता है। इसका नतीजा यह निकलता है कि केंद्र तथा स्थानीय सरकारों में अपना फर्ज निभाते कर्मचारियों तथा वहां के निवासियों का ज्यादातर समय तथा श्रम चुनावों में निकल जाता है।

सिर्फ इतना ही नहीं अलग-अलग समय पर चुनाव का नतीजा यह निकलता है कि देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा इन चुनावों को व्यवस्थित तथा पारदर्शक बनाने में खर्च हो जाता है।

जानकारों का यह कहना है कि अगर एक देश एक चुनाव होते हैं तो इन सभी चुनौतियों से भारत देश ऊपर उठ जाएगा और अपने धन तथा समय को अपने लोगों के विकास में खर्च कर सकेगा।

ध्यान रहे कि इसमें पंचायत और नगर पालिकाओं के चुनाव को शामिल नहीं किया जाता।

एक देश एक चुनाव के सबसे बड़े लाभ के रूप में यह तर्क दिया जाता है कि देश की जनसंख्या बेहद ही बढ़ चुकी है तथा पहले के मुकाबले हमारे पास बेहतर तकनीक और सक्षम कार्यक्षमता है जो इन चुनावों को बेहद आसान तथा सटीक बना सकते हैं।

इसके पक्ष में यह भी कहा जाता है यह एक आधुनिक विचार पद्धति है और समय के साथ बदलना बेहद ही जरूरी हो जाता है। क्योंकि लगातार चुनाव के कारण देश में बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होता रहता है जिसके कारण सरकार जरूरी निर्णय भी नहीं ले पाती तथा विभिन्न योजनाओं को लागू करने में समस्याएं आती हैं।

चुनाव के तहत एक निश्चित समय अवधि के लिए सत्ताधारी दल के द्वारा किसी भी नई परियोजनाओं तथा स्कीमों की शुरुआत तथा आर्थिक मंजूरी की सख्त मनाही रहती है। इसलिए यदि देश में एक ही बार चुनाव होंगे तो आदर्श आचार संहिता कुछ ही समय तक लागू रहेगी जिससे विकास कार्य बाधित नहीं होंगे।

एक देश एक चुनाव के दूसरे सबसे बड़े लाभ के रूप में यह तर्क दिया जाता है, एक साथ चुनाव कराने से काले धन और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में मदद मिलेगी। चुनाव में राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए काले धन का खुलकर इस्तेमाल करने से बिल्कुल भी नहीं झिझकते।

हालांकि चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक पार्टियों को एक सीमित सीमा में खर्च करने का नियम दिया गया है इसलिए कुछ जानकार लोगों का यह भी कहना है लगातार चुनाव होते रहने से राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं को इन नियमों को भंग करने का मौका मिलता रहता है इसकी वजह से अनावश्यक तनाव की परिस्थितियां बन जाती है।

एक देश एक चुनाव के नुकसान Disadvantages of One Nation One Election in Hindi

एक देश एक चुनाव के सबसे बड़े नुकसान के रूप में विश्लेषकों का यह मानना है कि एक साथ चुनाव कराए जाने पर छोटे-छोटे गांव तथा नगरों की दिक्कतें कभी भी बाहर नहीं आएंगी क्योंकि सबका ध्यान राष्ट्रीय मुद्दों पर ही रहेगा।

इसके दूसरे सबसे बड़े नुकसान के रूप में जानकार लोगों का कहना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर शासन सिर्फ जनता का चलता है और देश में लगातार चुनाव होते रहने से जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति लगातार जवाबदेह बने रहना पड़ता है।

इसलिए कोई भी नेता एक बार जीतने के बाद लापरवाह हो कर काम नहीं कर सकता। क्योंकि उसे छोटे-छोटे समयावधि पर किसी न किसी चुनाव का सामना करना ही पड़ता है। इसलिए विश्लेषकों का मानना है कि अगर एक साथ चुनाव कराए जाएंगे तो ऐसा होने की आशंका बहुत ही बढ़ जाएगी।

एक चुनाव के विरोध में यह तर्क भी दिया जाता है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में एक साथ चुनाव यह कोई तार्किक बात नहीं है बल्कि इससे बड़ी-बड़ी हानियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

इसके अलावा विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों का मानना है कि संविधान के द्वारा प्रदान किया गया संसदीय मॉडल एक फुलप्रूफ मॉडल है। जिसमें विधानसभाएं 5 साल के लिए चुनी जाती हैं।

लेकिन एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में कोई नियम नहीं है। हां लेकिन ऐसे प्रावधान हैं जो एक साथ चुनाव कराने के विरोध में खड़े दिखाई देते हैं।

विपक्ष का यह भी मानना है एक देश एक चुनाव के कारण भारत के संघीय ढांचे को बहुत ही अधिक नुकसान होगा क्योंकि पहले से चली आ रही पार्टीयों के कार्यकाल को घटाया बढ़ाया जाएगा, जिससे राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। भारत के संविधान तथा संसदीय राज्य से छेड़छाड़ करने का अधिकार किसी को भी नहीं है।

एक देश एक चुनाव से चुनाव सुधार मे संभावना Possibility of Electoral Reform from One Nation One Election in Hindi

पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने पर कई सारे फायदे तथा नुकसान देखने को मिल सकते हैं। लेकिन अगर अनुपात को देखा जाए तो लाभ की संख्या नुकसान के मुकाबले बेहद ही अधिक है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत देश का चुनाव आयोग दुनिया के कई देश जैसे साउथ अफ्रीका इत्यादि में भी चुनाव कराते हैं। इसका यह अर्थ होता है की हमारे आधुनिक चुनाव आयोग में इतनी क्षमता है कि वह बड़े से बड़े कठिनाइयों को बेहद आसानी से पार कर सकते हैं।

बात रही पारदर्शिता की तो जब दुनिया के इतने सारे देश भारत के चुनाव आयोग की सराहना करते हैं तो मुट्ठी भर विपक्ष के तर्क का कोई मोल नहीं रह जाता।

किसी राज्य या जिले में चुनाव कराने से पहले चुनाव आयोग को कई बार विचार करना पड़ता है। इसके अलावा प्रत्याशियों के चुनाव में पारदर्शिता तथा जन भावना को बनाए रखने की जिम्मेदारी का दबाव चुनाव आयोग सालों से वाहन करते आया है।

जिसमें एक बड़ा समय श्रम तथा धन का हिस्सा खर्च होते आया है। सिर्फ यही नहीं हर वर्ष चुनाव में कर्मचारियों की मृत्यु या नुकसान होने की खबरें मिलती रहती है।

भारत में रह रहे एक खास तबके के लोग विकास से जुड़ी हर चीज में बाधाएं डालते रहते हैं। विकास कार्य में लिए हुए निर्णय के सबूत मांगते आए हैं तथा देश की सुरक्षा से जुड़ी ज्यादातर चीजों पर व्यंग तथा कटाक्ष तो कभी-कभी गैर जिम्मेदाराना हरकत भी करते आए हैं। ऐसे में इस नए चुनावी पहल की आगे की अवधारणा बहुत ही मुश्किल होने वाला हैं।

भारत चुनाव के चक्रव्यूह में गिरा हुआ देश बन कर रह गया है जिससे निकलना बेहद ही जरूरी है। देश को इस चक्रव्यू से निकालने के लिए चुनाव सुधार अभियान चलाने की आवश्यकता है जिसके तहत चुनाव से जुड़े जरूरी कानूनों में सुधार, काले धन पर रोक लगाकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और भी पुख्ता करने की जरूरत आन पड़ी है।

जिस प्रकार भारत में इस नई मुहिम के आधार पर जीएसटी लागू किया गया था, अब समय आ गया है कि इस पर भी सभी राजनीतिक पार्टियां विचार विमर्श करें।

एक देश एक चुनाव और लोकतंत्र One Nation One Election and Democracy in Hindi

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र माने जाने वाले भारत देश में हर वर्ष चुनावों में हजारों करोड़ रूपया व्यय किया जाते आया है।

2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग तीस हजार करोड रुपए खर्च हुए थे जो 5 वर्ष में बढ़कर लगभग 2 गुना हो चुका है।

किसी भी लोकतंत्र में वहां के लोगों का विकास सर्वोपरि मुद्दा होता है। भारतीय खजाने का इतना बड़ा हिस्सा एक चुनाव में खर्च करना कहीं ना कहीं भारतीयों कि मेहनत की कमाई के बाद दिए हुए कर का व्यय करना ही माना जाएगा।

हालांकि दुनिया के ऐसे बहुत सारे देश है जो एक देश-एक चुनाव को तवज्जो देते हैं। लेकिन हमारे देश में किसी भी विकास मॉडल को लागू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है उदाहरण के तौर पर जीएसटी को ही ले लीजिए जिसे 2 साल की कड़ी मशक्कत करने के बाद लागू किया जा सका था। विपक्ष ने जिसे लोकतंत्र की हत्या तथा जबरदस्ती लादा जाने वाला टैक्स बताया था आज भली-भांति काम कर रहा है।

कुछ राजनीतिक पार्टियों का यह भी मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से एक ही पार्टी को जीत मिलेगी। इस तर्क के पीछे उन लोगों का लोकतंत्र के प्रति अविश्वास दिखता है क्योंकि हमारे देश का वोटर अपनी अलग सोच रखता है।

एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते इस नए पहल पर भारतीय नागरिकों की राय को तवज्जो देना चाहिए ना की सत्ता में बैठे हुए कुछ मुट्ठी भर लोगों को।

निष्कर्ष Summary

इस लेख में आपने एक देश और एक चुनाव पर निबंध (Essay on the one nation one election in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो उसे शेयर जरूर करें।

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