बाल मजदूरी पर भाषण Speech on Child labour in Hindi
सभी आदरणीय प्रिंसपल, सभी अध्यापक और अध्यापिका, और मेरे सभी प्रिय छात्रगण तथा मेरे सीनियर आप सभी को मेरा नमस्कार, आज 12 जून को हम यहाँ World Day Against Child Labour मनाने के लिए इकठ्ठा हुए है और मैं आज इस अवसर पर बाल मजदूरी के विषय पर भाषण देना चाहती हूँ/ चाहता हूँ।
क्योकि शायद लोगो को पता नही है कि बालश्रम के कारण हमारे देश के विकास में बाधा आ रही है क्योकि आने वाले कल में यही बच्चे हमारे देश का नाम रोशन करेंगे।
बाल श्रम या बाल मजदूरी पर भाषण Speech on Child labour in Hindi
Bal Shram Par Bhashan 1 (Child Labor Speech )
भारत में बालश्रम एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है और ये भारत के विकास में कही न कही रुकवट का कार्य कर रहा है। बालश्रम का मुद्दा आज का नही है ये तो पूरे विश्व में वर्षो से चली आ रही एक बुरी प्रथा है। ये केवल राष्ट्रिय मुद्दा नही बल्कि एक वैश्विक मुद्दा है।
बाल मजदूरी वो प्रक्रिया है जिसमे बच्चो को बहुत कम वेतन पर काम करवाते है और बहुत बार तो बहुत से तो रात में भी काम करते है, जिससे मानसिक विकास में बाधा आती है मानसिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास में बाधा आती है।
यह समाज में गरीबी, आवास और भोजन की कमी, गरीब लोगो के लिए सुविधाओं की कमी, शिक्षा की कमी और गरीबो और अमीरों के बीच में ये जो अंतर है यही कारण है की गरीब लोग समझ नही पाते है और अपने बच्चो को भेज देते है काम पर चंद कुछ पैसों के लिए।
क्या उन मासूम बच्चो को अपना बचपन जीने का हक नही?? क्या उनका शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नही है। बालश्रम इन बच्चो के मासूम यादगार और बचपन के महत्वपूर्ण पलों से दूर कर देता है।
जिसकी वजह से ना तो वो अपनी पढाई जारी रख पाते है तथा ऐसे बच्चों को बहुत ही खतरनाक और हानिकारक बीमारी का सामना भी करना पड़ता है. जो किसी कारखाने में काम करते है और अपनी सेहत का बिना ध्यान रखे वो लगातार काम करते है। एक शोषणकारी प्रथा पूरे विश्व में कड़े नियमों और कानूनों को बनाया गया है जो बाल श्रम को विरोध करते है।
भारत के सविधान के अंतर्गत बच्चो के लिए प्राथमिक शिक्षा के साथ साथ आर्थिक गतिविधियों और उनके प्रतिकूल व्यवसायों में उलझने से बचाने हेतु इस पर प्रतिबन्ध लगाया गया है और सवैंधानिक संसोधन के बाद 14 वर्ष के कम आयु के बच्चो के लिए शिक्षा का अधिकार को अब मूल अधिकार बना दिया गया है।
वर्ष 2001 में भारत में बालश्रम के ऊपर एक आंकड़ा जारी किया गया था जिसमे 1.26 करोड़ बच्चे को बालश्रम के शिकार थे। जिसमे सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में बच्चो की संख्या 0.91 करोड़ थी, इसके बाद आंध्र प्रदेश में 0.14 करोड़, राजस्थान में 0.13 करोड़ थी। आकड़ो के अनुसार लगभग 90% से अधिक बाल श्रमिक ग्रामीण क्षत्र में लगे हुए है
बाल श्रम का मुद्दा केवल हमारे देश का ही नही है बल्कि ये और भी कई विकासशील देश में भी ये एक गंभीर मुद्दा है। सबसे ज्यादा बालश्रम की घटनाये 2010 में अफ्रीका में दर्ज हुआ है, इस आँकड़े के अनुसार लगभग 50% से अधिक बच्चे जिनकी आयु 5 साल से 14 साल के बीच थी वो बच्चे यहाँ के कारखानो में काम करते है।
अगर देखा जाये तो सबसे ज्यादा बाल मजदूरी मैदानी कार्यों में होती है। जैसे- कारखाने , खनन, कृषि उत्पादन तथा अन्य कार्यो में। यहाँ पर काम दो टाइम करवाया जाता है दिन में और रात में। कुछ को रात के शिफ्ट में करते है और कुछ को दिन के शिफ्ट।
ये कारखाने वाले काम भी ज्यादा करवाते है और पैसे भी कम देते है लेकिन मज़बूरी में इन बच्चो को ये काम करना पड़ता है। बहुत बार तो बहुत से लडको को बीमारी भी हो जाती है जिससे इनको मौत भी हो जाती है। ये बच्चे जीवनभर अशिक्षित रहते हैं जिससे उनके स्वंय के और देश के विकास में इनका योगदान की क्षमता सीमित हो जाती है।
देश के विकास के लिए बालश्रम के सभी प्रभाव को उद्योगपतियों और व्यापारियों को इस बात से अच्छी तरह से अवगत करवाना होगा। और हम सभी यह समझना चाहिए कि बालश्रम को रोकने के लिए सिर्फ एक रास्ता है वो है शिक्षा।
जिससे भविष्य में सुरक्षित उच्च स्तर की नौकरियों के माध्यम से अपनी और देश की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, और जिससे देश का भी विकास होगा। धीरे धीरे समय बदल रहा है और लोगो में जागरूकता फ़ैल रही है। क्योकि विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में बाल श्रम की घटनाओं में गिरावट आयी है जैसे 1960 में 25% थी और 2003 में, 10% की कमी आयी थी।
दोस्तों आप सभी से मेरा निवेदन है कि हमें विस्तार से इस समस्या के बारे में जागरुकता फैलानी चाहिये और इस मुद्दे को समाज से हटाने के लिए कुछ सकारात्मक कदमों को उठाना चाहिये। देश के युवा होने के नाते, हमें देश के विकास और वृद्धि के लिए अधिक जिम्मेदार होना चाहिये क्योकि यदि सुरक्षित होगा बचपन, बन जायेगा भविष्य उज्ज्वल। धन्यवाद
Bal Shram Par Bhashan 2
बाल श्रम का मतलब है कि बच्चों को वयस्कों की तरह काम करने और आर्थिक गतिविधि में भाग लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। आई एल ओ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार यह नियम तेरह वर्ष या सत्रह वर्ष तक के लोगों पर लागू होता है। हालांकि आई एल ओ सदस्यों के केवल चौथे हिस्से ने संबंधित सम्मेलन की पुष्टि की है, लेकिन श्रम करने के लिये इस आयु सीमा को आम तौर पर स्वीकार किया जाता है।
बाल श्रम किसी भी काम में बच्चों के रोजगार को संदर्भित करता है जो उनके बचपन से वंचित करता है, नियमित स्कूल में भाग लेने की उनकी क्षमता में हस्तक्षेप करता है, और यह मानसिक रूप से, शारीरिक रूप से, सामाजिक या नैतिक रूप से उनके जीवन के लिये खतरनाक और हानिकारक है।
बाल श्रम मूल रूप से बच्चों द्वारा किये गये अनौपचारिक कार्यों से अलग है जैसे कि अन्य बच्चों की रक्षा करना, या यहां और वहां सहायता करना। अधिकांश देशों में बाल श्रम पर रोक लगा दी गयी है। इन दिनों हम चाय स्टाल, होटल और अन्य छोटी दुकानों में काम कर रहे कई नाबालिग लड़कों और लड़कियों को देखते हैं। कुछ ईंट कारखानों जैसे विशाल कारखानों में काम करते हैं। यह बाल श्रम के अन्तर्गत आता है, और मुख्य कारण यह है कि बाल श्रम क्यों होता है वो है गरीबी|
दो प्रकार के काम हैं जो नाबालिग कर सकते हैं :
कुछ काम जो वे अपनी स्वीकृति से करते हैं, क्योंकि यह उनके लिये आसान होते है, या उन्हें करने में कठिनाई नहीं होती है। बच्चे परिवार में अच्छी तरह से एकीकृत होकर रहते हैं तो वहां भी वे अपने माँ बाप के कुछ कार्य कर सकते है। बच्चों के द्वारा शिक्षा के अलावा इस प्रकार के काम को किया जा सकता है।
अन्य प्रकार के काम करना जो मुश्किल होते है, या यह बच्चों के लिये शारीरिक रूप से थकाऊ है। यह खतरनाक हो सकते है|
आम तौर पर दूसरे प्रकार के काम को आम तौर पर बाल श्रम के लेबल में लिया जाता है। अनुमान है कि बाल मजदूरी से 350 मिलियन बच्चे प्रभावित होते हैं, इनमें से आठ मिलियन बाल श्रम के सबसे बुरे रूपों में से प्रभावित होते हैं: उन्हें वेश्यावृत्ति में मजबूर किया जाता है, वे बाल अश्लीलता के कामों के लिये उपयोग किये जाते हैं, वे हैं बाल दासता , ऋण बंधन या मानव तस्करी से प्रभावित है|
पश्चिमी दुनिया में बाल श्रम के खिलाफ कई पूर्वाग्रह हैं: अक्सर ऐसे मामलों को मास मीडिया द्वारा किये गये घोटालों के माध्यम से जाना जाता है: इस तरह, एक काम करने वाले बच्चे को अक्सर गुलाम के रूप में देखा जाता है|
वास्तविकता अलग है हालांकि : संयुक्त राज्य अमेरिका या इटली जैसे देशों में ऐसी दुकानें पूरी दुनिया में मौजूद हैं। तथ्य यह है कि बाल श्रम हर जगह शामिल है लेकिन यह अक्सर छुपाया जाता है: इस काम के तीन से अधिक चौथाई बच्चे कृषि के क्षेत्र में काम करते है, या इसे परिवार के संदर्भ में घर पर किये गये गतिविधियों के साथ करना पड़ता है। अगर बच्चे के दास मौजूद हैं, तो वे केवल अल्पसंख्यक हैं|
परंपरागत रूप से, एक बाल श्रम को 5 से 14 साल की अवधि में एक बच्चे के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो श्रम कर रहा है, या तो भुगतान किया गया है या भुगतान नहीं किया गया है। ‘बाल श्रम’ शब्द का प्रयोग आमतौर पर उन बच्चों द्वारा किए गए किसी भी काम के संदर्भ में किया जाता है जो शिक्षा और आवश्यक मनोरंजन के अवसरों को कम करने वाले अपने पूर्ण शारीरिक विकास में हस्तक्षेप करते हैं। बाल श्रम के उन्मूलन के लिये किये गये कई प्रयासों के बावजूद, स्थिति अभी भी गंभीर है|
बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 अधिनियम कुछ निर्दिष्ट खतरनाक व्यवसायों में बच्चों के रोजगार पर रोक लगाता है|
राष्ट्रीय बाल श्रम नीति :
बाल श्रम की उच्च सांद्रता के क्षेत्रों में 1988 में पहली बार राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजनाएं (एन सी एल पी) शुरू की गई थीं। एन सी एल पी क्षेत्र-विशिष्ट हैं; समयबद्ध परियोजनाएं जहां खतरनाक रोजगार में लगे बच्चों के वापसी और पुनर्वास के लिए प्राथमिकता दी जाती है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एन सी एल पी) का मुख्य उद्देश्य इस देश में बाल श्रम के प्रसार को खत्म करना है|
एन सी एल पी के संचालन के घटक हैं :
i. बाल श्रम प्रवर्तन (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986, कारखाना अधिनियम 1948, खान अधिनियम 1952 और परियोजना क्षेत्र के भीतर ऐसे अन्य कृत्यों है
ii. गरीबी विरोधी कार्यक्रमों के तहत आय / रोजगार पैदा करने वाले कार्यक्रमों के तहत बाल श्रम के परिवारों का कवरेज किया गया।
iii. खतरनाक रोजगार में बाल श्रम के लिए औपचारिक और गैर औपचारिक शिक्षा। साथ ही, काम करने वाले माता-पिता को वयस्क शिक्षा (गैर औपचारिक शिक्षा सहित) देने का एक कदम उठाया गया ताकि वे अपने बच्चों को पढाई के लिये प्रेरित का सके।
iv. ऐसे विशेष विद्यालयों में भाग लेने वाले सभी बच्चों के लिए निषिद्ध नियोजन और स्वास्थ्य देखभाल से निकाले गये बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा / प्रशिक्षण के प्रावधान के साथ बाल श्रमिकों के लिए विशेष विद्यालयों की स्थापना करना।
v. बाल श्रम के मुद्दे पर अपनी चेतना बढ़ाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से समाज में विभिन्न लक्षित समूहों के बीच जागरूकता पैदा करना।
vi. परियोजना क्षेत्रों में बाल श्रम का सर्वेक्षण और समय-समय पर परियोजना की प्रगति का मूल्यांकन करना।
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