गन्ने की खेती कैसे शुरू करे How To Start Sugarcane Plantation in Hindi?
गन्ने की खेती कैसे शुरू करे How To Start Sugarcane Plantation in Hindi?
Suagarcane जिसे हिंदी में गन्ना कहते है. जिससे चीनी, गुड, शराब आदि बनाया जाता है. गन्ना भारत की एक प्रमुख नगदी फसल है. विश्व भर में गन्ना के उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है.
गन्ने की खेती कैसे शुरू करे How To Start Sugarcane Plantation in Hindi?
गन्ने का बैज्ञानिक नाम –
- Family: Gramineae
- Botanical Name: Saccharum officinarum
भारत में गन्ने के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है. उत्तर प्रदेश भारत में कुल गन्ने के उत्पादन का लगभग 55 फीसदी अकेले ही उगाता है. 10 राज्यों के गन्ना उत्पादन में स्थान एस प्रकार है –
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक , तमिलनाडु, बिहार, गुजरात , आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना ,हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड.
गन्ने की प्रमुख किस्मे (जातियाँ )
भारत में गन्ने की कई किस्मे पाई जाती है जिनकी पैदावार बहुत ही अच्छी और गन्ने की क्वालिटी भी अच्छी रहती है. गन्ने की किस्मे इस प्रकार है – CoS.687, CoPant.84211, CoJ.64, CoLk.8001, Co.1148, CoS.767, CoS.802, CoC.671, CoC.85061, Co.8021, Co.6304, Co.1148, CoJ. 79, CoS.767, Co.740, CoM.7125, Co.7527, CoC.671, Co.740, Co.8014, Co.7804, Co.740, Co.8338, Co.6806, Co.6304, Co.7527, Co.6907, Co.7805, Co.7219, Co.7805, Co.8011
ये सभी गन्ने की किस्मे को इस तरह से तैयार किया गया है कि ये किसी भी तरह की परिस्थिति को झेल सके.
गन्ने की खेती के लिए भूमि
गन्ने की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. गन्ने की खेती ऐसे भूमि कमे करना चाहिए जहाँ पानी ना रुकता हो. गन्ने की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की की जाँच भी करवा सकते है क्योकि अम्लीय या क्षारीय मिट्टी गन्ने के लिए अच्छा नहीं होता है. आप गन्ने की खेती शुरू करने से पहले अपने खेत की मिट्टी को पलटने के लिए 3 से 4 बार हल से जुताई करनी चाहिए.
जमीन का शोधन
गन्ने की बुआई से पहले जमीन में लगे दीमक और भी कई तरह के कीट होती है जो फसल को नुकसान पहुचाते है, इसीलिए पहले इनको ख़त्म करने के लिय दवाई का छिडकाव किया जाता है. गन्ने के बीज पर भी कई तरह के कीड़े होते है उनके रोकथाम के लिए भी इस दवाई का छिडकाव किया जाता है.
बुआई का समय
गन्ने की बुआई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवम्बर महीने में होता है. इस समय में गन्ने की उत्पादन काफी अच्छी होती है. बसंत में गन्ने की बुआई फ़रवरी और मार्च में भी किया जाता है.
उर्वरक (खाद)
खेत की मिट्टी की जाँच के आधार पर भूमि में उर्वरक डालना चाहिए. गन्ने के लिये 150-180 कि0ग्रा0 नत्रजन, 60 कि0ग्रा0 फास्फोरस, 40 कि0ग्रा0 पोटाश, 25 कि0ग्रा0 जिंक सल्फेट व 20 कि0ग्रा0 फेरस. सल्फेट प्रति हैक्टेयर प्रयोग करें. ये सभी उर्वरक बुआई के समय डालने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता अच्छी होने गन्ने की पैदावार भी अच्छी होगी. इसके साथ आप बायोफर्टिलाइजर भी डाल सकते है जैसे – एजोटोबैक्टर आयर फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ने वाला कल्चर को बुआई के समय डालना चाहिए.
बीज को तैयार करना
गन्ने की बीज के लिए एक गन्ने में लगभग तीन तीन भाग करना चाहिए. गन्ने के ऊपर वाले भाग में अंकुरण ज्यादा अच्छी होती है इसलिए उपरी भाग का ज्यादा इस्तेमाल करे. गन्ने के बीज को बोने से पहले रोग रहित करना बहुत जरुरी होता है, जिससे गन्ने का अंकुरण अच्छा हो.
गन्ने की बुआई
गन्ने की बुआई से पहले खेत में अच्छे तरीके से खाद पड़ी हो, बसंत में 75 cm और शरद ऋतू में 90 cm की दूरी पर रिज़र की सहायता से 20 cm गहरी नालियाँ बनवानी चाहिए. इसके बाद गन्ने के टुकडो को इन नालियों में डाल देना चाहिए और साथ में कुछ उर्वरक और दीमक जैसे कीटो के लिए दवाई का छिडकाव भी कर देना चाहिए. इसके बाद मिट्टी से गन्ने के टुकडो को ढक कर नाली बंद कर देना चाहिए. बुआई बाद भी अगर दीमक का प्रकोप रहता है तो किसी विशेषज्ञ से राय ले.
गन्ने की सिचाई
मैदानी क्षेत्रो में शरद ऋतु में बोई गई फसल में 7 सिंचाई बरसात के पहले और 2 सिचाई बरसात के बाद कम से कम की जानी चाहिए. बसन्त ऋतु की फसल में 6 सिंचाई करनी चाहिए जिनमे 4 वर्षा के पहले और 2 सिचाई वर्षा के बाद करनी चाहिए है. जब गन्ने के कल्ले निकलने लगे उस समय एक सिचाई अवश्य लगानी चाहिये. तराई क्षेत्रों में सिंचाई केवल 2-3 बरसात के पहले पर्याप्त होती हैं तथा बरसात के बाद एक सिंचाई की.
खरपतवार नियंत्रण
गन्ना बोने के 25-30 दिन के अन्तर पर कम से कम तीन गुड़ाईयां करके खरपतवारों को नियन्त्रण किया जा सकता है. खरपतवार के नियंत्रण के लिए कुछ रसायनों का भी इस्तेमाल किया जाता है. गन्ना बोने के तुरन्त बाद एट्राजीन की 2 किलोग्राम सक्रिय पदार्थ मात्रा 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.
गन्ने की कटाई
गन्ने की कटाई करने के लिए सबसे पहले हैण्ड रिफै्रक्टोमीटर से माप ले. जैसे ही हैण्ड रिफै्रक्टोमीटर (दस्ती आवर्तन मापी) का बिन्दू 18 पहुंचे गन्ने की कटाई शुरू कर देनी चाहिये. यंत्र के के ना होने पर गन्ने की मिठास से भी गन्ने के पकने का पता लगाया जा सकता है. जब गन्ना पक जाए तो उसकी कटाई शुरू कर देनी चाहिए.
रोगों में रोग और रोकथाम
गन्ने में कई तरह रोगों के होते है जिनमें से कुछ इस तरह से है –
- लाल सड़न – कोलेटाट्राइकम फालकेटम
- उकठा – सिफैलोस्पोरियम सेकेराई
- कुडुवा – अस्टीलगो सिटैमीनिया
- पोक्हा बोइंग
- दीमक – ओडोंटोटर्मिस ओबेसेस
- व्हाइट ग्रब – होलोट्राईकिया कोनसेनजिनिया
इन सभी रोगों के रोकथाम के लिए कई प्रकार की दवाइयां आती है जिसको आप विशेषज्ञों की राय पर अपने खेत में डाले.