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Home » Speech » वर्षा- जल संचयन पर भाषण Speech on Rain Water Harvesting in Hindi

वर्षा- जल संचयन पर भाषण Speech on Rain Water Harvesting in Hindi

Last Modified: January 4, 2023 by बिजय कुमार Leave a Comment

वर्षा-जल संचयन पर भाषण Speech on Rain Water Harvesting in Hindi

इस लेख में हमने वर्षा- जल संचयन पर भाषण प्रस्तुत किया है Speech on Rain Water Harvesting in Hindi

पढ़ें : वर्षा जल संचयन पर निबंध

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    • वर्षा जल का संचयन कैसे किया जाये? How to harvest rainwater??

वर्षा- जल संचयन पर भाषण Speech on Rain Water Harvesting in Hindi

सभी आदरणीय श्रोताओं को मेरा अभिवादन। आज मैं आप सभी के समक्ष वर्षा जल के संचयन से जुड़े विचार प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। 

आदरणीय श्रोताओं जैसा कि हम सभी जानते हैं जल जो कि इस धरती का सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, बहुत अधिक गति के साथ कम हो रहा है। यहाँ पर जल से तात्पर्य समुद्र के पानी से नही बल्कि नदियों, झरनों तथा ग्लेशियरों से प्राप्त होने वाले जल से है।

यह उन संसाधनों में से एक है, जो धीरे- धीरे घट रहे हैं, तथा मानव जिनका अभी तक मूल्य नही समझ पाया। परंतु, जल के घटते स्तर के साथ हमने स्वयं को चौकन्ना रखना शुरू कर दिया है, तथा जल की महत्ता तथा इसके संरक्षण की आवश्यकता को प्राथमिकता देने लगे हैं।

जल के घटते स्तर का सबसे बड़ा तथा प्रमुख कारण पर्यावरण में होने वाला प्रदूषण है। यह इसी प्रदूषण का नतीजा है कि ज़मीन के नीचे भूमि गत जल का स्तर भी लगातार घट रहा है। जल की इस कमी के कारण ही ग्रीष्म ऋतु में ट्यूब वेल, नल तथा हैण्ड पंप सूख जाते हैं और ऐसे में उनसे जल की प्राप्ति संभव नही हो पाती।

विशेषकर राजस्थान के रेतीले तथा गर्म क्षेत्रों में जल के बिना जन- जीवन अस्त- व्यस्त रहता है। इस वजह से उन्हें जल के दूषित स्त्रोतों पर जल- प्राप्ति के लिए निर्भर रहना पड़ता है। जिसके कारण वहां पर लोग बीमार पड़ते हैं, जो आगे चलकर महामारी या फिर अकाल का रूप ले लेता है।

लोग सिर्फ प्यास से नही मरते, वे मरते हैं दूषित जल पीने की वजह से हुए रोग तथा बीमारियों से। इसी से बचने के लिए अब लोगों के मध्य जल- संरक्षण के बारे में जागरूकता फैल रही है। जल संरक्षण का एक सबसे बेहतर तथा कारगर उपाय रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) यानी कि वर्षा जल संचयन व्यवस्था है। 

रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) वह प्रक्रिया है, जिसमे वर्षा से गिरने वाले जल को भविष्य में उपयोग में लाने के लिए संग्रहीत कर लिया जाता है। सामान्य तौर पर, यह पानी छतों से नीचे गिरते वक़्त किसी बड़े स्टोरेज टैंक में एकत्रित कर लिया जाता है। यदि वर्षा जल संचयी प्रणाली को उचित तरीके से स्थापित किया जाये, तो यह निश्चित रूप से अच्छी गुणवत्ता वाले जल का किफायती,सतत तथा सुरक्षित स्त्रोत के रूप में उपयोगी होगा। 

वर्षा जल संचयी प्रणाली अनेक रूपों में हमारे लिए कारगर साबित हो सकती है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान होने वाली पानी की कमी को यह पूरा करती है। एक बार यदि आप वर्षा जल को एकत्रित करते हैं, फिर आप इसका इस्तेमाल अधिक समय तक अनेक कार्यों के लिए कर सकते हैं।

यह सुरक्षित होता है, क्योंकि वर्षा जल, जल का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है, जो जीवाणु, विषाणु, रसायन, धूल इत्यादि से रहित होता है। इस संचयित वर्षा जल का प्रयोग अनेक प्रकार के कृषि कार्यों तथा जानवरों के इस्तेमाल के लिए भी किया जाता है। संचयित वर्षा जल लोगों को अकाल जैसी प्राकृतिक विपदाओं से निपटने में भी सहायता करता है। 

वर्षा जल संचयन प्रणाली के द्वारा पानी की लगातार बढ़ती कमी को रोका जा सकता है, तथा इसके साथ ही साथ भूमि के नीचे जल की मात्रा को भी बढ़ाया जा सकता है। इसके द्वारा अतिरिक्त वर्षा जल जो नालियों तथा सीवर इत्यादि के रास्ते से बह जाता है अथवा सड़कों आदि पर हुए गड्ढों में भरा रहता है, उसे भी सुरक्षित किया जा सकता है। वर्षा जल संचयन के द्वारा मृदा-अपरदन को रोका जा सकता है। वर्षा जल संचयन प्रणाली साफ़ जल के एक प्राकृतिक रिन्यूएबल अर्थात अक्षय स्त्रोत के रूप में भी प्रयोग की जा सकती है।

वर्तमान परिदृश्य में वर्षा जल संचयन प्रणाली वैश्विक स्तर पर एक बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है। ऐसा इसलिए क्योंकि समस्त विश्व में एक तरफ पानी की कमी को लेकर हाहाकार मच रहा है तो दूसरी तरफ जल संरक्षण के लिए प्रयुक्त विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों पर शोध जारी है। जिससे कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को जल जैसे प्राकृतिक संसाधन की कमी का सामना ना करना पड़े। 

पढ़ें: जल है तो कल है पर निबंध

वर्षा जल का संचयन कैसे किया जाये? How to harvest rainwater??

वर्षा जल संचयन प्रणाली की दो प्रमुख प्रचलित पद्धतियां हैं: छत से गिरने वाले वर्षा जल को एकत्रित करना तथा सीधे ज़मीन द्वारा भूमि गत जल के रूप में पानी का संरक्षण करना। वर्षा जल को एकत्रित करने ज़मीन के अंदर रिसने दिया जाता है, जिससे कि यह जल कुओं तक पहुंच सके, न कि ज़मीन पर बहते हुए नदियों में जाकर मिले।

इस प्रकार से छतों पर से गिरने वाले वर्षाजल को भूमि द्वारा अवशोषित करने दिया जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप धरती के नीचे के भूमिगत जल का स्तर बढ़ जाता है तथा इस पानी को कुओं द्वारा निकालकर प्रयोग में लाया जाता है। यह पानी वर्ष भर कुओं में बना रहता है। 

सदियों से लोग घरों, तथा खेतों में कृषि कार्यों हेतु वर्षा जल संचायी प्रणाली पर ही निर्भर रहे हैं। परंतु उसके बाद जब से केंद्रीय स्टोरेज टैंक जल वितरण प्रणाली प्रारंभ हुई है, उसके बाद से लोगों ने वर्षा जल संचयन प्रणाली तथा कुओं के महत्त्व को अनदेखा करना शुरू कर दिया, जबकि यही वे स्त्रोत हैं जो प्राकृतिक रूप से स्वच्छ तथा साफ़ जल की उपलब्धता करवाते हैं। 

निम्न कुछ कारणों से पिछले कुछ दशकों में जल संरक्षण की इन प्राकृतिक प्रणालियों पर लोगों का ध्यान वापस आकर्षित हुआ है:

  • गर्म तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में पानी की कमी का होना।
  • केंद्रीय जल वितरण प्रणाली के प्रयोग की तीव्र आर्थिक तथा पर्यावरणीय कीमत चुकाना।
  • वर्षा जल से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली से केंद्रीय जल वितरण प्रणाली की तुलना में खर्च में प्राप्त होने वाली संभावित छूट।

वर्षा जल संचयन प्रणाली एक अत्यंत सरल तकनीक है, जिसे अपनाने से हमारी दैनिक जीवन की पानी की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इस प्रणाली का प्रयोग घरेलू तथा व्यावसायिक दोनों ही प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है। 

छतों से नीचे गिरने वाले पानी को नीचे आते ही इसे या तो पाइपों के माध्यम से आगे इस्तेमाल के लिए भेज दिया जाता है, अन्यथा वही पर पास में बनाये गए बड़े स्टोरेज टैंकों में एकत्रित किया जाता है। इसे कृत्रिम रिचार्ज प्रणाली के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। वर्षा जस्ल के संचयन की यह पद्धति अत्यधिक कारगर तथा किफायती साबित होती है।

अगर इसका ठीक से प्रयोग किया जाये, तो यह उस क्षेत्र के भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। परंतु, कभी कभी छत में उपस्थित धूल इत्यादि गन्दगी इस पानी के साथ ही नीचे आ जाती है। अतः इसे रोकने के लिए लोग अलग- अलग प्रकार के फ़िल्टर इत्यादि का प्रयोग करते हैं। 

जल की कमी को दूर करने के कुछ अन्य उपाय भी अपनाएं जा सकते हैं। गर्म जलवायु वाले प्रदेशों में जल के अभाव की समस्या लगभग हमेशा ही बनी रहती है। इसी गर्मी का प्रयोग करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। सौर ऊर्जा से चलने वाले वाटर- प्योरिफाइर्स, जिनमे जिंक ऑक्साइड तथा टाइटेनियम ऑक्साइड लगे कंटेनर्स को पराबैंगनी किरणों के सम्पर्क में रखा जाता है, तथा इससे उस कंटेनर का जल पीने लायक तथा स्वच्छ हो जाता है। 

जल को जिन स्टोरेज टैंकों में एकत्रित किया जाता है, समय समय पर उन टैंकों तथा पाइपों की जाँच करते रहना चाहिए, ताकि उनमे किसी प्रकार का छिद्र इत्यादि न हो। इसके कारण अधिक मात्रा में पानी व्यर्थ में बह जाता है, जिसका हमे पता भी नही चल पाता है।

जल की कमी को दूर करने के लिए, कंटेनरों की सतहों को कार्बन डाइऑक्साइड की सहायता से साफ़ करते रहना चाहिए। इसके लिए ठोस CO2 का प्रयोग किया जाता है। यह जल की कमी को दूर करने के साथ ही साथ पर्यावरण को भी बचाने में सहायता करती है। 

वर्षा जल का उपयोग घरों तथा व्यवसायों में किया जाता है। वर्षा जल संचयन प्रणाली के कारण हमें कभी भी ताज़े स्वच्छ पानी की प्राप्ति हो जाती है। इसके कारण जल के प्रयोग हेतु दिए जाने वाले खर्च में भी कमी होती है, तथा यह सुनिश्चित रहता है कि आवश्यकता के समय पर जल्द से जल्द हम तक पानी की आपूर्ति हो सके।

इसके लिए बस आपको इससे संबंधित थोड़े से ज्ञान की तथा कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके उपयोग से हम भी कहीं न कहीं जल-संरक्षण के उद्देश्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।

Filed Under: Speech Tagged With: वर्षा ऋतु और स्वास्थ, वर्षा ऋतु के बारे मे, वर्षा जल संचयन, वर्षा जल संचयन के तरीके, वर्षा जल संचयन के तरीके और फायदे

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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