आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध Essay on Modern Indian Women in Hindi
इस लेख में आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध (Essay on Modern Indian Women in Hindi) दिया गया है। आज नारी शक्ति हर क्षेत्र में प्रगति कर रही है और उसमें भी भारतीय नारी काफी तीव्र गति से प्रगति कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रही हैं। आधुनिक नारी पर दिया गया यह निबंध बेहद सरल भाषा में है।
आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध Essay on Modern Indian Women in Hindi
प्राचीन काल से ही भारत भूमि पर स्त्रियों को देवी तुल्य माना गया गया है। प्राचीन काल की नारियाँ समाज तथा देश के महत्वपूर्ण कार्यों में भी अपना विशेष स्थान रखती थी। प्राचीन काल में तो नारियाँ, राज-महराजाओं की सभा में उपस्थित होकर विभिन्न प्रकार के विषयों पर बोलने का अधिकार रखतीं थी।
किंतु समय के साथ नारियों की स्थिति विचारणीय होती गयी और नारी केवल पुरुषों के लिए उनकी इक्षापूर्ती की वस्तु मात्र बनकर रह गयी। आजादी के बाद से भारत सरकार के साथ ज्योतिबा फुले, सावित्रि बाई फुले आदि समाज सेवकों के अथाह प्रयासों के कारण आज की नारी अपने आप को स्वतंत्र महसूस कर रही है। (पढ़ें: भारत के कुछ महान समाज सुधारक)
भारतीय संविधान के द्वारा नारी तथा पुरुषों को प्रत्येक क्षेत्र में समान अधिकार प्रदान करने पर आज की नारी शिक्षित और जागरूक हैं। वर्तमान युग में आज की नारी का एक महत्वपूर्ण स्थान है, आज भी वह श्लोक सर्वविदित है।
“यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु, तत्र रमन्ते देवताः”
अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है देवता भी वहीँ प्रसन्न होकर निवास करते हैं। इसलिए भारत में नारियों को समाज और देश में सम्मान देने का रिवाज चलता आया है।
आज की भारतीय नारी पुरुषों के साथ हर एक क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहीं हैं। क्योंकि वह अपने अधिकारों के लिए लड़ना तथा आत्मनिर्भर बनना भलीभांति जानती है।
आज की नारी अब रसोई तक सिमट कर नहीं रह गयी, वह अपने परिवार का ख्याल रखने के साथ ही बिज़नेस, नौकरी करती है और देश – विदेश में होने वाली अच्छी बुरी गतिविधियों के बारे में जानकारी भी रखती हैं।
वर्तमान समाज में नारी की भूमिका Role of Women in Current Society in Hindi
एक बार एक महिला ने एक संत से पूछा की कोई भी स्त्री अपनी होने वाली संतान को सुसंस्कारी और ज्ञान वान कैसे बना सकती है?
तो संत ने कहा की “स्त्री स्वयं ज्ञानी और संस्कार वान होकर” और साथ ही यह भी कहा किसी भी स्त्री में ही वह शक्ति होती है, की वह समाज को सही दिशा दे सके लेकिन शुरुवात उसे स्वयं से तथा अपनी संतान से करनी होगी।
नारी को ही बच्चों का पथ प्रदर्शक और पहला गुरु माना गया है। नारी ही शिशु के संस्कार और शिक्षा के लिए उत्तरदायी है। जहाँ एक तरफ नारी अपने घर परिवार को एकता के सूत्र में बांधने की अहम भूमिका निभाती है तो वहीं दूसरी तरफ नारी बच्चों को एक आदर्श और अच्छा इंसान बनने की शिक्षा प्रदान करती है।
नारी में जो संवेदना और सहनशीलता होती है, वह किसी और में नहीं हो सकती है। यहाँ तक कि यह भी कह सकते हैं, की नारी की भूमिका के बिना हमारा समाज बिन आत्मा सा प्रतीत होगा।
नारी और नौकरी Women and Job
नारी के उत्थान के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जिनमें महिला सशक्तिकरण के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, जैसे नारी उत्थान के कार्यक्रमों ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
इन कार्यक्रमों के कारण आज हम देख सकते है, की भारतीय नारी कहाँ-कहाँ अपने शौर्य का प्रदर्शन कर रही है? अब नारी घर में सिर्फ चूल्हा-चौका नहीं करती, अपितु भारत के किसी भी क्षेत्र या विभाग में अपना फ़र्ज़ निभा सकने में सक्षम हो रही हैं।
भारत सरकार ने नारी को पुरुष के सदृश: लाने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है। नारियों को नौकरी में आरक्षण दिया, प्रत्येक विभाग में उनके पदों की संख्या बढ़ायी, ताकि नारी की स्थिति में परिवर्तन हो इसके परिणामस्वरूप हम देख सकते हैं, की आज की भारतीय नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर ही सेवाएँ दे रहीं हैं।
इस दृश्य को देखकर बहुत से पुरानी रीति-नीतियों वाले वाले मनुष्यों की आंखे भी खुल गयी हैं और वे भी अपनी बच्चियों को पढ़ा लिखा कर एक अच्छे पद पर नौकरी करता देखना चाहते हैं। अमीर हो या गरीब सभी अपनी बच्चियों को बेहतर शिक्षा देने की इच्छा जता रहे हैं।
भारतीय समाज में नारी का स्थान Woman’s Place in Indian Society
प्राचीन काल में नारी पुरुष की पूरक मानी जाती थी और कोई भी धार्मिक कार्य नारी की अनुपस्थिति में असंभव होता था। क्योंकि नारी तथा पुरुषों को एक समान अधिकार प्राप्त थे।
हमारे धर्मग्रंथों में बहुत सी नारियां सर्वोच्च पद यानी ऋषिकाएं तथा महान विदुषीका के पद पर आसीन थीं, जिनमें मैत्रेयी, गार्गी, अनुसुइया आदि प्रमुख थीं, जिन्होंने अपने ज्ञान व कौशल से बड़े-बड़े पंडितो और विद्धवानो को भी परास्त कर दिया था।
किंतु समय बदलता गया और समय के साथ भारत पर तमाम आक्रान्ताओं और मुग़ल दुष्ट लुटेरों की गन्दी नज़र पड़ने लगी। परिणाम यह आया की उनके राक्षसी प्रवृत्ति के कारण भारत के लोग अपने धन तथा अपनी स्त्रियों को घर के अन्दर सुरक्षित रखने लगे।
मुगलों की गन्दी नज़रों से बचाने के लिए बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा ने अंधेरों की बेड़ियों में जकड कर रख दिया और यह परंपरा का रूप लेता चला गया। ऐसी कुरीतियों के कारण ही नारियों की स्थिति अंधकारमय हो गयी थी।
किंतु आधुनिक काल में नारियों की स्थिति आशाजनक है, स्वतंत्रता संग्राम में नारियों की अभूतपूर्व भूमिका रही रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई आदि नारियों ने अपनी वीरता और त्याग का परिचय दिया। सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गाँधी, राजा राममोहन राय, स्वामी दयानन्द सरस्वती आदि ने नारियों की दशा सुधारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
जिससे आज की नारी को समाज तथा देश के प्रत्येक विषय में बोलने के पूर्ण अधिकार है, अब वे केवल भोग विलासिता की वस्तु मात्र नहीं रही, आज उनका स्वतंत्र व्यक्तित्व है और स्वतंत्र सत्ता है।
जो क्षेत्र सिर्फ मजबूत पुरुषों के लिए माने जाते थे, जैसे आर्मी, नेवी या एयरफोर्स इत्यादि। आज इन सभी में नारियों की ऊँचे-ऊँचे पदों पर मौजूदगी है। यहीं नहीं हमारे देश में जब स्त्रियों को घरों में बंद रखने का रिवाज चरम पर था, तब एक स्त्री ही देश के सबसे ऊँचे पद प्रधानमंत्री बनकर देश का संचालन किया था।
नारीशक्ति का विकास Development of Woman Power
आज भी स्त्री प्रताड़ना तथा बलात्कार जैसे हेय कृत्य की ख़बरों से अखबार और न्यूज़ चैनल भरे होते हैं। इसलिए नारी सशक्तिकरण सिर्फ नारों से नहीं बल्कि कुछ क्रांतिकारी कदम उठाने से पूर्ण होगा। क्योंकि जहाँ के अपराधी प्रवृत्तियों के लोगों को कानून का डर न होगा, तो वे स्त्रियों को सिर्फ खिलवाड़ की वस्तु ही समझेंगे।
अगर वास्तव में नारी को अपनी जगह बनानी है, तो नारी शक्ति को अपनी ताकत का आभास करना ही पड़ेगा। क्योंकि कोई अन्य व्यक्ति किसी को सिर्फ सहानुभूति ही दे सकता है।
शक्ति उसे स्वयं प्राप्त करनी होती है। ठीक उसी प्रकार स्त्रियों को भी अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध करना ही होगा और अपनी सुरक्षा के स्थान पर अपने हक की बात करनी होगी, क्योंकि सुरक्षा उनका अधिकार है।
आज स्त्रियों को पुरुषों की भांति समान अधिकार देना ही होगा यह उनका हक है और उनके हक के अनुसार उन्हें समाज में उचित स्थान मिलना ही चाहिए। हमें शुरुवात अपने घर की नारियों से करना होगा और उन्हें सहायता के साथ प्रोत्साहन भी देना होगा, तब जाकर कही नारी शक्ति का उदय हो सकेगा।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने आज की आधुनिक भारतीय नारी पर निबंध पढ़ा। जिसमें नारियों के उत्थान के लिए जरूरी मुद्दों को शामिल किया गया है। आशा है यह निबंध आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।