इस लेख में भारत में प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार Types of natural vegetation in India Hindi
भारत में प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार Types of natural vegetation in India Hindi
भारत को विभिन्न प्रकार के वनस्पतियां और जीव, वरदान में मिले है। हमारी प्राकृतिक वनस्पति प्रकृति द्वारा उपहार है। वे बदलती हुयी जलवायु के द्वारा स्वाभाविक रूप से विकसित होती हैं। विविध भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण भारत में प्राकृतिक वनस्पति की एक विस्तृत श्रृंखला बढ़ती है।
प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार वर्षा, मिट्टी, जलवायु और स्थलाकृति के अनुसार भिन्न- भिन्न होते हैं। खेती की गई फसलें और फलों के बगीचे वनस्पतियों का एक हिस्सा हैं, लेकिन वे प्राकृतिक वनस्पति नहीं हैं।
भारत में प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार –
- उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन
- पर्णपाती या मानसून वनों का प्रकार
- शुष्क पर्णपाती वन
- पर्वत वन
- ज्वारीय या मैंग्रोव वन
- अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तान वनस्पतियां
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन Tropical Evergreen Rain Forests
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है। वे आमतौर पर अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, असम, नागालैंड, पश्चिमी घाट, हिमालय के तराई क्षेत्रों, अंडमान द्वीप समूह और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये खासी और जयंती की पहाड़ियों में भी पाए जाते हैं। इस क्षेत्र के पेड़ों में तीव्रता के साथ वृद्धि होती है।
इस क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख पेड़ों में चंदन की लकड़ी, गुलाब की लकड़ी, गरजन, महोगनी और बांस हैं। इनमें सभी प्रकार के पौधों, झाड़ियां और लताएं भी पाये जाते हैं, जो एक बहु-स्तरीय संरचना में दिखाई देते हैं। हाथी, बंदर इन इलाकों में पाए जाने वाले आम जानवर हैं।
पर्णपाती वन Deciduous Forests
पर्णपाती वन हिमालय, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के निचले ढ़लान पर पाये जाते हैं।
इस क्षेत्र में वर्षा 100 सेंटीमीटर और 200 सेंटीमीटर के बीच होती है। सागौन इस क्षेत्र में दिखाई देने वाली प्रमुख प्रजाति है, इसके साथ ही देवदार, गोंद के वृक्ष, पलाश,चंदन लकड़ी, आबनूस, साल, ताड़ आदि वृक्ष भी देखने को मिलते है।
तेज सर्दियों और शुष्क गर्मीयों के दौरान इस जंगल में पेड़ अपने पत्तों को गिरा देते हैं। पानी की उपलब्धता के आधार पर इन जंगलों को फिर से नम और शुष्क पर्णपाती वन में विभाजित किया गया है।
शुष्क पर्णपाती वन Dry Deciduous Forests
ये जंगल उन क्षेत्रों में उगते हैं जहां वर्षा 50 सेंटीमीटर और 100 सेंटीमीटर के बीच होती है। इन्हें मुख्य रूप से मध्य डेक्कन पठार, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के दक्षिण-पूर्व के कुछ हिस्सों में देखा जाता है।
पर्वत वन Mountain Forests
पर्वत के जंगलों में पर्वत की ढ़लानों के साथ भिन्नता पायी जाती है। 1500 मीटर की ऊंचाई से हिमालय की तलहटी तक साल, सागौन जैसे सदाबहार वृक्ष और बांस प्रचुर मात्रा में विकसित होते हैं।
उच्च ढलान पर, पाइन जैसे समशीतोष्ण शंकुवृक्ष वृक्ष और ओक के वृक्ष विकसित होते है। हिमालय की ऊंचाई पर, रोडोडेंड्रोन और जनीपर्स पाए जाते हैं। इन वनस्पति क्षेत्रों की तुलना में अल्पाइन घास के मैदानों में ऊपर की तरफ बर्फ के मैदान तक दिखाई देता है।
ज्वारीय या मैंग्रोव वन Tidal or Mangrove Forests
मैंग्रोव या ज्वारीय वन तट के किनारे और डेल्टा के किनारों पर बढ़ते हैं, जैसे कावेरी, कृष्णा, महानदी, गोदावरी, और गंगा के डेल्टा। पश्चिम बंगाल में, इन वनों को ‘सुंदरबन’ के नाम से जाना जाता है। इन जंगलों में ‘सुंदरी’ एक सबसे बड़ा पेड़ है।
ज्वारीय वन के महत्वपूर्ण पेड़ हैं- हॉग, गरण, पसूर आदि। यह वन लकड़ी उद्योग में एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि वे लकड़ी और ईंधन की लकड़ी प्रदान करते हैं। पाम और नारियल के पेड़ तट के किनारे को सुशोभित करते हैं।
अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तानी वनस्पतियां Semi-Desert and Desert Vegetations
इस क्षेत्र में 50 सेंटीमीटर से कम बारिश होती है। इस वनस्पति क्षेत्र में कांटेदार झाड़ियाँ, बबूल पाए जाते हैं। आम तौर पर यहां खजूर, काजू के वृक्ष पाये जाते है।
यह घने बसे रहते है। सूखा के दौरान इस क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे अपने तने में पानी को सुरक्षित कर लेते है। ये वनस्पति गुजरात, पंजाब और राजस्थान में कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।