भारतीय कृषि प्रणाली पर निबंध Essay on Indian Agricultural System in Hindi
इस लेख में आप भारतीय कृषि प्रणाली पर निबंध Essay on Indian Agricultural System in Hindi पढ़ेंगे। इसमें हमने भारतीय कृषि प्रणाली क्या है, इसके प्रकार, लाभ-हानी, आर्थिक मजबूती, जल सुविधा, भविष्य की योजनाएं जैसी कई विषयों को सम्मिलित किया गया है।
भारतीय कृषि प्रणाली पर निबंध Essay on Indian Agricultural System in Hindi
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 50% से भी अधिक की आबादी अपनी आजीविका चलाने के लिए कृषि व्यवसाय पर निर्भर है। भारतीय कृषि प्रणाली दुनिया में सबसे अनोखी मानी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय खाद्य व्यवसाय मंच पर भारत को एक अलग नजर से देखा जाता है। यह इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि यहां की मिट्टी उपजाऊ है, इसी वजह से अपनी अनोखी कृषि प्रणाली के कारण ही भारत दुनिया में सबसे अच्छे गुणवत्ता तथा पोषण युक्त व उपजाऊ खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने के लिए प्रसिद्ध है।
समान्यतः सामाजिक, आर्थिक एवं भौगोलिक दृष्टि के अनुरूप खेती करने के लिए आवश्यक सामग्री के मिश्रण तथा जो विधि फसल उत्पादन में सहायक होती है, उसे कृषि प्रणाली कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो ऐसी पद्धति जिसकी सहायता से कृषि कार्यक्रम की जाती है, उसे कृषि पद्धति अथवा प्रणाली कहा जा सकता है। यह एक प्रकार से कृषि उत्पादन से जुड़ी एक निर्णायक इकाई होती है।
क्योंकि भारत आज भी गांवों में बसता है, जहां बड़ी मात्रा में खेती की जाती है। आमतौर पर इतनी विविधताओं से भरे होने के कारण कृषि प्रणालियां भी विभिन्न प्रकार की देखी जाती हैं।
प्रत्येक प्रणाली का अपना अलग महत्व होता है। इसके अलावा कृषि मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे खेती के लिए उपयोगी तकनीकी साधनों में आवश्यक बदलाव लाए जाएंगे।
भारतीय कृषि प्रणाली के प्रकार Types of Indian Agricultural System in Hindi
उत्पादन, स्वामित्व एवं भौगोलिक दृष्टि के आधार पर भारतीय कृषि प्रणाली को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया:
राजकीय खेती (State Farming)
जैसा कि नाम से स्पष्ट हो रहा है, कि ऐसी भूमि जो सरकार के अंतर्गत आती है। राजकीय खेती में जो प्रबंधन और नियमित कार्य किया जाता है, वह सरकारी कर्मचारियों द्वारा होता है।
बीज की अच्छी गुणवत्ता नापने तथा उसे बढ़ाने एवं नए-नए अनुसंधान से जुड़ी खेती काम करने के लिए यह प्रणाली चलाई जाती है।
किसानों को सरकार की तरफ से उच्च गुणवत्ता वाले बीज, दवाइयां और जरूरी फर्टिलाइजर्स प्रदान करने के लिए ऐसे राजकीय खेती स्थापित किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे कई राज्यों में बड़ी मात्रा में राजकीय खेती चलाई जाती है।
पूँजीवादी खेती (Capitalistic Farming)
पूंजीवादी खेती यह बहुत हद तक पुराने जमींदारी खेती से मिलती जुलती है। खेती की इस प्रणाली में बड़े पूंजीपति कर्मचारियों को वेतन प्रदान करके उनसे खेती करवाते हैं।
आमतौर पर या तो पूंजीवादी खेती सीधे सरकार के अधिग्रहण से पूंजी पतियों को प्रदान की जाती है, या फिर वह भूमि स्वयं खरीद कर अपने लाभ के लिए खेती करवाते हैं।
आज के समय में पूंजीवादी खेती की इस प्रणाली का महत्व कम होता दिखाई दे रहा है। अधिकतर वाणिज्य फसलों के लिए पूंजीवादी खेती स्थापित की जाती है।
निगमित खेती (Corporate Farming)
भारत के अलावा निगमित खेती अमेरिका जैसे कुछ पश्चिमी देशों में भी प्रचलित है। यह प्रणाली बहुत हद तक पूंजीवादी खेती की प्रणाली से मिलती-जुलती है।
केवल पूंजीपतियों के स्थान पर दूसरी छोटी बड़ी इंडस्ट्रियल कंपनियां लाभ के लिए निगमित खेती करवाते हैं। भारत के कुछ निश्चित राज्य में ही निगमित खेती की प्रणाली प्रचलित है।
काश्तकारी खेती (Peasant Farming)
काश्तकारी खेती को व्यक्तिगत खेती भी कहा जाता है, जिसमें पूरे खेती का स्वामित्व केवल एक किसान के नाम ही होता है। काश्तकारी खेती के अंतर्गत कोई भी कृषक सीधे राज्य सरकार से संपर्क करने में सक्षम होता है।
सरल भाषा में कहा जाए तो केवल एक व्यक्ति निश्चित भूमि का मालिक होता है, जिसके पास खेत से जुड़े सभी अधिकार प्राप्त होते हैं।
जमींदारी खेती की प्रणाली का अंत होने के बाद भारत में काश्तकारी अथवा व्यक्तिगत खेती एक प्रचलित भारतीय खेती प्रणाली है।
सामूहिक खेती (Collective Farming)
सामूहिक अथवा संयुक्त खेती में कृषकों की कुल संख्या दो या उससे अधिक भी हो सकती है, जो आपस में परस्पर संसाधनों की साझेदारी करके कृषि कार्य करते हैं तथा उससे होने वाले लाभ और हानि को भी अनुपात में बांटते हैं।
इस प्रकार की खेती में साझेदारी करने से खेत का आकार भी बहुत बड़ा होता है, जिसमें अच्छे फसल का उत्पादन होने से अधिक लाभ होने की संभावना भी रहती है।
सहकारी खेती (Co-operative Farming)
जरूरत अनुसार जब कोई किसान अपनी पूंजी, श्रम और लागत लगाकर अपनी भूमि पर लाभ के उद्देश्य से सामूहिक रूप से खेती करता है, तो उसे सहकारी खेती कहते हैं। सहकारी खेती भारतीय कृषि प्रणाली में सबसे प्रचलित प्रणालियों में से एक माना जाता है।
इसके अंतर्गत कई विभिन्न प्रकार की प्रणालियों का समावेश होता है, जिनमे सहकारी उन्नत खेती, सहकारी काश्तकारी खेती, सहकारी सामूहिक खेती और सहकारी संयुक्त खेती शामिल हैं।
कृषि यंत्रीकरण (Agricultural Mechanisation)
कृषि यंत्रीकरण का वास्ता ऐसी खेती प्रणाली से है, जिसमें तकनीकी एवं मशीनों की मदद से कृषि कार्य किया जाता है । सामान्यतः मानव और पशुओं के श्रम से जो खेती की जाती थी, उसे कृषि यंत्रीकरण की पद्धति से परिवर्तित करके आधुनिक खेती में बदला जाता है।
भारतीय कृषि प्रणाली के लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Indian Farming System in Hindi
लाभ
बेहतरीन कृषि प्रणाली अपनाकर भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा फसल उत्पादन करने वाला देश बन गया है। भारत, अमेरिका, ब्राजील और चाइना विश्व के ‘फूड प्रोड्यूसर सुपर पावर्स’ कहे जाते हैं। चलिए जानते हैं, कि भारतीय कृषि प्रणाली के अंतर्गत देश को कौन-कौन से लाभ हो रहे हैं।
- दुनिया के सबसे बड़े फ़सल उत्पादकों में शामिल
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय खाद्यों का दबदबा
- उन्नत कृषि प्रणाली अपनाकर लोगों को रोजगार प्राप्ति में सहायता
- मूल्य में सस्ते और बेहतरीन गुणवत्ता वाले फसल उत्पादन
- पूरे विश्व का पेट भरने में सक्षम भारतीय कृषि प्रणाली
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को प्रभावित करने की क्षमता
हानि
- सबसे बड़े फसल उत्पादकों में से एक, लेकिन न्यूनतम फसल निर्यातक देश
- भारतीय कृषि प्रणाली में आधुनिक कृषि उपयोगी तकनीकों की कमी
- किसानों के लिए मौसमी रोजगार एक बड़ी समस्या
- अनिश्चित जलवायु बदलाव से निपटने के लिए तकनीकों का अभाव
भारत में कृषि से आर्थिक मजबूती Economic Strength from Agriculture in India
यदि वैश्विक स्तर पर भारतीय कृषि की बात करें, तो हमारा देश एक अन्नदाता की तरह पूरी दुनिया की भूख मिटा रहा है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2021-22 के दौरान जीडीपी में 9.2% की बढ़ोतरी केवल कृषि क्षेत्र के योगदान से दिखा।
अर्थव्यवस्था मजबूत होने के कारण पूरे देश में लोगों को रोजगार के साधन मुहैया हुए हैं। भारत में कृषि क्षेत्र में होने वाले नए बदलाव और अवसर के चलते देश का गौरव दुनिया में और भी बढ़ा है।
पहले की तुलना में अब किसानों को पैदावार फसलो से प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले मंडी में बिचौलियों के जरिए ही किसान अपनी फसलों को दूसरे राज्यों में भेज पाते थे।
लेकिन सरकार की नई योजनाएं और नीतियों के तहत तमाम आर्थिक सहायता जरूरतमंद किसानों तक पहुंचाई जा रही है। पिछले कुछ दशकों में कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ा उछाल आया है। हरित क्रांति के पश्चात भारत अब इस क्षेत्र में भी विश्व का सबसे मजबूत राष्ट्र बनने के नक्शे कदम पर है।
भारतीय कृषि प्रणाली में जल सुविधा Water Facility in Agriculture System in India Hindi
कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई होती है। कृषि प्रधान देश होने के कारण आवश्यक सुविधाएं होने भी अति आवश्यक है। कृषि के लिए पानी की आपूर्ति करना प्राथमिक कार्य होता है।
इसके लिए भारत में कृषि प्रणाली विकास को गति देने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाता है। पहले कृषि केवल वर्षा ऋतु पर ही आधारित होती थी। आधुनिक युग में बारिश के विकल्प में सिंचाई के लिए कई दूसरे रास्ते मौजूद है।
वर्तमान में भारत में कुल 18.5 करोड हेक्टेयर जमीन खेती करने के योग्य है। कुल खेती योग्य भूमि में वर्तमान में केवल 17.2 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर ही कृषि की जा रही है।
हमारे देश में मुख्य तौर पर किसान सिंचाई के लिए कुओं तथा भूमिगत जल पर निर्भर रहते हैं। क्योंकि भारत उष्णकटिबंधीय देश है, जिसके कारण उच्च तापमान के कारण वास्पीकरण भी बहुत अधिक होता है।
लिहाजा खेती करने के लिए जल की पर्याप्त मात्र में आपूर्ति नहीं हो पाती है, तो इसके उपाय में कृतिम सिंचाई ही एकलौता मार्ग बचता है। ज्यादातर जलाशयों की सहायता से जल की आपूर्ति की जाती है वह प्राकृतिक होते हैं, इसलिए किसान इन्हें बिना अधिक पैसे खर्च किए भी स्वयं बना सकते हैं।
इससे जल की सुविधा नियमित रूप से मिलती रहती है। भारत में सिंचाई के मुख्य स्रोत में सबसे अधिक उपयोग ट्यूबवेल से होता है।
लगभग 45% से भी अधिक खेती करने के लिए ट्यूबवेल तकनीक का प्रयोग किया जाता है, इसके पश्चात कुओं से जल सिंचाई की प्रणाली भी भारत में प्रसिद्ध है। कुल उत्पादन में लगभग 19% से अधिक सिंचाई करने के लिए कुओं की सहायता ली जाती है।
भारत में सबसे अधिक लगभग कुल में से 28% कुओं द्वारा सिंचाई करने की प्रणाली उत्तर प्रदेश में अपनाई जाती है। इसके पश्चात राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे कई स्थानों पर भी यह लोकप्रिय सिंचाई प्रणाली है।
भारतीय कृषि प्रणाली में नहर सिंचाई प्रणाली का समावेश भी होता है। सरकार द्वारा बनाए जाने वाले नदियों पर तमाम परियोजनाओं के जलाशय से बड़े और महत्वपूर्ण नहरों को सीधे पानी पहुंचाया जाता है। यह जल स्त्रोत किसानों को सिंचाई करने में बेहद मददगार होते हैं।
इसके अलावा देश की सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए समय-समय पर कई नए सौगात देती रहती है और परियोजनाओं की सहायता से किसानों को लाभ पहुंचाने का काम करती है।
कृषि के लिए भारत सरकार की योजनाएं Govt. Yojanas For Krishi Development
हम सभी जानते हैं, कि भारत में लगभग 60% से भी ज्यादा जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका चलाने के लिए कृषि पर आश्रित हैं। इसके अलावा कृषि अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान भी देता है।
ऐसे में सरकार कृषि के लिए समय-समय पर नई योजनाएं संचालित करती रहती है, जिससे देशभर में किसानों को उनकी समस्याओं का निदान तथा परियोजनाओं का सही लाभ मिल सके। चलिए जानते हैं, कि अब तक कृषि के लिए भारत सरकार ने किस प्रकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन किया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पुणे: वर्ष 2018 में शुरू की गई यह योजना भारत सरकार के सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: 18 फरवरी 2016 में यह योजना संचालन में आई थी। अनिश्चित वातावरण के कारण अक्सर किसानों की फसलें तेज बारिश, आंधी, तूफान और कई प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हो जाती हैं, ऐसे में किसानों की साल भर की मेहनत मिट्टी में मिल जाती है।
ऐसी समस्याओं के कारण किसान कई बार आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी समस्या का निराकरण करने के लिए यह योजना बनाई है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना: वर्ष 1998 में भारत सरकार ने यह योजना अस्तित्व में लाई थी, जिसका उद्देश्य किसानों को क्रेडिट कार्ड की मदद से पर्याप्त मात्रा में लोन उपलब्ध करवाना था।
इस धनराशि से किसान आवश्यक बीज, कीटनाशक दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें खरीद सके इसके लिए यह योजना बहुत ही लाभकारी है।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: यह योजना किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक है। केंद्र सरकार किसानों को पेंशन योजना प्रदान कर रही है।
इसके अंतर्गत 60 वर्ष की आयु के बाद किसानों को न्यूनतम ₹3000 पेंशन के रूप में प्रदान किए जाएंगे। लगभग ₹200 प्रति माह इकट्ठा करने के बाद 60 वर्ष के बाद यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है, तो 50% एक्स्ट्रा धनराशि को उसके परिवार वालों को प्रदान कर दिया जाएगा।
यह थी कुछ सबसे महत्वपूर्ण कृषि योजनाएं इनके अलावा स्मान किसान योजना, पीएम कुसुम योजना, डेयरी उद्यमिता विकास योजना, पशुधन बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन योजना, स्वायल हेल्थ कार्ड योजना और जैविक खेती योजना की तरह ढेरों ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें केंद्र सरकार के जरिए किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।
भारतीय कृषि के लिए भविष्य की योजनाएं Future Plans for Agriculture System in India in Hindi
कृषि क्षेत्र को केवल सकल घरेलू उत्पाद से जोड़कर ही नहीं देखना चाहिए। यह तो केवल एक क्षेत्र है, जो अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है, लेकिन यदि कृषि क्षेत्र में जरूरी बदलाव और स्थिरता ना लाई गई, तो इससे देश के अधिकतर औद्योगिकी इकाइयां डगमगा सकती हैं।
उदाहरण स्वरूप लघु व ग्रामीण उद्योग, वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें कृषि क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
भारतीय कृषि के लिए भविष्य की योजनाएं बनाना और उसे पूरे देश में संचालित करना जरूरी है। केंद्र सरकार किसानों की चुनौतियां को देखकर भविष्य में आने वाली योजनाओं कि समझ लेती हैं।
हालाकी सरकार ने मौसम की अनियमितता से किसानों को राहत पहुंचाने के लिए योजनाएं तो कई सारी बनाई है, लेकिन तब भी भारी बारिश, बाढ़ अकाल तथा ऐसे कई कारणों से किसानों का ही नुकसान होता है। इस समस्या के निराकरण के लिए भारत सरकार भविष्य में कई योजनाएं ला सकती है।
इसके अलावा कृषि के साथ ही डेयरी उद्योग को भी बढ़-चढ़कर बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार की तरफ से सिंचाई के लिए नई नई परियोजनाएं बनाए जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण नदी घाटी परियोजनाओं की सहायता से सिंचाई योग्य आवश्यक जल सुविधा पहुंचाने के साथ ही तकनीकी में काम आने वाले इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करके किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
केंद्र सरकार के अधीन कृषि मंत्रालय समय-समय पर नई योजनाओं के विषय में लोगों को स्वयं सूचित करती रहती है।
परिचय
लाभ और हानि
आर्थिक मजबूती
जल सुविधा
कृषि के प्रकार
इत्यादि
ये सब में लाइन से पोस्ट कीजिए
Ok we will edit it