विदाई समारोह का भाषण Farewell Speech in Hindi (सैंपल फॉर्मेट – हिन्दी में)
इस लेख में हमने विदाई समारोह का भाषण (Farewell Speech in Hindi) कई प्रकार के सैंपल फॉर्मेट के साथ लिखा है। यह सभी Motivational और Inspirational फेयरवेल स्पीच हैं। यह सभी भाषण फेयरवेल पार्टी में दिया जा सकता है और बच्चे अपने परीक्षा के लिए भी मदद ले सकते हैं।
यहाँ आपको कई प्रकार के विदाई समारोह का भाषण मिल जायेंगे जैसे –
- छात्र विदाई समाहरोह भाषण
- शिक्षक विदाई समारोह भाषण
- रिटायरमेंट पर विदाई भाषण
- ट्रान्सफर होने पर ऑफिस में विदाई समारोह पर भाषण
- स्कूल के दोस्तों के लिए पार्टी में विदाई भाषण
आप इन फेयरवेल स्पीच की मदद से अपने ज़रुरत अनुसार एक बेहतरीन भाषण बना सकते हैं। इन विदाई समारोह के भाषण से Class 10 और 12 के विद्यार्थी भी मदद ले सकते हैं। तो आईये इन विभिन्न प्रकार के विदाई भाषण के सैंपल को पढ़ते हैं। –
1. छात्र विदाई समाहरोह भाषण Farewell Speech for Students in Hindi
यहाँ उपस्थित सभी लोगों को मेरी तरफ से सुप्रभात गुड मोर्निंग। आज मैं आपके सामने खड़ा होकर सम्मानित और साथ ही साथ दुःख महसूस कर रहा हूँ। सम्मानित इसलिए कि आज मुझे ये भाषण देने का मौका मिला है। दुखी इसलिए क्यों कि यह विदाई का वक्त है।
मैं ज्यादा विस्तार में नहीं जाऊंगा कि आप कितने अच्छे सीनियर / शिक्षक / छात्र थे। कक्षा 11 और 12 के बीच एक अकथनीय बंधन रहा है। जाहिर है हम अपने सीनीयर के साथ कभी भी कम्फ़र्टेबल नहीं हो सकते और आप बेहतर जूनियर नहीं हो सकते।
अपने कक्षा का मॉनिटर होने के नाते, मुझे हमारे सीनियर के साथ अक्सर बातचीत करने का मौका मिला। मुझे पर्याप्त विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है हम सब ने आपसे बहुत कुछ सीखा है, और आप में से कई ने हमें अलग-अलग तरीकों से प्रेरित किया है। हमने कभी भी आपकी उपस्थिति में उपेक्षित महसूस नहीं किया, बल्कि हम एक एकीकृत परिवार जैसा महसूस करते थे।
खैर, अगर मैं यादों को शेयर करने जाऊंगा तो वो कभी ख़त्म नहीं होंगी। जब से हम स्कूल में हैं स्कूल में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार, निवेशक समारोह, पिछले वर्षों और यह धन्यवाद दिन सभी गतिविधियों में दोनों कक्षाएं हमेशा हिस्सा लेती आ रहीं हैं।
हालांकि, यह सार्वभौमिक सत्य है जिसे हम सभी को सामना करना पड़ता है, चाहे हम चाहें या नहीं , सब कुछ अंततः समाप्त होता है। जितना मैं इस दिन की ओर देखता हूं , मैं इस विदाई के दिन को नापसंद करता हूँ। लेकिन अंत अनिवार्य हैं आखिरकार पेड़ों की पत्तियां गिरती ही हैं। आपको किताब को बंद करना ही पड़ता है। इसलिए हमें अलविदा कहना चाहिए।
आप सभी हमारा एक हिस्सा हैं। आपकी यादें हमेशा हमारे दिल में रहेंगी। गलतियों से मत डरना, डूबने और गिरने से भी मत डरना, क्योंकि ज्यादातर समय आपको उन चीजों से बचना है जो आपको डराती हैं। आपको आपकी कल्पना की तुलना से कई गुना अधिक मिलेगा। कौन जानता है कि आपको जीवन कहाँ ले जाएगा सड़क लंबी है और अंत में, यात्रा का हर चरण अपने आप में एक मंजिल होता है।
अपने जीवन के इस पल में ,12 वीं कक्षा के मेरे मित्रों- आज मुझे रबींद्रनाथ टैगोर के महान शब्दों की याद आ रहे हैं, –
मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;
ज्ञान जहां मुक्त है;
और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;
जहां शब्द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;
जहां कारण की स्पष्ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्ता खो नहीं चुकी है;
जहां मन हमेशा व्यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्वर्ग में पहुंच जाता है
ओपिता
मेरे देश को जागृत बनाओ”- रवीन्द्रनाथ टैगोर
मैं आपके लिए एक मानसिक ब्रह्मांड की इच्छा करता हूं, जहां आप एक आत्मविश्वास वाले व्यक्ति हैं, न कि सबसे कठिन कार्य करने से डरने वाले व्यक्ति। जहां आप डर की चार दीवारों तक ही सीमित नहीं हैं, लेकिन बंधनों को तोड़ते हैं और असली कलाकार बन जाते हैं, आज आप जो करेंगे वही आप कल बन जायेंगे।
जैसा कि हम इस खूबसूरत दिन पर यहां खड़े हैं, मेरे दोस्त हम आप सभी के लिए चाहते हैं, वास्तविक कलाकारों जैसा दृष्टिकोण, जो कि उथल-पुथल जल में डुबकी करते रहते हैं, जो एक तेजस्वी हठ के माध्यम से तैरते रहते हैं और तूफानों से बच जाते हैं।
आपकी यात्रा वीरता की हो। कल जब हम अपनी दुनिया का हिस्सा बनने के लिए वहां खड़े होंगे, तो हम उन परिचित चेहरे की तलाश करेंगे, जो अपने हाथों को आकर्षित करेंगे और हमारे साथ अपने अनुभव साझा करेंगे।
क्या आप उस पर्वत को ढूंढ सकते हैं जो आपके लिए सही है, सफ़र में सभी को सहायता दें और सहायता प्राप्त करें, धीरज रखें और उन उतार-चढ़ावों के माध्यम से जिनका आप सामना करेंगे, दृढ़ रहें। और महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस सफर की यात्रा शुरू हो रही है उसका आनंद लें। हमेशा याद रखें कि आप कहां जा रहे हैं, लेकिन कभी नहीं भूलें कि आप कहां से आए। हम आपको याद करेंगे।
पढ़ें: एक अच्छा भाषण कैसे लिखें?
2. शिक्षकों के लिए विदाई समारोह भाषण Farewell Speech for Teachers in Hindi
मेरे प्यारे साथियों। यहाँ उपस्थित सभी मित्रो, साथी शिक्षकों, प्रधानाचार्य महोदय, अभिभावकों, प्यारे बच्चों और सभी मेहमानों को नमस्कार!
आज मैं बेहद खुशी का अनुभव कर रहा हूँ। इसलिए नही की मेरी दूसरे कॉलेज में पदोन्नति हो गयी है और अब मैं पहले से अधिक वेतन पाऊंगा, पर इसलिए क्यूंकि मैंने एक शिक्षक के रूप में पहली बार इसी स्कूल / कॉलेज में पढ़ाया। मेरी सुनहरी यादें इस स्कूल से जुडी हुई है।
किसी भी व्यक्ति के लिए उसका पहला काम का अनुभव बहुत अनमोल होता है। एक शिक्षक के रूप में सबसे पहले पढ़ाने का अवसर मुझे इस स्कूल ने दिया था। तब मैं नया नया था और मुझे कोई अनुभव नही था। पर हमारे प्रधानाचार्य महोदय ने मेरा हमेशा योगदान दिया। किस तरह बच्चो को सही तरह से पढ़ाया जाये, कैसे कमजोर बच्चो को पढ़ना- लिखना सिखाया जाये, सभी जरूरी बाते मुझे प्रधानाचार्य महोदय ने बताई थी।
पिछले 5 वर्षों में आप सभी लोगो का मुझे पूरा प्यार मिला। मुझे सभी साथी शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रधानाचार्य महोदय से बहुत कुछ सीखने को मिला। मेहनत की प्रेरणा मुझे सभी से मिली। जिस तरह महात्मा गांधी ने कहा था की “आराम हराम है” उसी तरह हमारे प्रधानाचार्य महोदय ने कभी विश्राम नही किया।
जब सभी शिक्षक छुट्टी होने के बाद घर जाने की जल्दी में होते थे हमारे प्रधानाचार्य महोदय ने अपना व्यक्तिगत समय भी विद्दालय को दिया। इस स्कूल को अपने घर से भी अधिक समझा।
यहां पर पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने मुझे हमेशा बहुत प्यार दिया। यह सभी विद्यार्थी मेरे लिए विद्यार्थी नहीं बल्कि मेरे अपने बच्चे जैसे थे। मैंने अपनी तरफ से हमेशा यह प्रयास किया कि उनको अच्छी से अच्छी शिक्षा दे सकूं। उनको नए कौशल सिखा सकूं, अपना सारा ज्ञान दे सकूं।
उनका बहुमुखी विकास कर सकूं। इस स्कूल के बच्चों ने मुझे भी सदैव अपना आदर्श गुरु माना। जिस तरह राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के लिए विश्वामित्र आदर्श गुरु थे उसी तरह यहां के बच्चों ने मुझे अपना आदर्श गुरु माना। मेरी सभी बातें मानी।
सदैव नियमों का पालन किया और मुझे कभी भी परेशान नहीं किया। इसलिए आज इस विदाई के दिन मैं सभी बच्चों को शुभकामनाएं देता हूं। पढ़ लिख कर तुम सभी अपने मां बाप और संपूर्ण देश का नाम रोशन करना। तुम सभी जीवन में नित नई सफलता प्राप्त करो ऐसी मेरी कामना है।
बच्चे ही देश के भावी नागरिक होते हैं। इसलिए मैं चाहता हूं कि इस स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे पढ़ लिख कर नौकरियां प्राप्त करें। बड़े व्यापार और उद्योग स्थापित करें और सभी का नाम रोशन करें। अपने देश का नाम रोशन करें।
इस विदाई के दिन मैं सभी बच्चों से कहूंगा कि सदैव अपने माता-पिता और बड़ों का कहना मानना। सदैव उनकी आज्ञा का पालन करना और एक आदर्श संतान बनकर दिखाना। कभी भी अपने मां बाप को दुख नहीं पहुंचाना। अपने सभी टीचर्स की बातें मानना।
हमारे साथ के सभी शिक्षकों ने सदैव पूरी मेहनत से बच्चों को पढ़ाया है। जिस तरह से पंछी तिनका तिनका जोड़कर एक घोंसला बनाता है उसी तरह यह स्कूल बना है। सभी साथी शिक्षकों की मेहनत का परिणाम है कि आज यह स्कूल पूरे जिले में सबसे अच्छा समझा जाता है।
हमारे स्कूल में एडमिशन लेने के लिए बच्चों की लाइन लगी रहती है। आज हमारे स्कूल का नाम सभी जगह प्रसिद्ध है। हर मां बाप का सपना है कि उनके बच्चे का एडमिशन हमारे स्कूल में ही हो। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है।
मेरे सभी साथी शिक्षकों ने बहुत मेहनत की है। तब जाकर यह स्कूल जिले का सबसे अच्छा स्कूल बन सका है। मैं आप सभी को बहुत धन्यवाद देता हूं कि आप सभी ने अपने काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया और बच्चों को पूरी मेहनत और तत्परता से पढ़ाया। सभी साथी शिक्षकों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।
मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इसी तरह स्कूल की प्रतिष्ठा बनाए रखें। कभी भी ऐसा कोई काम ना करें जिससे स्कूल की छवि खराब हो और इसका नाम धूमिल हो। जैसा कि हम सभी जानते हैं की सम्मान कमाने में पूरी जिंदगी लग जाती है परंतु एक छोटी सी गलती भी बड़ा कलंक लगा देती है।
इसलिए जाते जाते मैं सभी साथी शिक्षकों से कहना चाहूंगा कि इसी तरह स्कूल की प्रतिष्ठा और सम्मान बनाए रखें। बच्चों को तन मन धन से पढ़ाएं। कमजोर बच्चों को विशेष रूप से पढ़ाएं जिससे वह भी सामान्य बच्चों की तरह होशियार बन सकें
इस स्कूल में मुझे कभी भी परायेपन का अनुभव नहीं हुआ। मुझे हमेशा यही लगा कि मैं अपने परिवार के बीच रह रहा हूं। यहां पर इस स्कूल में पढ़ाने का अनुभव बहुत ही सुखद रहा। मुझे सभी से बहुत कुछ सीखने को मिला है।
इस स्कूल/ कॉलेज ने मुझे मेरी आजीविका कमाने का भी पर्याप्त अवसर दिया है। मेरे लिए यह किसी मन्दिर से कम नही है। अपनी आजीविका कमाकर ही मैंने अपने परिवार के लिए एक पक्का घर बना लिया और परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से कर सका हूँ।
यहाँ से जाने का दुःख मुझे हमेशा रहेगा। शायद परिवर्तन की संसार का नियम है। इसलिए मुझे भी जाना होगा। मेरे दिल में इस स्कूल/ कॉलेज की यादें हमेशा ताजा रहेंगी।
अब एक छोटी कविता पढ़ता हूँ-
माना की ये दौर बदलते जायेंगे।
हम जायेंगे तो कोई और आयेंगे।
मगर आपकी कमी इस दिल में हमेशा रहेगी।
सच कहते हैं हम आपको इक पल न भूल पाएंगे।
मुश्किलों में जो साथ दिया याद रहेगा।
गिरते हुए को जो हाथ दिया याद रहेगा।
आपकी जगह जो भी आये वो आप जैसा ही हो।
हम बस ये ही कहना चाहेंगे।
सच कहते हैं हम आपको इक पल न भूल पाएंगे।
मैं आप सभी साथियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। आप सभी दीर्घायु हो, निरोगी रहे। हर दिन नई सफलता प्राप्त करें मेरी ऐसी कामना है। मैं आपके मैं आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। – धन्यवाद!
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3. रिटायरमेंट पर विदाई भाषण Farewell Speech for Retirement in Hindi
आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज हम सब लोग यहां पर मेरी बिदाई समारोह के लिए इकठ्ठा हुए हैं। मैं यहां पर आप सभी को इस विषय में संबोधित करूँ उससे पहले मैं प्रबंधन समिति का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होने मेरा इतना अधिक सम्मान करते हुए, मेरे लिए यहां पर एक विदाई समारोह आयोजित किया। यह मेरे लिए गौरव की बात है कि आप लोगों का ऐसा स्नेह मुझे हमेशा से ही मिलता रहा है। आज मैं कार्य से सन्यास लेने जा रहा हूँ और अपने विचार आप सभी के सामने रखना चाहूंगा।
आदरणीय श्रोताओं, सर्व प्रथम यह कि आप सब यहां पर इकठ्ठा हुए उसके लिए आपका कोटि कोटि धन्यावाद। मैंने कभी यह उम्मीद नहीं की थी मैं अपने कार्यों के कारण आप सभी के लिए इतना विशेष हो जाऊंगा। मैं अब किसी से भी जाकर यह कह सकता हूं कि देखो मन लगाकर काम करने पर, फल कितना स्वादिष्ट मिलता है। यह मेरे लिए गौरव की बात है कि आप सब ने मुझे इतना सम्मान दिया।
आदरणीय श्रोताओं, मैं अपने शुरुआती दिनों से शुरू करता हूं। मुझे इस कार्य को करते हुए एक उम्र हो चली है। पहले मैं एक निम्न रैंक पर था, लेकिन मेरे आला अधिकारियों ने मेरी कार्य प्रणाली को देखा और मुझे लगातार आगे बढ़ाते गए। सबसे पहले तो मैं उन सभी आला अधिकारियों का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होने मुझ पर विश्वास किया और मेरी क्षमता को हमेशा तरजीह दी। उन आला अधिकारियों के कारण ही मैं आज इस मंच पर खड़ा हूँ और वे भले ही ये कहें कि यह मेरी मेहनत का नतीजा है, लेकिन मैं यह जानता हूँ कि यह केवल उनके सपोर्ट के कारण ही मुमकिन हो पाया है।
आदरणीय श्रोताओं मैं अपने आला अधिकारियों का जिक्र करने के बाद, अपने साथियों का जिक्र जरूर करना चाहूंगा। कार्य स्थल एक ऐसी जगह होती है जहां पर आप अपनी ज़िन्दगी का बड़ा हिस्सा गुजारते हैं। मैंने भी अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा अपने कार्यालय में बिताया है और इसे अपने दूसरे घर जैसा समझा है। मेरी दुनिया इस कार्यालय में बस चुकी थी। आदरणीय श्रोताओं, मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी घर, घर के सदस्यों के बिना अधूरा होता है।
मेरे लिए मेरी साथ काम करने वाले साथियों का, मेरे कार्य काल के दौरान घर के साथियों जैसा ही व्यवहार रहा। प्यारे साथियों, मैं नहीं भूल सकता, मेरे मुश्किल दिनों में की गई तुम्हारी किसी भी मदद को। प्यारे साथियों मुझे यह हमेशा ही याद रहेगा कि कैसे तुम लोगों ने मुझे हमेशा ज्यादा से ज्यादा कार्य करने के लिए एवं अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित किया। दिन मेरे लिए बहुत ज्यादा कठिन थे लेकिन मेरे साथियों ने मेरा साथ देकर, मेरे कार्यकाल को बहुत आसान और खुशहाल बनाए रखा। प्रिय साथियों मैं इसके लिए तुम्हारा हमेशा आभारी हूँ।
मैं अपने भाषण में मेरे एक और साथी का जिक्र करना चाहूंगा। वह थे रामू भैया। रामू भैया हमारे कार्यालय में पीयून की हैसियत से कार्य करते हैं और शायद आप सबको यह लगता भी हो कि ये केवल पीयून हैं, लेकिन ये ज्ञान का अपार भंडार हैं। कार्यालय के शुरुआती दिनों में इन्होने मुझे मेरे पाँव जमाने में कितनी सहायता की है, यह मैं आप सभी को शब्दों में नहीं बता सकता। इनका मेरे जीवन पर उपकार रहा है कि इन्होने मुझे हमेशा अपना छोटा भाई समझा।
आदरणीय श्रोताओं, आज इस कार्यालय में इतने सालों तक कार्य करने के उपरान्त मुझे यहां से जाना पड़ेगा। यह काफी दुखद है, और मैं यहां से नहीं जाना चाहता, लेकिन अब उम्र हो चुकी है। मैं अपने युवा साथियों से यह गुजारिश करूंगा कि वे मेरे जाने के बाद, मेरे इस कार्यालय का, मेरे इस दूसरे घर का ख्याल रखें। आप सभी का मुझे सुनने के लिए और मेरे विचारों को समझने के लिए धन्यवाद। आदरणीय श्रोताओं, मैं अब अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
धन्यवाद।
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4. ऑफिस में फेयरवेल के लिए भाषण Farewell Speech for office in Hindi
प्यारे साथियों, मुझे यह बताते हुए हर्ष और दुख, दोनों ही भाव एक साथ हो रहा है कि अब मेरा प्रमोशन कम्पनी की अन्य ब्रांच में कर दिया गया है। मुझे वहां पर जाने के लिए कुछ समय दिया गया है। और इस समय को मैं आप लोगों के साथ बिताकर इन लम्हों को दुबारा जीना चाहता हूं।
सबसे पहले तो मैं यहां पर उपस्थित होने के लिए आप सभी का धन्यवाद कहना चाहता हूं। आप लोगों ने यहां पर मौजूद होकर मेरे इस विदाई समारोह को और भी ज्यादा खास बना दिया है।
मैं अपने संबोधन को अपने बॉस से शुरू करता हूं। किसी भी कार्यालय में बॉस का रोल बहुत अधिक होता है। वे उस कार्यालय को चलाने के लिए दिन रात कार्य करते रहते हैं। मेरे बॉस भी ऐसे ही रहे हैं। उन्होने हमेशा ही कार्यालय को प्रधानता दी है। मैंने उन्हे कठिन से कठिन परिस्थियों में भी काम करते हुए देखा है। मेरे बॉस ने मुझे हर मौके पर काफी ज्यादा प्रेरित किया और कम्पनी जॉइन करने से आज के तिथि तक, मेरे बॉस ने हमेशा मुझे अपने छोटे भाई की तरह समझा।
मैं अपने साथियों का जिक्र भी जरूर करना चाहता हूं। साथियों आप सभी के साथ बिताए हुए पल मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पलों में से एक हैं। आप सभी ने हमेशा हर समय मेरा साथ दिया। आप सभी से मेरी दोस्ती है।
क्या दोस्ती के बारे में जानते हैं आप? साथियों ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर रिश्ता ऊपर से बनाकर भेजता है, लेकिन वह लोगों को दोस्ती का रिश्ता खुद चुनने की स्वतंत्रता देता है। साथियों मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप सब कार्यालय में मेरे साथ मौजूद नहीं होते तो मेरा कार्यकाल इतना आसानी से नहीं गुजरता। मैं आप लोगों के इस सपोर्ट के लिए हमेशा आप सब का शुक्रगुजार रहूँगा।
साथियों इस कार्यालय में बिताए हुए लम्हे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। आप लोगों के साथ वो लंच पर बिताया गया समय, वो एक ही टिफिन से हम सब का खाना खाना। साथियों यह मेरे लिए गौरव की बात रही कि मेरे पास आप जैसे दोस्त थे। साथियों मैं उन दिनों को याद करता हूं जब हम सब एक ही टीम में हुआ करते थे और हम सबके पास केवल एक कार ही हुआ करती थी, जिसे हम सब शेयर करके कार्यालय आया करते थे।
आदरणीय श्रोताओं, यह कार्यालय मेरे लिए एक मंदिर की तरह रहा है। मैंने हमेशा यहां पर अपना बेस्ट देने की कोशिश की है। मैं अपने मैनेजर सर का जिक्र जरूर करना चाहूंगा। ये बाहर से बहुत कठोर नजर आते हैं लेकिन ये ऐसे हैं नहीं। इन्होने मुझे कई ऐसी टेक्निक बताईं जिन्हे जानकर मेरा आगामी जीवन कितना ज्यादा आसान होने वाला है मैं आपको शब्दों में बता नहीं सकता। मैनेजर सर ने मुझे मुसीबतों से लड़ने के लिए हर समय प्रेरित किया।
ऑफिस के शुरुआती दिनों में मुझसे स्कोर नहीं होता था, क्लाइंट मुझसे नाराज होकर चले जाते थे और मिटिंग में मैं हमेशा ही हसी का पात्र बनता था, लेकिन दोस्तों मैनेजर सर ने हमेशा मुझे कोशिश करते रहने के लिए प्रेरित किया और आज आप सब देख सकते हैं। मैंने अपनी कुशलता से प्रमोशन पा लिया है। यह मैनेजर सर के अथक प्रेरणाओ के कारण ही हो पाया है।
मैं कार्यालय में मौजूद अपने हर एक साथी का धन्यवाद करना चाहता हूं। साथियों इतना कहकर अब मैं अपनी वाणी को विराम दूँगा। मेरे विचारों को सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मुझे मंच देने के लिए और इस समारोह के आयोजन के लिए प्रबंधन समिति का धन्यवाद।
5. सहकर्मियों के लिए फेयरवेल स्पीच Farewell Speech for Colleagues in Hindi
आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज हम सभी यहां पर मेरे फेयरवेल के लिए इकठ्ठा हुए हैं। मैं आप सभी का यहां पर स्वागत करता हूं और अपने विचार व्यक्त करने देने के लिए प्रबंधन समिति का धन्यवाद करता हूं। प्रबंधन समिति का धन्यवाद इस लिए भी कि उन्होने मेरे लिए इस समारोह का आयोजन किया। यह आयोजन ही एक प्रकार से मेरे लिए गौरव का क्षण है। आदरणीय श्रोताओं, आप सभी यहां पर आए उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
मैं अपने इस संबोधन में मेरे कार्यकाल में मेरे साथियों के योगदान का जिक्र करूंगा। चूंकि यहां पर सभी साथी मौजूद हैं, इसलिए यह करना उचित भी रहेगा। आदरणीय श्रोताओं, मित्रता के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इंसान सारे रिश्ते भगवान के घर से ही बनवा कर आता है। लेकिन केवल मित्रता का रिश्ता ही एकमात्र ऐसा होता है जो वह यहां आकर बनाता है। मित्रता करते वक़्त हम कभी भी यह नहीं देखते कि व्यक्ति हमारे स्तर का है या नहीं, व्यक्ति हमारे रंग, रूप, स्तर से भले ही ना मेल खाता हो, लेकिन हमें केवल उससे अपना दिल मिलाना होता है। आदरणीय श्रोताओं यहां बैठा मेरा हर एक सहकर्मी, मेरा परम मित्र है।
मैं आपको अपने शुरुआती दिनों में लेकर चलता हूँ। उस समय मैं इस कार्यालय की पद्धति से काफी ज्यादा भयभीत था और इस क्षेत्र में नया होने के कारण काफी ज्यादा डरता भी था कि क्या मैं इस जगह पर सही कार्य कर पाऊंगा या मैं अपने कार्यों के कारण मजाक का पात्र बन जाऊंगा। लेकिन प्यारे साथियों, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, मेरे सहकर्मियों ने कभी भी मुझपर दिखावे का दबाव नहीं बनाया। वे खुद भी काफी ज्यादा कर्मठ थे और उन्होंने मुझे भी हमेशा कर्मठ होने के लिए प्रेरणा दी थी।
साथियों मैं अपने जीवन का एक बड़ा भाग इस कार्यालय में बिताया है। यह मेरे लिए मेरे दूसरे घर जैसा था। साथियों आप जानते हैं कि एक घर हमेशा ही घर के सदस्यों से बनता है। मेरे सहकर्मियों ने हमेशा कार्यालय में मुझे घर जैसा माहौल दिया। हमारी दोस्ती की मिसालें कम्पनी की दूसरी ब्रांच में दी जाती है। यह मेरे लिए एक उपलब्धि की तरह है।
मैं कभी भी लंच के समय मे बिताए हुए लम्हों को नहीं भूला. सकता। वह एक ही टिफिन से हम सबका खाना, वो एक ही कार से घर तक जाना। यह मेरे साथियों की दोस्ती के कारण ही हो पाया है कि कार्यालय कभी भी मुझे बोझ की तरह नहीं लगा। ना ही मैंने अपने कार्यकाल के दौरान एक भी अवकाश लिया।
मैं उन दिनों को नहीं भूल सकता जब हम में से किसी का भी प्रमोशन नहीं हुआ था। हम सब एक ही टीम में थे। हमारे टारगेट को प्राप्त करने के तरीके कितने अधिक यादगार थे। हमारी टीम ही हमेशा ही सबसे ज्यादा स्कोर करती थी। हम सभी एक बराबर स्कोर किया करते थे, क्यूंकि जिसका स्कोर हो जाता था वह दूसरे की मदद करता था।
साथियों चाहे वह टारगेट को प्राप्त करने की बात हो या फिर बात हो मीटिंग में एक दूसरे को प्रोत्साहित करने की। मैंने हमेशा ही अपने सहकर्मियों में परिवार जैसा भाव देखा।
प्यारे साथियों, दोस्तों, आज यहां से जाने का वक़्त आ चुका है लेकिन मैं साथ में लेकर जा रहा हूँ, तुम्हारी दोस्ती और तुम्हारी दोस्ती के पढ़ाए हुए जरूरी पाठ।
मैं अपने हर सहकर्मी का इस मंच से धन्यवाद देना चाहूंगा। आपने मेरे कार्यकाल के दौरान मुझे कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं इस कार्यालय में नया हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद साथियों।
अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं और अन्य लोगों से यह निवेदन करता हूं कि वे इस समारोह को आगे बढ़ाए। मुझे सुनने के लिए आप सब का धन्यवाद।
6. बॉस के लिए फेयरवेल पर भाषण Farewell Speech for Boss in Hindi
सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। दोस्तों आज हम सब यहां पर अपने आदरणीय मैनेजर सर के फेयरवेल में इकठ्ठा हुए हैं और मुझे इस बात पर काफी ज्यादा नाज हो रहा है कि आपने, आप लोगों ने यहां पर बोलने के लिए मुझे चुना। मैं आप सब का आभारी हूँ कि आपने मुझे मैनेजर सर के प्रति मेरे विचारों को प्रकट करने का मौका दिया, मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को मेरे विचार पसंद आएंगे।
दोस्तों यह कुछ सालों पहले की ही बात है। मैं इस कार्यालय में नया नया आया था। दोस्तों उस वक़्त यहां आप पर आप सब लोगों में से केवल कुछ ही लोग मौजूद थे। और वो लोग जो मेरे साथ यहां पर पांच सालों से हैं उनमें से मैनेजर सर भी एक है।
मैं आपको अपने अनुभवों के बारे में बताता हूँ। यह घटना पांच साल पहले की है। यह मेरा पहला कार्यालय था, और इससे पहले मैंने कहीं भी कार्य नहीं किया था। मुझे मेरे पहले ही इंटरव्यू में इतनी बड़ी कम्पनी द्वारा चुना जाना कोई छोटी बात नहीं थी, और इस कारण मैं काफी डरा हुआ भी था। लेकिन कम्पनी से जुड़ने के बाद मेरा सारा डर छू हो गया, क्यूंकि यहां मैं मिला हमारे मैनेजर सर से।
मैनेजर सर एक करिश्माई व्यक्तित्व के इंसान है। मुझे काम सीखाने से लेकर मेरा काम बनाने तक हर जगह मैनेजर सर ने मेरी मदद की है।
सबसे पहले तो मैं आप सब को यह बता दूं कि मेरी इनके प्रति धारणा क्या थी। दोस्तों मुझे ऐसा लगता था कि ये व्यक्ति काफी ज्यादा अहंकारी और क्रूर किस्म के हैं। ऐसा इसलिए नहीं कि इन्होने मेरे साथ कुछ गलत किया था, बल्कि इसलिए क्यूंकि हमारी ज्यादा बातें हुई नहीं थी। हालांकि मैं सरासर गलत साबित हुआ। मैनेजर सर जितना विनम्र और उदार व्यक्ति मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में नहीं देखा।
मैं एक छोटा सा किस्सा आप सभी के साथ साझा करना चाहूंगा। दोस्तों बात तब की है जब इस कम्पनी में मुझे छह महीने ही हुए थे। उस समय तक मैं सभी लोगों से पूरी तरह घुल मिल नहीं पाया था और न ही मेरे काम का किसी पर कोई खास प्रभाव पड़ा था। मैंने सर से बहुत रिक्वेस्ट करके एक प्रोजेक्ट मुझे देने के लिए कहा और ये मेरे कई बार रिक्वेस्ट करने के बाद राजी भी हो गए। उसके बाद मेरे पास उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुछ दस दिनों का समय था।
मैंने काफी मेहनत की और सत्रह फाइलों में मैंने वो प्रोजेक्ट पूरा भी कर लिया, लेकिन श्रोताओं यहां पर सब कुछ सही नहीं रहा। दरअसल प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद मैं जब घर से निकला तो मैंने वो फाईलें अपने बैग में रख लीं। उन फाइलों को रखने के बाद मैं घर से निकलकर कार्यालय तक आ गया। उस वक़्त मेरा भतीजा काफी छोटा था और उसे ड्राइंग का बहुत शौक था। लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि वो मेरी प्रोजेक्ट की फाइल्स पर ही ड्राइंग कर देगा।
जब मैं कार्यालय पहुंचा तो मैंने एक बार भी फाइल को खोलकर नहीं देखा। मैंने ले जाकर वह फाइल सीधा सर के पास दे दी, और उन्होने उस फाइल को खोला और खोल कर सन्न रह गए। जब मैंने यह देखा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैं काफी ज्यादा हैरान था और डरा हुआ भी। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं फाइल की ओर देखूँ, लेकिन मैनेजर सर मुझे लगातार देखे जा रहे थे। उनके लगातार देखने पर मुझे और भी ज्यादा डर लग रहा था। लेकिन वे अचानक जोर जोर से हँसने लगे और उन्होने कहा कि अपने भतीजे को कहना, वो कमाल का चित्रकार है।
मैनेजर सर एक फलों से लदा हुआ पेड़ हैं जिन्होने हमेशा दूसरों की ओर झुकना सीखा है। मैनेजर सर से कई गुण सीखे जा सकते हैं। मैंने पिछले पांच सालों में इन्हे कभी भी कार्यालय में देर से आते हुए नहीं देखा। मैंने पिछले पांच सालों में इन्हे किसी से लड़ते हुए नहीं देखा। मैंने मैनेजर सर से अपनी जिंदगी में काफी कुछ सीखा है। मैंने इनसे चुनौतियों से लड़ना सीखा है, मैंने इनसे विनम्रता सीखी है।
मुझे आज भी याद है, जब हमारी टीम का टारगेट नहीं हो पाता और मैनेजर सर लगातार हम सभी को टारगेट पूरा करने के लिए प्रेरित किया करते थे। एक एक व्यक्ति पर इनका प्रभाव इतना अधिक है कि ये केवल कहकर सभी लोगों को जितना चाहे उतना मोटिवेट कर दें।
दोस्तों अब मेरे भाषण के आखिरी हिस्से पर आते हैं। आज मैनेजर सर हम सभी के बीच से जा रहे हैं। सर का प्रमोशन और ट्रांसफर हुआ है। ऐसा कई बार होता है, जब आप अच्छा कर रहे होते हैं तो आपको और अच्छी पोस्ट दी जाती है। ताकि आप वहां और अच्छा कर सकें और कम्पनी को और भी ऊंचाइयों पर पहुंचा सकें। दोस्तों मैनेजर सर ने हमेशा ही इस कंपनी के लिए बहुत कुछ किया है। इस कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय उन्हे ही जाता है। और आज उन्हे उनकी सालों की मेहनत का मेहनताना भी मिला है। यह सुख और दुख दोनों की ही घड़ी है। हमारे प्रिय मैनेजर सर को हमसे दूर भले ही जाना पड़ रहा है लेकिन हम सबको यह समझना होगा कि यहां उनका प्रमोशन हुआ है। भले ही उनका यहां से चले जाना हम सब के लिए एक दुख का क्षण है लेकिन हमें हमारे मैनेजर सर के लिए खुश होना चाहिए।
दोस्तों आज मैनेजर सर कहीं और किसी और कार्यालय में चले जाएंगे। उनके जितना बड़ा व्यक्तित्व जब अचानक से इस कार्यालय से चला जाएगा तो यह काफी ज्यादा रिक्त लगेगा, लेकिन दोस्तों यह हम सब की जिम्मेदारी है कि हम सब मैनेजर सर की दी हुई सीखों को अपनी जिंदगी में उतार कर रखें और उनकी दी हुई सीख को कभी भी न भूलें।
दोस्तों यह घड़ी काफी ज्यादा मुश्किल है लेकिन हम सभी को डटकर इसका सामना करना पड़ेगा। मैंने इस कार्यालय में आने से पहले कभी यह सोचा भी नहीं था कि मुझे कभी अपने मैनेजर सर से इतना लगाव हो जाएगा, लेकिन इनका स्वभाव बॉस जैसा बाद में है, पहले यह मुझे मेरे बड़े भाई के समान नज़र आते हैं। इनमें वह सभी गुण हैं जो एक बड़े भाई में होते हैं, इन्होने गलतियों पर हमें जी भर का जहां डांटा हैं वहीं दूसरी ओर इन्होने हमारे बुरे वक़्त में हौसला भी दिया है। इन्होने जहां एक ओर हम सभी का एक बड़े भाई की तरह की संरक्षण किया है वहीं एक बड़े भाई की तरह हम सब को हमारी जिम्मेदारियों का एहसास भी कराया है।
मैनेजर सर का यह प्रमोशन तो अभी शुरुआत है, हम सबने उनकी कार्यशैली को करीब से देखा है, हम सब ने उनके कार्य के प्रति समर्पण को करीब से देखा है, और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि अभी मैनेजर सर आसमान की बुलंदियों को छूने वाले हैं।
मेरी शुभकामनाएं मैनेजर सर के साथ हैं। मैं भगवान से यह प्रार्थना करता हूं कि वह कामयाबियों को आपके चरण चूमने पर मजबूर कर दें। दोस्तों मैं इतना ही कहकर अब अपनी जगह लूंगा। मेरे विचारों को सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
7. सीनियर्स के लिए विदाई समारोह का भाषण Farewell Speech for Seniors in Hindi
सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज हम सब यहां पर हमारे सीनियर्स के फेयरवेल में जमा हुए हैं और आप सभी ने इस मौके पर मुझे मेरे विचार रखने का मौका दिया, जिसके लिए मैं आप सब का शुक्रगुजार हूं। मैं यहां खड़े हर व्यक्ति को अपने विचारों से अवगत कराना चाहूंगा और यह बताना भी चाहूंगा कि इस कार्यालय में मेरे सीनियर्स का मेरे काम के प्रति क्या किरदार रहा है।
आदरणीय श्रोताओं मैं अपने भाषण को अपने कार्यालय में पहले दिन से शुरू करता हूं। दरअसल हम सबकी ज़िन्दगी में वह लम्हा जरूर आता है जब हमें किसी भी कार्य को पहली बार करना होता है। उस वक़्त हम अपनी तमाम जानकारी को चाहते हुए भी प्रयोग नहीं कर पाते या यूं कहूँ कि हम अपनी तमाम जानकारियों को भूल कर, घबराने लग जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर उस दिन को याद कीजिए जब आप पहली बार आपने पहली बार कार चलाई थी। कार के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद आप काफी ज्यादा घबराए हुए थे। आदरणीय श्रोताओं जब मैंने पहली बार इस कार्यालय में कदम रखा तो मेरे लिए यहां कार्य करने का अनुभव वैसा ही था। मैं काफी ज्यादा घबराया हुआ था, और कार्यालय के माहौल को लेकर अपने मन में कई सारे पूर्वाग्रह बनाकर डरा हुआ था।
मुझे ऐसा लगता था कि यहाँ पर अच्छे से काम न कर पाने पर मेरा मजाक उड़ाया जाएगा। लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं था। इस कार्यालय का वातावरण अन्य कार्यालयों से अलग था क्यूंकि यहां पर आप जैसे सीनियर्स मौजूद थे।
आप लोग ने सदैव ही अपने जूनियर्स को प्रेरित किया और उनकी सहायता की। आदरणीय श्रोताओं, मेरे व्यक्तित्व पर मेरे सीनियर्स का प्रभाव काफी ज्यादा रहा। ये लोग हमेशा से ही मेरे कार्य में मेरा दिशा निर्देश करते रहे हैं।
आदरणीय श्रोताओं मैं अपने करियर के शुरुआती दिनों के बारे में बताना चाहूँगा। मेरे मन में यह अवधारणा थी कि सीनियर्स काफी ज्यादा बुरे होते हैं और वे अपने जूनियर्स को परेशान करते हैं एवं उनके काम में बाधा डालते हैं लेकिन यहां आकर मैंने यह देखा कि मेरे सीनियर्स ऐसे बिल्कुल भी नहीं थे।
आदरणीय श्रोताओं, एक व्यक्ति जिसके पास बहुत ज्यादा अनुभव हो उसे हमेशा ही झुका हुआ होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि बड़ा व्यक्ति हमेशा दूसरों की सहायता करता है एवं उनके लिए कार्यरत रहता है। आदरणीय श्रोताओं मैंने अपने सीनियर्स में ऐसे ही व्यक्ति की छवि को देखा।
अब आते हैं आज के दिन पर। आज का दिन अपने आप में काफी ज्यादा खास है। आज हमारे सभी सीनियर्स की ट्रेनिंग खत्म हो चुकी है और वे प्रमोशन लेकर जा रहे हैं। दोस्तों यह उन सभी के लिए काफी खास लम्हा है लेकिन यह मेरे व आपके जैसे जूनियर्स के लिए एक बुरा अनुभव है। हम सभी को पता तो था कि यह दिन जरूर आएगा, लेकिन यह दिन इतना ज्यादा बुरा होगा यह हम लोगों में से किसी ने भी शायद ही सोचा हो।
आदरणीय श्रोताओं, आना जाना इस दुनिया का नियम है। आज हमारे सीनियर्स के लिए एक खुशी का मौका है, और मुझे ऐसा लगता है कि हमें भी उनके लिए खुश होना चाहिए और उन्हे उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएं देनी चाहिए।
मैं अपने सभी सीनियर्स का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होने हमें यह बताया कि एक अच्छा सीनियर कैसे होते हैं। आदरणीय श्रोताओं, मुझे सुनने के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभार, मैं अब अपनी वाणी को यही विराम देकर अपनी जगह लेना चाहूंगा।
धन्यवाद
8. स्कूल के दोस्तों के लिए फेयरवेल स्पीच Farewell Speech for School friends in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय अध्यापक गण और मेरे प्रिय साथियों, मैं आप सभी का हमारे विद्यालय के फेयरवेल में स्वागत करना चाहता हूं। मुझे इस स्थान से अपने विचार रखने का मौका दिया गया, यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है और मैं आदरणीय प्रबंधक महोदय का आभार प्रकट करता हूं। आज इस बिदाई समारोह के बाद मुझे भी जाना पड़ेगा, तो यह मेरे लिए भी एक यादगार संबोधन होगा।
मेरे पास कहने के लिए इस समय बहुत ज्यादा कुछ है लेकिन मैं यह समझ पाने में नाकामयाब हूँ कि मैं कहाँ से शुरू करूं। मुझे जब बताया गया कि मुझे विदाई समारोह में मंच से बोलना है, तब मैं काफी ज्यादा उत्सुक था और आज मैं यहां अपना संबोधन, उसी उत्साह के प्रवाह में करना चाहता हूं, कृपया यदि मैं इस दौरान कुछ गलत कह दूँ, तो मुझे अनुज समझकर क्षमा प्रदान करें।
सर्वप्रथम मैं प्रधानाचार्य जी को धन्यवाद करना चाहूंगा। प्रधानाचार्य जी हमारे विद्यालय के आधार की तरह हैं। यह पूरा विद्यालय उसी आधार पर टिका है। प्रधानाचार्य जी, मैंने और मेरे जैसे अनेकों छात्रों ने आपसे बहुत कुछ सीखा है। आप अन्य प्रधानाचार्य अध्यापकों की तरह कठोर तो कभी थे ही नहीं। हमारे इस विद्यालय के परिवार के मुखिया होने का दायित्व हमेशा ही आपने बखूबी निभाया।
एक अच्छा मुखिया वही होता है जो अपने परिवार के छोटे से छोटे सदस्य के साथ संपर्क स्थापित कर सके। हमारे प्रधानाचार्य जी इस मामले में काफी ज्यादा कुशल रहे हैं। मैं जब विद्यालय में पहली बार आया था तब मैंने प्रधानचार्य जी का संबोधन सुना था। वह रोंगटे खड़े करने वाला संबोधन था। मैं अपने विद्यालय के जीवन के में जब कभी भी निराश हुआ हूँ तो मैंने प्रधानाचार्य जी की बताई गई सीखो को ही याद किया है।
प्रधानाचार्य महोदय हमेशा से ही हम सबके लिए एक बड़ी प्रेरणा के तौर पर खड़े रहे हैं। प्रधानाचार्य जी, आपने ही मुझे यह बताया कि नामुमकिन को मुमकिन किया जा सकता है। मैं अत्यधिक खुशकिस्मत हूं और ईश्वर का शत बार धन्यवाद करता हूं कि उन्होने आप जैसे प्रधानचार्य के द्वारा पढ़ने का सुअवसर मुझे दिया।
मैं अपने शब्दों को अब, अध्यापकों की तरफ मोड़ता हूँ। एक. अध्यापक, एक ऐसा व्यक्ति होता है जो खुद जलकर भी अपने शिष्यों के जीवन में उजाला करता है। जापान की एक घटना का जिक्र करता हूं, वहां पर अध्यापकों को वहां के जजों, कलेक्टरों और अन्य सभी पेशों के व्यक्तियों से ज्यादा वेतन दिया जाता है।
एक बार वहां के अन्य पेशों के व्यक्तियों ने जब इस बात का विरोध किया तब उन्हे वहां की सरकार ने कहा कि आप लोग अध्यापक नहीं हैं, न ही बन सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, अध्यापकों ने आपको बनाया है। हर व्यक्ति अध्यापक नहीं बन सकता, लेकिन हर व्यक्ति का निर्माण अध्यापक ही करता है। मैं अपने विद्यालय के अध्यापकों के प्रति भी यही सोचता हूँ। विद्यालय के सभी अध्यापक काफी ज्यादा उदार और विनम्र रहे हैं।
मैं सबसे पहले अपने इस भाषण में प्रेम मैम के बारे में बात करना चाहूंगा। प्रेम मैम एक ऐसी अध्यापिका हैं जो छात्रों को अपने बालकों के समान स्नेह करती हैं। प्रेम मैम मुझे आठवीं कक्षा से हिंदी पढ़ा रही हैं और आज मेरी हिंदी इतनी अच्छी होने का एकमात्र कारण प्रेम मैम हैं। प्रेम मैम का मेरे जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव रहा है। वह प्रेम मैम ही थीं जिन्होने मुझे यह बताया कि इंसान को उसके मर जाने के बाद उसकी डिग्रियों के लिए नहीं अपितु उसके कर्मों के लिए याद किया जाता है।
आज के दौर में जहां पर हर अध्यापक अंकों की तरफ दौड़ रहा है, प्रेम मैम बच्चों के अंदर गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तत्पर थीं। यह उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। आदरणीय प्रेम मैम, मैं आपको, आपके स्नेह और डांटो के लिए यदि शुक्रिया कहूँ तो वह बहुत छोटा शब्द होगा, लेकिन मैं केवल आपसे यह वादा कर सकता हूं कि मैं आगामी जीवन में आपकी दी हुई सीखो को भली भांति याद रखूँगा। मैं सदैव यह याद करूंगा कि मैंने आप से व्यक्तित्व को अपनी नजरों से देखा है एवं आपके द्वारा पढ़ाया गया हूँ।
मैं अब अपनी दूसरी सर्वाधिक प्रिय अध्यापिका के बारे में आप सभी को बताना चाहूँगा। वह अध्यापिका, मेरी कक्षा अध्यापिका, सविता मैम हैं। सविता मैम हमें संस्कृत पढ़ाती थीं। यदि प्रेम मैम मेरे लिए दादी मां के समान हैं तो सविता मैम भी मेरे लिए मां के समान हैं। इनकी कक्षाओं के दौरान मुझे कभी लगा ही नहीं कि हम संस्कृत जैसे कठिन विषय को पढ़ रहे हैं।
कक्षाओं में सविता मैम द्वारा कराए गए संस्कृत के नाटक, उनकी द्वारा पढ़ाई गई कविताएँ, कहानियाँ, मुझे मेरे पूरे जीवन में अत्यधिक प्रेरित करेंगी। सविता मैम का व्यवहार मेरी ओर सदैव स्नेह से भरा रहा। उन्होने हमेशा मेरी समस्याओं को सुना और हर बार ऐसी सीख दी, जिसे याद करके मैं हमेशा प्रेरित होऊंगा।
मेरे विद्यालय के शुरुआती दिनों में मैं पारिवारिक समस्याओं के कारण, जूझ रहा था, और विद्यालय में पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रहा था। लेकिन सविता मैम ने मेरी मदद की। उन्होने हमेशा पढ़ने से लेकर जीवन की परिस्थियों से उबरने तक में मेरी मदद की। मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं अपने जीवन में कुछ कर गया तो यह केवल और केवल सविता मैम की प्रेरणाओं के कारण ही हो पाएगा।
मैं अब अपने शब्दों को गणित की ओर मोड़ता हूँ। मैं बात करना चाहूंगा गणित के अध्यापक, विकास सर की। मैं अपने बारे में आपको बताना चाहूँगा कि मैं गणित में बहुत ज्यादा अच्छा नहीं था, जब तक कि मेरे जीवन में विकास धनखड़ सर का आगमन नहीं हुआ था। विकास धनखड़ सर, मेरे जीवन में गणित के किसी सूत्र की तरह आये, जिसे लगाने के बाद गणित का हर सवाल आसानी से हल होता चला गया।
विकास सर गणित के कठोर अध्यापक रहे हैं। शुरुआती दिनों में मुझे गणित की कक्षाओं में काफी ज्यादा बोरियत हुआ करती थी। मुझे ऐसा लगता था कि यह विषय बना ही नहीं है मेरे लिए। लेकिन उसके बाद मेरे जीवन में विकास धनखड़ सर का आगमन हुआ। विकास सर, ने गणित को मेरे लिए खेल बना दिया। उनका समझाया गया हर सूत्र इतना आसान प्रतीत होता था कि मैं आपको बता नहीं सकता।
विकास सर का मेरी शैक्षिक जीवन में आगमन बहुत सही समय पर हुआ था। नौवीं कक्षा के प्रथम सत्र में मैं बुरी तरह फेल हो गया था, और उसके बाद मुझे विकास सर की कक्षा में भेज दिया गया था। वहां मैंने गणित को पढ़कर यह जाना कि गणित कितनी आसान है। विकास सर मैं इस मंच से आपका, आपकी सीखों के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। आप जैसे अध्यापक को अपने जीवन में पाकर मैं अभिभूत हूं। मैं आपकी सीखों को हमेशा याद रखूँगा।
अपने भाषण को अब मैं अपने मित्रों की तरफ तोड़ना चाहूंगा। ऐसा कहा जाता है कि इंसान सारे रिश्ते भगवान के घर से ही बनवा कर आता है। लेकिन केवल मित्रता का रिश्ता ही एकमात्र ऐसा होता है जो वह यहां आकर बनाता है। मित्रता करते वक़्त हम कभी भी यह नहीं देखते कि व्यक्ति हमारे स्तर का है या नहीं, व्यक्ति हमारे रंग, रूप, स्तर से भले ही ना मेल खाता हो, लेकिन हमें केवल उससे अपना दिल मिलाना होता है।
दोस्तों, तुम्हारे साथ पता ही नहीं चला कि ये 12 साल कैसे बीत गए। हमारा विद्यालय जीवन काफी ज्यादा रोमांचक रहा। दोस्तों मैं आप सभी के साथ बिताए हुए लम्हे कभी नहीं भूला सकता। चाहे वह लंच के समय में समोसे खाने के लिए पैसे जुटाने हो या फिर प्रार्थना के समय साथ में प्रार्थना करनी हो। मैं तुम्हारे साथ बिताया एक भी लम्हा भुला नहीं सकता।
चाहे वह परीक्षाओं के समय में साथ बैठकर, खूब सारी पढ़ाई करनी हो या फिर परीक्षाओं के बाद खूब सारी बदमाशी। यह मेरे जीवन का सौभाग्य है कि मुझे तुम जैसे दोस्त मिले। मैं तुम सभी को अपने जीवन में पाकर बहुत ज्यादा खुश हूं। मैं यह वादा करता हूं कि भले ही हम स्कूल में साथ न रहें अब लेकिन स्कूल के बाहरी जीवन में हम हमेशा साथ रहेंगे और यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।
मेरे शुरुआती दिनों में स्कूल मुझे किसी बोझ की तरह लगता था, और मैं हर समय यही चाहता था कि कब मुझसे यह स्कूल छूटे और मैं यहां से दूर कहीं चला जाऊँ। देखिये आज यह बेला भी आ गई। लेकिन आज यहां से जाने का जी नहीं चाहता। इस विद्यालय में बिताया गया हर एक लम्हा मेरे लिए बहुत खास है और वह मेरे जीवन भर की पूंजी है।
अब इतना कहकर मैं अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा। मुझे सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद। प्रबंधन समिति ने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए उनका भी धन्यवाद। मैं अपनी जगह लेना चाहूंगा।
धन्यवाद
9. अध्यापकों के लिए फेयरवेल पर भाषण Farewell Speech to teachers in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय अध्यापक गण, एवं मेरे प्रिय साथियों। आज हम सभी हमारे विद्यालय के फेयरवेल दिवस या विदाई समारोह में इकठ्ठा हुए हैं। यहां पर मुझे मेरे विचार रखने का मौका दिया गया है। मैं अपने विचार आप सभी के सामने रखना चाहूंगा। सबसे पहले तो मैं प्रबंधन समिति का शुक्रिया करना चाहूंगा जिन्होने मुझे इस काबिल समझा कि मैं यहां से इतने अधिक योग्य लोगों के लिए और उनके सामने कुछ बोल सकूं। यह मेरे लिए एक सौभाग्य है कि मैं इस विदाई समारोह पर आप सभी के साथ अपने विचारों को साझा कर पाऊंगा।
आदरणीय श्रोताओं, मैं अपने इस विदाई समारोह भाषण में अपने विद्यालय जीवन के दौरान, मेरे अध्यापकों का मुझ पर जो प्रभाव रहा है, उसके बारे में आप सभी को बताऊँगा। आदरणीय श्रोताओं, एक अध्यापक का एक बालक के जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव रहता है। अध्यापक वह दीपक होता है जो खुद जलकर भी दूसरों को रोशनी प्रदान करता है।
जापान की एक घटना का जिक्र करता हूं, वहां पर अध्यापकों को वहां के जजों, कलेक्टरों और अन्य सभी पेशों के व्यक्तियों से ज्यादा वेतन दिया जाता है। एक बार वहां के अन्य पेशों के व्यक्तियों ने जब इस बात का विरोध किया तब उन्हे वहां की सरकार ने कहा कि आप लोग अध्यापक नहीं हैं, न ही बन सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, अध्यापकों ने आपको बनाया है। हर व्यक्ति अध्यापक नहीं बन सकता, लेकिन हर व्यक्ति का निर्माण अध्यापक ही करता है।
मैं अपने विद्यालय के अध्यापकों के प्रति भी यही सोचता हूँ। जापान की घटना का जिक्र करते हुए मैं यह नहीं कहना चाहता कि अध्यापक, वेतन के लिए कार्य करते हैं, अपितु मैं यह कहना चाहता हूं कि अध्यापक का कर्ज, कितना भी वेतन देकर नहीं चुकाया जा सकता। विद्यालय के सभी अध्यापक काफी ज्यादा उदार और विनम्र रहे हैं। अध्यापक वह स्तम्भ होता है जिस पर कोई भी विद्यालय खड़ा होता है।
मैं अपने इस भाषण में कई अध्यापकों का जिक्र जरूर करना चाहूंगा। सर्वप्रथम मैं आदरणीय अध्यापिका, प्रेम मैम का जिक्र करना चाहूंगा। प्रेम मैम को मैं अपनी दादी के समान मानता हूं। ऐसा इसलिए नहीं कि वह उम्र में वयोवृद्ध हैं, अपितु ऐसा इसलिए क्यूंकि प्रेम मैम ने हमेशा ही मुझे एक दादी के जैसा स्नेह दिया। यह प्रेम मैम का ही प्रभाव था कि मैंने विद्यालय में कभी भी एक दिन का भी अवकाश बड़ी हुई मुश्किल से लिया था।
प्रेम मैम के प्रभाव के कारण ही मैं व्यक्तिगत स्तर पर भी विकास कर पाया। आज मुझे हिन्दी से बहुत ज्यादा प्रेम है जिसकी जिम्मेदार प्रेम मैम हैं। प्रेम मैम के कारण ही मुझे हिन्दी इतनी ज्यादा पसंद है। यह इनके हिन्दी पढ़ाने के तरीके के कारण हुआ है। आज के समय में जब हिंदी को एक निम्न विषय के तौर पर देखा जाता है और उसे तरजीह नहीं दी जाती, तब प्रेम मैम जैसे अध्यापक हिंदी को सशक्त करते हैं। यह प्रेम मैम के कारण ही हुआ है कि हमारे विद्यालय के सभी बालक, अंग्रेजी से ज्यादा हिंदी का महत्व बताते हैं। यहां अंग्रेजी के महत्व और अंग्रेजी के अध्यापक के महत्व में अंतर है।
मैं अपने इस भाषण में जिस दूसरे अध्यापक का जिक्र करना चाहूंगा, वो हैं मेरी संस्कृत की अध्यापिका सविता मैम। सविता मैम हमारी कक्षा अध्यापिका भी थीं। हर अध्यापक के पढ़ाने का तरीका अलग होता है, सविता मैम के पढ़ाने का तरीका भी काफी अलग था। सविता मैम से ज्यादा उदार व्यक्तित्व मैंने आजतक नहीं देखा। आदरणीय श्रोताओं, मैं इस मंच से यह कहना चाहूंगा कि यदि प्रेम मैम मेरे लिए दादी के समान हैं तो सविता मैम मेरे लिए मां के समान हैं। मुझे याद है जब अन्य अध्यापक हमें सजा दे दिया करते थे, तब सविता मैम ही हमें उन अध्यापकों से बचाने आया करती थीं। यह मैम के विनम्र व्यक्तित्व का ही हिस्सा था।
सविता मैम के पढ़ाने का तरीका अन्य अध्यापकों से काफी ज्यादा अलग था। वह संस्कृत जैसे कठिन विषय की अध्यापिका होने के बावजूद हमें काफी ज्यादा आसानी से पढ़ा दिया करती थीं। उनके पढ़ाए जाने के दौरान हमारी कक्षा का हर विद्यार्थी पढ़ाई पर ध्यान देता था। एक अध्यापक के तौर पर सविता मैम एक रोल मॉडल के तौर पर नजर आती हैं। उनके अंदर वे सभी गुण थे जो कि एक अध्यापक के अंदर होने चाहिए।
अध्यापकों के बारे में कही गई हर बात को सविता मैम साबित करती हैं। उनका स्नेह उनकी कक्षा के हर विद्यार्थी के लिए उनके अपने बालक की तरह था। कक्षा में पढ़ाने से लेकर अन्य सभी गतिविधियों में सविता मैम ने हमें प्रेरित किया। संस्कृत में मैं शुरू से ही इतना अच्छा नहीं था लेकिन उन्होने हमेशा से संस्कृत के नाटकों, कविताओं और कहानियों को इस तरह से पढ़ाया कि वो मेरे जेहन में जाकर बैठ गए। यह सविता मैम का उपकार है कि उन्होने मुझे जिंदगी की वे सीखें दीं, जिनके कारण मैं अपने जीवन में किसी भी द्वंद से लड़ सकता हूं।
मैं अब अपने अन्य अध्यापक अनिरुद्ध के बारे में आप सभी को बताना चाहूँगा। अनिरुद्ध सर खेल के अध्यापक हैं। एक खेल के अध्यापक का, किसी भी विद्यार्थी के जीवन में क्या महत्व होता है यह आप सभी जानते हैं। एक खेल का अध्यापक रेगिस्तान में किसी झरने की तरह होता है। अनिरुद्ध सर ने पहली बार जो संबोधन दिया था मैं आज भी उसको याद करके प्रेरित हो उठता हूँ। उन्होने हमारे विद्यालय आने पर स्वागत समारोह में, जो संबोधन दिया था उसमें उन्होने सचिन तेंदुलकर और शाहरुख खान जैसे दिग्गजों के संघर्ष के बारे में हमे बताया था।
वह काफी ज्यादा प्रेरक था। अनिरुद्ध सर ने हमें कई सारे खेल के नियमों ने बारे में तो बताया ही साथ ही यह समझाया कि खेलों की तरह ही जिंदगी में भी अगर हम नियमों का ध्यान रखें तो जीत हमारी ही होगी। एक खेल के अध्यापक को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि अनिरुद्ध सर जैसा खेल का अध्यापक हर विद्यालय में जरूर होना चाहिए। अनिरुद्ध सर की यह खूबी है कि ये खेल खेल में ही बालकों को जिंदगी का पाठ पढ़ा देते हैं।
मैं इस मंच से अपने गणित के अध्यापक, श्रीमान विकास धनख़ड़ के बारे में भी आप सभी को बताना चाहूँगा। दरअसल मैं नौवीं कक्षा के पहले सत्र में बुरी तरह फेल हो गया था, लेकिन आज मैं गणित में अपनी कक्षा के होनहार छात्रों में से एक हूँ। इसका पूरा श्रेय विकास धनख़ड़ सर को ही जाता है, उन्होने गणित को एक आसान विषय की तरह हम सभी को पढ़ाया और उन्ही की बदौलत आज हम सभी गणित में एक काफी तेज हैं।
मैं विद्यालय के प्रिय अध्यापकों के विषय में आप सभी को बता चुका हूं, लेकिन यह कड़ी कष्टदायक है कि मैं और मेरे अन्य साथियों को यह विद्यालय और विद्यालय के अध्यापकों को छोड़कर जाना पड़ेगा। जाते जाते मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि आप सभी अध्यापकों द्वारा पढ़ाए गए जीवन के पाठ को मैं हमेशा ही याद रखूँगा। आप लोगों ने मुझे एक अच्छा इंसान बनाया है जिसके लिए मैं आप सब का आभारी हूँ। मैं अब इतना कहकर अपनी वाणी को विराम देता हूं। मुझे सुनने के लिए आप सब का आभार। प्रबंधन समिति ने मुझे बोलने दिया उसका आभार।
धन्यवाद
आशा करते हैं आपको यह विदाई समारोह का भाषण (Farewell Speech in Hindi) अच्छे लगे होंगे।
I Love you my farewell party and friends also
Supar speech
Class10th students vidai le reh h our unko hi bahasan dena h to
not bad
Mere headmaster NE PhD ki upadhi prapt ki or mujhe unke samman me 26 January ko bhasan Dena hai.