हिन्दू वैवाहिक रस्म बारात Hindu Wedding Ritual Barat in Hindi
भारतीय संस्कृति में, हिन्दू और सिख विवाह में, दूल्हे को विवाह के स्थान तक ले जाने के लिए एक तरह की यात्रा निकाली जाती है, जिसे ‘बारात’ कहा जाता है। बारात संपूर्ण विवाह समारोह की सबसे ज़्यादा दिलचस्प रस्म होती है।
ढोल, संगीत, शोर- शराबा, हंसी, खिले हुए चेहरे, सजे हुए कपड़े, डांस और सड़क पर नाचते हुए अनजान लोगों को भी नाचने के लिए मनाना इसी सब से भरी हुई यह रस्म है, जो विवाह की शुरुआत एक पूरे देसी अंदाज़ में करती है। बारात एक उत्तर भारतीय और पाकिस्तानी रस्म है, जिसमे दूल्हा अपने विवाह के लिए गाजे- बाजे के साथ दुल्हन के घर आता है, और वह उसे हमेशा के लिए अपने साथ ले जाता है।
बारात क्या होता है?
सामान्य तौर पर, यह एक तरह की यात्रा या जुलूस (शोभा यात्रा)होता है, जो दूल्हे के घर से निकलकर विवाह वाले स्थान की ओर रवाना होता है। बारात में दूल्हे के परिवार वाले, रिश्तेदार और सभी मित्र शामिल होते हैं और क्योंकि ये सब इसमें शामिल होते हैं, इसलिए इन्हे ‘बाराती’ कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में दूल्हे को अक्सर एक सजाए गये सफ़ेद घोड़े/ घोड़ी या हाथी पर बिठाया जाता है।
लेकिन आज के आधुनिक युग में समय के साथ ही परंपराओं और रीतियों में भी परिवर्तन आये हैं। पहले के समय में बारात करीब एक सप्ताह तक दुल्हन के स्थान पर ठहरती थी। परंतु, आज के समय में व्यस्तता के चलते यह रस्म एक दिन में ही पूर्ण की जाती है। आज के समय में जब बारात को दूर के स्थान पर जाना हो, तब घोड़े अथवा हाथी की बजाय बारात कार तथा बसों से विवाह स्थल तक जाती है।
इस रस्म के लिए दूल्हे द्वारा विशेष रूप से सुन्दर वस्त्र धारण किये जाते हैं, और इस दिन सभी के लिए दूल्हा ही मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। दूल्हे को साफ़े के साथ एक ‘सहरा’ भी पहनाया जाता है, जिसमे लगे फूल उसके चेहरे के सामने परदे जैसे बन जाते हैं। अपने गले में वह भारतीय मुद्रा से गुही हुई एक माला पहनता है, जो कि उसकी समृद्धता को दर्शाती है।
यह एक रंगों से भरा और विशाल उत्सव होता है, जिसका आनंद वहां मौजूद हर व्यक्ति के द्वारा उठाया जाता है। बारात के विवाह स्थल की ओर निकलने से पहले परिवार के किसी सदस्य द्वारा दूल्हे के मस्तक पर तिलक लगाया जाता है। इसके बाद दूल्हे की बहन और बुआ बारात की घोड़ी को मीठा अनाज खिलाती हैं।
इसके पश्चात, दूल्हा घोड़ी पर सवार होता है। बारात के साथ साथ-साथ चलने वाले बैंड के लोग विवाह से जुड़ी अलग अलग धुन और गाने बजाते हैं, और उन गानों पर बारात के साथ साथ चल रहे लोग ख़ुशी से नाचते, गाते और झूमते हुए चलते हैं।
आज के समय में बारात आदि अवसरों पर डीजे बुलाये जाते हैं, जो ढोल की थाप पर हिप हॉप, भंगड़ा इत्यादि की धुनों को मिक्स करके डांस का एक माहौल तैयार कर देते हैं, और फिर उसमें शामिल हर एक शख्स अपने आप ही गाने की धुन पर थिरकने को मजबूर हो जाता है।
इस प्रकार से वहां मौजूद सभी लोग इस बात की ख़ुशी और जश्न मनाते हैं कि उनके परिवार का एक सदस्य अपना कुंवारा जीवन त्याग कर के, वह एक नए साथी को चुन कर उसके साथ एक वैवाहिक जीवन में कदम रखने जा रहा है। इन सब जश्नों के साथ ही बारात विवाह के स्थल पर पहुँचती है, जहाँ दुल्हन और दुल्हन के परिवार वाले बारात आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे होते हैं।
बारात के आगमन पर, मिलनी रस्म के अंतर्गत उसमे शामिल सभी सदस्यों का दुल्हन के परिवार वालों द्वारा प्यार और अपनेपन के साथ स्वागत किया जाता है। इसमें दोनों पक्षों के लोग अपने अपने समकक्ष लोगों से हाथ मिलाते हैं और गले मिलते हैं। मिलनी अक्सर दो परिवारों के मिलन का प्रतीक होती है। दुल्हन की माता दूल्हे के मस्तक पर तिलक लगाती हैं, और उसकी आरती उतारती हैं, जिससे कि उसके आस-पास फटकने वाली सभी बुरी चीज़ें और बुरी नज़रें दूर भाग जाएं।
दुल्हन के परिवार वालों द्वारा दूल्हे को तथा बारात में शामिल सभी सदस्यों को कुछ धनराशि उनके प्रति आभार व्यक्त करने के रूप दी जाती है। इसके बाद दूल्हे को स्टेज पर लाया जाता है, जहाँ से सभी लोग उसे निहार सकें और आकर अपना आशीर्वाद दे सकें।
इसी स्टेज पर जयमाला का प्रबंध भी किया जाता है, जिसमे दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के गले में वरमाला पहना सबके समक्ष उम्र भर के लिए उनकी अच्छाई तथा बुराइयों के साथ एक दूसरे को स्वीकार करते हैं। जयमाला के लिये दुल्हन को स्टेज पर लाया जाता हैं, जहाँ पर वे दोनों एक दूसरे को माला पहनाते हैं, इसके बाद विवाह की अन्य रस्में शुरू की जाती हैं।
बारात शादी के दिन की सबसे उत्साह और उमंग वाली रस्म होती है। इसमें शामिल सभी लोग नए जोड़े के लिए अत्यधिक ख़ुशी के साथ नाचते हैं और उन्हें दुआएँ देते हैं।
क्या खत्म हो रहा है बारात का चलन?
कई बुद्धिजीवियों द्वारा यह अब माना जाने लगा है कि अब बारात का चलन खत्म होने वाला है। इसका चलन खत्म होने का अर्थ यह है कि अब दूल्हे द्वारा बारात नहीं निकाली जाती। खैर यह कुछ मामलों में सही भी है और कुछ में गलत भी।
दरअसल कई बार ऐसा होता है कि दूल्हा एवं दुल्हन किसी होटल में शादी करते हैं। होटल में बारात निकालना लगभग नामुमकिन होता है। होटल आधुनिकता का प्रतीक है, और यह कहा जा सकता है कि अब शायद आधुनिकता के कारण ही बारात नहीं निकाली जाती।
उत्सव में विविधता
1) पंजाबी बारात
हिंदू मान्यताओं के इतर, एक पंजाबी बारात में महिलाएं एवं पुरुष दोनों ही शामिल होते हैं। इसका नेतृत्व अत्यधिक उत्साहित लोगों द्वारा किया जाता है, जो मुख्य अतिथि एवं मुख्य रिश्तेदार भी होते हैं। एक पंजाबी बारात का अर्थ, नाचने गाने से कहीं ज़्यादा है। इसमें सबसे आगे मुख्य अतिथि एवं संगीतकार चलते हैं।
वहीं उनके बाद दूल्हा अपनी घोड़ी पर सवार होकर उनके पीछे चलता है। पंजाबी बारात में दूल्हे के हाथ में तलवार मौजूद होती है, जो उसे शक्तिशाली दर्शाने के लिए दी जाती है। दूल्हे के सर पर सेहरा मौजूद होता है जो कि अलग अलग मोतियों से बना होता है। कई बार सेहरा सोने का भी होता है। इसके दौरान सभी पुरुष हल्के, गुलाबी रंग की पगड़ी पहने हुए रहते हैं। सिख मान्यताओं के अनुसार पगड़ी मान सम्मान और शौर्य का प्रतीक होती है।
2) राजपूत बारात
राजपुत बारात अन्य बारातों के इतर नाच गाने से अलग होती है। इसका नेतृत्व संगीतकार करते हैं। पूरी बारात में बाराती अचकन और शेरवानी पहनकर मौजूद रहते हैं। बारातियों के सर पर साफा बंधा हुआ होता है, जो कि उनके शौर्य को दर्शाता है।
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