पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज या सिंड्रोम What is PCOS or PCOD in Hindi ?
क्या है पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज या सिंड्रोम Polycystic ovarian syndrome or disease kya hai, What is PCOS or PCOD in Hindi ?
पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) रोग आजकल महिलाओं और लड़कियों में बहुत अधिक पाया जा रहा है। आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली का फल है यह रोग। पहले यह रोग 30-35 साल की स्त्रियों को होता था।
पर अब तो यह स्कूल जाने वाली कम उम्र की लड़कियों को भी होने लगा है। जिन स्त्रियों को पीरियड्स (महावारी) से संबंधित बीमारियां होती हैं उनको PCOD होने की संभावना अधिक होती है। यदि यह रोग शुरू होने पर इसका पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से करवाया जा सकता है।
पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज या सिंड्रोम What is PCOS or PCOD in Hindi ?
क्या है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज? What is Polycystic ovarian syndrome or disease in Hindi? (PCOD / PCOS)
इसे पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर या पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी कहते है। इस रोग में महिला के गर्भ में मेल हार्मोन (एंड्रोजन) का स्तर बढ़ जाता है जिससे ओवरी में सिस्ट्स बनने लगता है। यह रोग क्यों होता है इस बात का ठोस कारण अभी तक डॉक्टर पता नहीं कर पाए हैं।
पर ऐसा अंदाजा लगाया जाता है कि महिलाओं में हार्मोन असंतुलन, तनाव और मोटापा के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। इसके आनुवंशिक कारण भी होते हैं। जो महिलाएं डिप्रेशन, तनाव, अवसाद में होती हैं उनको भी PCOD होने की संभावना बहुत अधिक होती है। यह रोग 20 से 30 उम्र की महिलाओं में अधिक पाया जाता है।
लक्षण Symptoms of PCOD / PCOS
पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज PCOD /PCOS) के लक्षण-
- माहवारी की समस्याएं – यह रोग हो जाने पर माहवारी की संख्या कम हो जाती है या माहवारी बिल्कुल नहीं होती। जब भी होती है तो खून का स्राव बहुत अधिक होता है और यह असंतुलित होता है।
- बालों की समस्याएं- इस रोग का बड़ा दुष्परिणाम यह है कि स्त्रियों के बाल जड़ों से झड़ने लग जाते हैं। बहुत से PCOD /PCOS में स्त्रियों के बाल बहुत अधिक निकलने लग जाते हैं। चेहरे, छाती, पीठ, पेट, उंगलियों और पैर की उंगलियों पर अनचाहे बाल निकल आते हैं।
- त्वचा संबंधित समस्याएं– जिन स्त्रियों को पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज हो जाता है उनकी त्वचा तैलीय हो जाती है। उस पर बहुत से मुंहासे भी निकल आते हैं। इस रोग में ये त्वचा संबंधी लक्षण सबसे पहले दिखाई देते हैं।
- इंसुलिन संबंधित समस्याएं- ऐसी स्त्रियों को इंसुलिन बहुत अधिक बनने लगता है जिससे उनके शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।
- अवसाद- PCOD /PCOS होने पर महिलाओं में अवसाद, तनाव, डिप्रेशन और मूड स्विंग (जल्दी जल्दी मन बदलना) जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लग जाती हैं। उनकी मानसिक स्थिति बहुत जल्दी-जल्दी बदलती है। यह खतरनाक स्तर तक बढ़ सकती है।
- सांस लेने में दिक्कत होना- PCOD में व्यक्ति को सोते समय सांस लेने में दिक्कत होती है।
- अन्य समस्याएँ- यदि महिलायें अपना इलाज नहीं करवाती हैं तो उनको दिल की बीमारियां, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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इलाज कैसे करें? Treatment of PCOD / PCOS
यह एक लंबी बीमारी है। डॉक्टर से इसका इलाज लंबे समय तक और पूरा करवाना चाहिए-
- जीवनशैली में बदलाव करें- PCOD के मरीजों को जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। सही समय पर संतुलित आहार करना चाहिए। हर दिन व्यायाम करना जरूरी है।
- वजन कम करें- चिकित्सकों का कहना है कि पीसीओडी से ग्रस्त महिलाएं यदि केवल 10% वजन कम कर दें तो उनको बहुत फायदा होता है। उनके शरीर में हार्मोन का उत्पादन संतुलित हो जाता है जिससे माहवारी नियमित हो जाती है। वे आसानी से मां बन सकती हैं। वजन कम होने से मूड स्विंग (बार बार मानसिक स्थिति) बदलना जैसी समस्या भी खत्म हो जाती है। बाल गिरना कम हो जाते हैं। मुंहासों में भी कमी आती है।
- डॉक्टर से इलाज करवायें- इस तरह की बीमारी में डॉक्टर अक्सर खाई जाने वाली कॉन्ट्रासेप्टिव गोलियां देते हैं। इस गोली से माहवारी नियमित, अनचाहे बाल निकलने से रोकथाम होती है। जिन स्त्रियों को बांझपन की समस्या आ रही है उन्हें Clomiphene citrate की गोली दी जाती है। पीसीओडी होने पर मनोचिकित्सक से काउंसलिंग भी लेनी चाहिए।
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क्या खाना चाहिये? What to Eat in PCOD / PCOS?
- इस रोग की ठीक करने के लिए फाइबर युक्त सब्जियों जैसे ब्रोकोली, गोभी का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन युक्त खाना जैसे मछली खानी चाहिए। हल्दी और टमाटर का सेवन करना इस रोग में लाभकारी माना जाता है। लाल और हरी शिमला मिर्च, बींस, दालें, बादाम, बेरी, शकरकंद, कद्दू जैसे फाइबर युक्त भोजन खाना इस रोग में लाभकारी होता है।
क्या नही खाना चाहिये? What not to Eat in PCOD / PCOS?
- इस रोग में सफेद ब्रेड, मफिंस, पेस्ट्री, मिठाईयां, सफेद आलू और सफेद आटे से बना खाना नहीं खाना चाहिए। पीसीओडी में कार्बोहाइड्रेट पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। तला भुना भोजन, मांस का सेवन कम से कम करना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का व्यायाम करना चाहिए। चीनी का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। तनाव को कम करने के लिए योग करना एक बेहतर विकल्प है।
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आशा करते हैं आपको “पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज या सिंड्रोम What is PCOS or PCOD in Hindi?” से जुडी यह जानकारी पसंद आई होगी। याद रहे इस आर्टिकल में दी गयी जानकारियां मात्र ज्ञान हेतु है। कुछ भी जानकारी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ से ज़रूर परामर्श लें।