ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण Speech on Global Warming in Hindi
सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज मैं ग्लोबल वार्मिंग के विषय में आप सभी से अपने विचार साझा करना चाहता हूं।
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ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण Speech on Global Warming in Hindi
आप सभी ने यह महसूस किया होगा कि पृथ्वी पर ऋतुओं में भयावह बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर यह देखा जा सकता है कि आजकल सर्दियाँ दिन पर दिन कम होती जा रही हैं और शीत ऋतु का समय निरंतर घटता जा रहा है। गर्मियां बढ़ रही हैं, तापमान पहले के मुकाबले ज्यादा होने लगा है।
आपने लोगों को सर्दियों के मौसम में यह कहते हुए तो सुना ही होगा कि अब पहले कि तरह सर्दियाँ नहीं पड़ती। इसका प्रमुख कारण है पृथ्वी का तापमन लगातार बढ़ते जाना। वसंत ऋतु काफी पहले आ जाती है और फसलें इस कारण काफी ज्यादा प्रभावित होती हैं।
यह देखा गया है कि देश के कई हिस्सों में जो कि पहले काफी ज्यादा ठंडे हुआ करते, वहां भी बर्फ पड़नी बिल्कुल बंद हो चुकी या कम हो चुकी है। यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण होता है। ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ होता है वैश्विक स्तर पर गर्मी का बढ़ना।
ग्लोबल वार्मिंग के भयंकर परिणामों में भूकंप, बाढ़, अप्रत्याशित भूस्खलन शामिल है। धीरे धीरे पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और बीते दशक में यह में कई गुणा तेजी से बढ़ा है।
उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। तापमान बढ़ने के कारण मानव स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर हो रहा है और केवल मानव जीवन ही नहीं अपितु अन्य सभी जीव जंतु जैसे वन्यजीव और जलीय जीव भी ग्लोबल वार्मिंग से बेतहाशा प्रभावित हैं।
पृथ्वी के बढ़े हुए तापमान के कारण ही जंगलों में अचानक से आग लग जाती है जिस कारण उस क्षेत्र में मौजूद वन्य पर्यावरण काफी ज्यादा मात्रा में नुकसान झेलता है।
ऐसा ही कुछ जलीय जीवों के साथ भी होता है। कई जलीय जीव ऐसे होते हैं जो अपने आवास के प्रति अनुकूल हो जाते हैं और तापमान बढ़ने पर उसे सह नहीं पाते। बीते दिनों इस कारण काफी सारी स्पिसीज का भी अन्त हुआ है। बढ़ता हुआ तापमान सारे पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। ऐसा ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग का एक अन्य परिणाम पृथ्वी पर अनाजों की कमी भी है। दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के कारण सूखे और बाढ़ की स्थित बन जाती है। बीते दशक में विश्व के कई हिस्सों में भयानक बाढ़, सूखा और भूकंप भी आ चुका है। सूखे की स्थित फसलों को नुकसान पहुंचाती है और खेती करना लगभग नामुमकिन होता है।
इसी तरह बाढ़ की स्थिति में भी फसलों को नुकसान पहुंचता है। इन दोनों ही स्थितियों में खाद्यान्न की भीषण कमी का सामना करना पड़ता है और जब यह व्यापक स्तर पर होगा, जब ग्लोबल वार्मिंग हद से ज्यादा बढ़ जाएगी तब क्या होगा यह चिंतनीय है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही समुन्द्र अपने स्तर से ऊपर उठ रहा है और ओजोन परत मे छेद हो रहा है। ओजोन परत में यह छेद आगे चलकर काफी बड़ी खतरा साबित हो सकता है। मानव जीवन के लिए ऑक्सिजन की महत्ता तो आप सभी जानते होंगे और यह भी जानते ही होंगे कि पृथ्वी के सिवाय कहीं पर भी ऑक्सिजन नहीं पाई जाती।
ओजोन परत में बना यहा छेद जब बड़ा हो जाएगा तब पृथ्वी का वायुमंडल अंतरिक्ष से जुड़ जाएगा और वायुमंडल में मौजूद ऑक्सिजन कहाँ विलुप्त हो जाएगी यह पता भी नहीं चलेगा। यह संपूर्ण मानव जाति का अंत साबित हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक परिणाम मैं आपको बता चुका हूं। इसके पीछे की वजह भी जाननी बेहद जरूरी है ताकि हम इस समस्या को हल कर सकें। दरअसल ग्लोबल वार्मिंग के कई सारे कारण हैं।
उनमें से प्रमुख कारण है ग्रीन हाउस गैसों का ग्रीन हाउस प्रभाव। ग्रीन हाउस गैसें वे वैसे होती हैं जो कि तापमान को बढ़ाने के लिए कारक होती हैं। ग्रीन हाउस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कि बर्फीले क्षेत्र एवं वे क्षेत्र जहां पर धूप कम आती हैं, पौधे उगाए जा सकें।
इस प्रक्रिया के दौरान पौधे को एक शीशे की दीवार से ढक दिया जाता है। इस शीशे की दीवार के कारण अन्दर आई हुई धूप बाहर नहीं जाती और पौधा काफी समय तक धूप से पोषक तत्व प्राप्त कर लेता है। तेज धूप में कार की खिड़कियों के शीशे चढ़ाकर रखने से जो गर्मी महसूस होती है वह ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ही होती है।
कार्बन डाई ऑक्साइड भी ग्रीन हाउस गैसों में से ही एक गैस है और यह ग्लोबल वार्मिंग का कारक भी है। विज्ञान में प्रकाश संश्लेषण पढ़ने के दौरान हम ने यह जाना था कि पेड़ पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहित करके ऑक्सिजन छोड़ते हैं।
हालांकि यह भी जगजाहिर है कि पृथ्वी पर काफी ज्यादा मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड मौजूद है। पेड़ों के की अंधाधुंध कटाई के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा और भी ज्यादा बढ़ गई है जो कि ग्लोबल वार्मिंग की कारक बन रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण और परिणाम जानने के बाद यह सबसे ज्यादा जरूरी है इससे निबटने के तरीकों के बारे में भी बात की जाए। दरअसल व्यक्तिगत और सामूहिक पर कई सारे ऐसे कदम हैं जिन्हे उठाकर हम अपनी ग्लोबल वार्मिंग को सिरे से खत्म कर सकते हैं।
व्यक्तिगत तौर पर पौधारोपण (वृक्षारोपण) किया जा सकता है। सार्वजानिक वाहन का यदि प्रयोग किया जाए और संसाधनों की बर्बादी न की जाए तो ग्लोबल वार्मिंग से बचा जा सकता है।
वहीं बड़े स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए ऐसी कम्पनियों को बंद करना होगा जो कि ग्रीन हाउस गैसे उत्सर्जित कर रहीं हैं। इस कदम से कई कम्पनियों को काफी ज्यादा घाटा होगा और अर्थव्यवस्था पर काफी गहरी चोट होगी, लेकिन क्या कोई भी घाटा मानव जीवन की समाप्ति से बढ़कर है? यह पृथ्वी हमारी है, यहां के संसाधन हमारे हैं, ग्लोबल वार्मिंग से हम सबको मिलकर लड़ना होगा। धन्यवाद