इस लेख में हिंदी में अस्पृश्यता और जातिवाद पर निबंध (Essay on Untouchability and Racism in Hindi) को बेहतरीन ढंग से लिखा गया है।
अस्पृश्यता और जातिवाद पर निबंध Essay on Untouchability and Racism in Hindi
इसमें अस्पृश्यता किसे कहते हैं, जातिवाद क्या है, भारत में अस्पृश्यता और जातिवाद, अस्पृश्यता और जातिवाद कैसे जुड़े हैं, अस्पृश्यता और जातिवाद का देश पर प्रभाव और इन्हें कैसे रोका जाए इत्यादि के विषय पर चर्चा किया गया है।
अस्पृश्यता किसे कहते हैं? What is Untouchability in Hindi?
रीति-रिवाज, परंपराओं, जाति और कार्यों के आधार पर जब समाज का कोई एक तबका दूसरे समुदाय के प्रति छुआछूत की भावना रखता है, तो इसे अस्पृश्यता कहते हैं।
सार्वजनिक तौर पर तथाकथित अछूत कहे जाने वाले लोगों के लिए मंदिरों, समाजिक स्थलों, इत्यादि में प्रवेश करना वर्जित कर दिया जाता है। भारत के प्राचीन वर्ण व्यवस्था से ही अस्पृश्यता जैसी रूढ़िवादी भावना प्रचलित हुई है।
अक्सर एक ही समाज के समुदायों में ऊंच-नीच, छोटी और बड़ी जाति की भावना के कारण भेदभाव व छुआछूत जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। भिन्न प्रकार के धारणाओं के आधार पर लोगों को श्रेष्ठ और अछूत की श्रेणी में बांट दिया जाता था।
यह मानवीय अधिकारों का पूर्ण हनन होता है। अस्पृश्यता एक ऐसा शब्द है। जो बरसों से हमारे समाज के विकास में बाधा डाल रहा है। आज भी देखा जाए तो यह विस्तृत रूप से चारों तरफ फैला है।
केवल भारत ही नहीं बल्कि विकसित अन्य देशों में भी त्वचा रंग, कार्य, धर्म, जाति इत्यादि के आधार पर लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। प्राचीन समय से लेकर आज तक यह कड़ी निरंतर चली आ रही है।
जिस तरह पहले तथाकथित अछूत कहे जाने वाले समुदायों के लिए वे तमाम सुविधाएं जो ऊंची जाति के लोगों के लिए उपलब्ध होती थी, वह नष्ट कर दी जाती थी। अस्पृश्यता का इतिहास पूरे मानव समुदाय के लिए एक कलंक है, जो आज भी कहीं ना कहीं जीवंत है।
जातिवाद क्या है? What is Casteism in Hindi?
जिस मापदंड के अनुसार लोगों के साथ पक्षपात अथवा अस्पृश्यता भरा व्यवहार होता है, उनमें से एक जाति भी है। हिंदू धर्म की बात करें तो इनमें अधिकतर जातिवाद की समस्या देखी जाती है।
प्राचीन समय में मुख्यतः कार्य के आधार पर लोगों को मुख्यतः चार श्रेणियों में विभाजित किया गया था, जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य का समावेश होता है।
इन प्रमुख 4 जातियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण और क्षत्रिय तथा वैश्य भी एक सम्मानित जाती गिनी जाती थी। सबसे नीचे शुद्र वर्ग को वर्णित किया गया है, जिनका कार्य बेहद सामान्य होता था।
यह भारतीयों के प्रकृति में बैठ गया, जिसके बाद से अपनी रूढ़ीवादी सोच को आगे बढ़ाते हुए वह सदैव से लोगों को जातियों के आधार पर उनके साथ पेश आने लगे।
जातिवाद की समस्या आज भी उसी तरह चली आ रही है, जिस प्रकार से इसे शुरू किया गया था। वैसे तो हमारे भारत में “अतिथि देवो भव” की संस्कृति है, लेकिन जातिवाद इसमें भी पक्षपात करने पर लोगों को विवश कर देता है।
यदि कोई इंसान जो नीची जाति का हो, उसके साथ लोग बहुत खराब व्यवहार करते हैं। यहां तक की उसके साथ बैठना भी नहीं पसंद करते हैं, फिर चाहे वह कोई अतिथि ही क्यों ना हो। विशेषकर आज भी पिछड़ी और अविकसित क्षेत्रों अथवा गांवो में जातिवाद ज्यादा देखा जाता है।
भारत में अस्पृश्यता और जातिवाद Untouchability and Casteism in India
हमारे भारत को आजाद हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन फिर भी एक गुलामी की कड़ी जिससे हमें आज तक आजादी पाने में सफलता प्राप्त नहीं कि वह है, अस्पृश्यता और जातिवाद।
जातिवाद व अस्पृश्यता से पीड़ित होने वाले समुदायों को अक्सर दलित समुदाय कहा जाता है। दलित समाज से जोड़े जाने वाले जातिवाद और अस्पृश्यता जैसे शब्दों को प्रदूषणकारी माना जाता है, जिसका अर्थ ‘अपवित्र’ होता है।
अक्सर दलित वर्ग अथवा नीची जाति के लोगों के साथ मारपीट करने की खबरें समाचार में दिखाई जाती हैं, जो स्वयं में ही भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक गंभीर समस्या है। हमारे देश में यह बहुत बड़ी समस्या है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर तथाकथित बड़े समाज से ताल्लुक रखने वाले लोग दलितों पर अत्याचार करते हैं।
अस्पृश्यता और जातिवाद के खिलाफ लड़ने वाले कुछ महान लोगों में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और अन्य कई समाज सुधारक आते हैं, जिन्होंने स्वयं इस पक्षपात को बड़े नज़दीक से सहा है। तमाम समाज सुधारकों के इतना प्रयास करने के बाद भी इस समस्या का निदान वास्तव में अब तक नहीं हुआ है।
भारतीय संविधान में दलितों अथवा छोटी जाति के लोगों के लिए बहुत सारे प्रावधान किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें इस अत्याचार को सहन करना पड़ता है। भारत में आज भी कई जगहों पर निम्न जाति में जन्म लेना न जाने क्यों एक अपराध माना जाता है।
यह एक मिथ्या है कि केवल आर्थिक रूप से कमजोर निम्न जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों के साथ ही अत्याचार व अस्पृश्यता बरती जाती है। बल्कि ऐसे चौका देने वाले उदाहरण हर दिन सामने आते हैं, जिससे लोगों की सोच पर तरस खाने के अलावा और कुछ नहीं किया जा सकता है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी, जोकि एक छोटी जाति से ताल्लुक रखते हैं, अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान जब वे एक प्रख्यात मंदिर में भगवान के दर्शन करने गए तब उनके साथ द्वारपालो और सेवकों द्वारा बदसलूकी का मामला सामने आया था। इससे यह बात तो तय है कि आज भी भारत में जातिवाद और छुआछूत कितने प्रभावी ढंग से जीवंत है।
अस्पृश्यता और जातिवाद कैसे जुड़े हैं? How Untouchability is Connected With Casteism?
मुख्यतः जन्म तथा कार्यों के आधार पर लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटना ही जातिवाद कहा जाता है। जिन निचली समुदायों को जातिवाद का सामना करना पड़ता है, उन्हें अस्पृश्यता को हथियार बनाकर अपमानित भी किया जाता है। अस्पृश्यता जातिवाद एक दूसरे के पूरक हैं।
यह खेद की बात है कि आधुनिक युग में जीने के बावजूद भी वर्तमान में ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक है, जो किसी निचली जाति में जन्मे एक शिशु के साथ भी अस्पृश्यता या छुआछूत करने से बाज नहीं आते हैं।
जाहिर सी बात है कि छुआछूत का सामना उन्हीं लोगों को करना पड़ता है, जो तथाकथित सर्वश्रेष्ठ जाति में जन्मे लोगों द्वारा अपमानित और पक्षपात के शिकार होते हैं।
अस्पृश्यता और जातिवाद कुछ ऐसी गंभीर समस्याएं हैं, जिन्हें देखा नहीं केवल महसूस किया जा सकता है। इतिहास में ऐसे हजारों उदाहरण मौजूद हैं, जो जातिवाद जैसी घृणित विचाराधारा के कारण लोगों के साथ अन्याय को दर्शाती है।
अस्पृश्यता और जातिवाद का देश पर प्रभाव Effects of Untouchability and Casteism in Country in Hindi
- देश में जातिवाद और अस्पृश्यता के चलते लोगों के बीच एकता का खंडन होता है। लोगों के मन में एक दूसरे के प्रति इश्या और द्वेष की भावना पनपती है, जिसके परिणाम स्वरूप एक समाज में कभी भी भाईचारा की भावना उत्पन्न नहीं हो पाती है।
- कई बार केवल जाति देखकर छोटी सी चूक होने पर भी दलितों अथवा नीचे तबके के लोगों के साथ मारपीट किया जाता है। कई बार ऐसे हिंसक जनाक्रोश के बीच लोगों की जान तक चली जाती है।
- जातिवाद और अस्पृश्यता देश में शांति का माहौल बनने नहीं देती। हर समय आपस में ही लोग जाति को लेकर एक दूसरे के विरोध में कोई ना कोई प्रवृत्ति अंजाम देते ही रहते हैं। ऐसे अशांत माहौल में देश का विकास भी अच्छे से नहीं हो पाता है।
- हर समय दंगे फसाद और आंदोलनों के चलते देश की छवि भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों के सामने हंसी का पात्र बनती है। जातिवाद और अस्पृश्यता के कारण दूसरे देश भारत को वैचारिक स्तर पर पिछड़ा देश समझते हैं।
- जातिवाद और अस्पृश्यता के पक्षधर दूसरे दलित समाज के लोगों का विकास सहन नहीं करते। ऐसी विचारधारा के कारण कई प्रतिभाशाली युवाओं से उनके भविष्य निर्माण का अवसर भी छीन लिया जाता है।
अस्पृश्यता और जातिवाद को कैसे रोका जाए? How to Stop Untouchability and Casteism in Hindi?
- लोगों की पुरानी और घिसी पिटी रूढ़िवादी विचारधारा में परिवर्तन लाने के लिए सबसे पहले उनमें जागरूकता लानी होगी, जिससे ही इस समस्या का समाधान संभव हो सकेगा।
- शिक्षा सबसे शक्तिशाली शस्त्र होता है। इसीलिए सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रारंभ से ही बच्चों को सभी समुदायों के बीच समानता और सम्मान की अभिवृत्ति विकसित करना चाहिए, जिससे कि वे आगे चलकर ऐसे पक्षपातों के विरुद्ध स्वयं निर्णय लेकर इसका समाधान कर सकें।
- जातिवाद और अस्पृश्यता को खत्म करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है कि अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- यदि किसी भी जगह जातिवाद अस्पृश्यता के संबंध में कोई घटना घटी है, तो तुरंत ही इसकी पड़ताल करके असली अपराधियों को सजा देना चाहिए।
- आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न जाति से ताल्लुक रखने वाले समाज के साथ अधिक बर्बरता की जाती है, इस कारण उन्हें जितना हो सके आर्थिक और सामाजिक सहायता देकर उनका विकास करना चाहिए।
- क्योंकी दुनियां में सभी के लिए धर्म और संस्कृति सर्वोपरि होता है और सभी इसकी इज़्जत करते हैं। इसलिए लोगों के मन में जातिवाद के रूप में स्थित कड़वाहट को दूर करने के लिए अध्यात्म का सहारा लेना चाहिए और तमाम बड़े धर्मगुरुओं को उनके धर्म के लोगों को समानता की शिक्षा देनी चाहिए।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने अस्पृश्यता और जातिवाद पर निबंध (Essay on Untouchability and Racism in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।