सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध Essay on Impact of Cinema in Life Hindi

इस लेख में हिंदी में सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध (Essay on Impact of Cinema in Life Hindi) को बेहतरीन ढंग से समझाया गया है। 

इसमें सिनेमा का जीवन पर प्रभाव, सिनेमा का बच्चों पर प्रभाव, सिनेमा का युवाओं पर प्रभाव, सिनेमा देखने के फायदे व नुकसान और किस प्रकार के सिनेमा बनाए जाने चाहिए इत्यादि के विषय में चर्चा किया गया है। 

Table of Content

सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध Essay on Impact of Cinema in Life Hindi

आज के आधुनिक जमाने में सिनेमा का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव बढ़ गया है। अब हर दिन नये नये मल्टीप्लेक्स, माल्स खुल रहे है जिसमे हर हफ्ते नई नई फिल्मे दिखाई जाती है।

इंटरनेट तकनीक सुलभ हो जाने से और नये नये स्मार्टफोन आ जाने की वजह से आज हर बच्चा, बूढ़ा या जवान अपने मोबाइल फोन में ही सिनेमा देख सकता है। आज हम अपने टीवी, कम्प्यूटर, लैपटॉप, फोन में सिनेमा देख सकते हैं। इस तरह इसका प्रभाव और भी व्यापक हो गया है।

पिछले 50 सालों में यह देश में मनोरंजन का सशक्त साधन बनकर उभरा है। अब भारत में सिनेमा का व्यवसाय हर साल 13800 करोड़ से अधिक रुपये का है। इसमें लाखो लोगो को रोजगार मिला हुआ है।

पूरे विश्व में भारत का सिनेमा उद्द्योग अमेरिका के उद्द्योग के बाद दूसरे नम्बर पर आता है। सब तरफ इसकी तारीफ़ हो रही है।

सिनेमा का जीवन पर प्रभाव Effect of Cinema on Life in Hindi

आज का दौर नवीनता के उत्थान का समय है। जहां कल्पना से निर्मित चीजों को लोगों के बीच एक मनोरंजन की तरह परोसा जा रहा है। 

सिनेमा यह समाज का एक दर्पण स्वरूप होता है, जो कलात्मक ही सही लेकिन समाज में रही हर एक छोटी से छोटी प्रतिबिंब को दर्शाता है। आज के दौर में सिनेमा हर इंसान के जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाल रहा है।

जिस तरह एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार सिनेमा भी समाज पर नकारात्मक व सकारात्मक दोनों ही तरह से प्रभाव छोड़ता है। आधुनिक समय में दूषित तथा अच्छी दोनों ही तरह की फिल्में बनाई जाती हैं, लेकिन यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वह कैसी फिल्मों को देखें। 

सिनेमा का बच्चों पर प्रभाव Effect of Cinema on Children in Hindi

जब भी इंडस्ट्री में कोई नई फिल्म आने वाली होती है, तो ज्यादातर बच्चे ही इसके लिए बड़े उत्सुक होते हैं। इतना उत्साह तो बच्चों को पढ़ाई लिखाई में भी नहीं आता जितना कि सिनेमा देखने में मिलता है। 

लेकिन मनोरंजन के प्रति यह व्यवहार जीवन का आदत बन सकता है, जिससे शिक्षा पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बच्चे किसी भी नई चीज को सीखने में बड़े माहिर होते हैं। सिनेमा जगत में ऐसी केवल गिनती भर की फिल्में है, जो बच्चों के लिए अच्छी मानी जा सकती हैं। 

ऐसे कई संवेदनशील दृश्यों को फिल्मों में प्रदर्शित किया जाता है, जो बच्चों को कतई नहीं देखनी चाहिए। माता पिता को हमेशा अपने मौजूदगी में ही बच्चों को सिनेमा देखने देना चाहिए।

बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। वे नहीं जानते कि उन्हें क्या देखना चाहिए और क्या नहीं लेकिन सिनेमा जगत आज बुरी तरह से दूषित हो चुका है, इसीलिए बच्चे किसी भी कीमत पर ऐसी फिल्मों के प्रभाव के दायरे में नहीं आने चाहिए। 

सिनेमा का युवाओं पर प्रभाव Impact of Cinema on Youth in Hindi

यह एक दुखद सच है कि आज की युवा पीढ़ी चकाचौंध से भरे पड़े सिनेमा जगत के सितारों को अपना आदर्श मान रही है। उठते-बैठते, सोते-जागते हर समय लोग इन्हीं आदर्शों की तरह व्यवहार करना चाहते हैं।

इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि सिनेमा युवाओं के मस्तिष्क तक कितना घर कर गई है, कि यह उनके रोजमर्रा के आदतों में भी समा चुकी है।

किसी भी चीज को पूरी तरह से नकार देना यह सही बात नहीं है। हम जानते हैं कि सिनेमा जगत में ऐसी हजारों फिल्में बनाई गई हैं, जो लोगों को उत्साहित और संघर्ष करने के लिए प्रेरणा देती हैं। 

लेकिन यह भी असलियत है कि आज का सिनेमा जगत लोगों को गुमराह कर रहा है। चंद मुनाफे के लिए यही तथा कथित आदर्श जन युवाओं को किसी मदारी की तरह नचा रहे हैं। 

उदाहरण के तौर पर कई फिल्मी अभिनेता जिनकी फैन फॉलोइंग करोड़ों में है, लेकीन वे विमल गुटखा और नशीली खाद्य सामग्रियों का प्रचार प्रसार करते हुए साफ़ देखे जा सकते हैं। यह आम बात है कि ऐसे कलाकारों को आदर्श मानने वाले युवाओं को उनके जैसे बर्ताव करने में गर्व महसूस होगा।

सिनेमा देखने के फायदे व नुकसान Advantages and Disadvantages of Watching Movies in Hindi

सिनेमा देखने के फायदे Advantages of Watching Movies in Hindi

रचनात्मक विचार

अपनी कल्पना शक्ति बढ़ाने की इच्छा रखने वाले लोगों को अच्छी फिल्में जरूर देखना चाहिए। यह सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि ऐसी मजेदार चीजों को प्रस्तुत करता है जिनसे हमारे स्वयं के विचारों में भी बदलाव आते हैं। 

अक्सर यह देखा गया है की बेहतरीन और शिक्षा देने वाली फिल्में देखने से लोगों के विचार शक्ति में सकारात्मक बदलाव आता है, जो रचनात्मकता को बढ़ावा देता है।

सामाजिक समस्याओं का आइना 

लोगों के पास आज के समय में अलग से समय निकालकर सामाजिक मुद्दों पर बातचीत करने का जरा भी समय नहीं है। ऐसे में सिनेमा किसी रामबाण की तरह कार्य करता है, जो मनोरंजन के साथ ही लोगों को सामाजिक समस्याओं से भी रूबरू कराता है। 

टॉयलेट एक प्रेम कथा, पैडमैन, और छपाक जैसे ढेरों ऐसी फिल्में है, जो समाज का प्रतिबिंब बनकर लोगों को इसके विषय में जागरूक बनाती है।

मनोरंजन का साधन

दुनिया की अधिकतर आबादी के लिए मनोरंजन का सबसे अच्छा विकल्प सिनेमा ही माना जाता है। लोग नई फिल्में रिलीज होने के लिए लंबे समय से इंतजार करते हैं। बच्चे, बड़े और बूढ़ो सभी उम्र के लोगों को फिल्म देखना बेहद पसंद होता है।

लोगों के लिए रोजगार

सिनेमा हमारे मनोरंजन के साथ ही लाखों लोगों के लिए रोजगार का काम भी करता है। एक फिल्म के निर्माण में कई लोग साथ मिलकर काम करते हैं, इसके लिए उन्हें उनके काम के अनुसार पैसे भी दिए जाते हैं। 

इसके अलावा ही जब भी कोई नई फिल्म रिलीज होती है, तो सिनेमा घर के बाहर प्रतिदिन हजारों लोगों का आवागमन बना रहता है, जिससे वहां के स्थानीय  विक्रेताओं को भी मुनाफा मिलता है।

विभिन्न संस्कृतियों का परिचय

सिनेमा एक नहीं बल्कि विभिन्न पहलुओं से लाभदायक है। क्योंकि इससे हमें ऐसी नई संस्कृतियों व भाषाओं के बारे में पता चलता है, जिसके विषय में शायद आपने कभी नहीं सुना होगा। इस प्रकार सिनेमा विभिन्न संस्कृतियों का परिचय कराने के लिए भी फायदेमंद है।

नए समाज के निर्माण में भूमिका

फिल्मों में किरदार निभाने वाले कलाकारों का जितना प्रभाव बच्चों और युवाओं पर पड़ता है, उतना शायद किसी दूसरे का नहीं होता। वर्तमान पीढ़ी अधिकतर सिनेमा को अपना आदर्श बनाए बैठी है। 

ऐसे में यह सबसे बड़ा अवसर है कि इन बड़े कलाकारों द्वारा समाज को एक सही राह दिखाया जाए, जिससे भटकी हुई पीढ़ी भी अपनी राह पर चलने लगे।

प्रेरणादायक कहानियां

महापुरुषों की प्रेरणादायक जीवनी से लेकर संघर्ष करके लोगों के सामने एक मिसाल पेश करने वाले लोगों के ऊपर सिनेमा में कई फिल्में बनाई जाती है। यह न केवल दिलचस्प होती है, बल्कि प्रेरणादायक भी होती हैं।

नए स्थलों की जानकारियाँ

एक फिल्म की शूटिंग के लिए अलग-अलग जगहों को चुना जाता है। अक्सर हम फिल्मों में नई नई जगह के बारे में सुनते और देखते हैं। इससे हमें उन स्थलों के बारे में पता चलता है। इस तरह नए स्थलों की जानकारियों के लिए सिनेमा देखना बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता है।

तनाव को कम करने में सहायक

आज इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई किसी न किसी कारण से तनाव में रहता है। ऐसे में मन को फ्रेश और ऊर्जावान महसूस करवाने के लिए फिल्में देखना असरदार हो सकता है। 

कॉमेडी, थ्रिलर और सस्पेंस से भरी हुई मजेदार फिल्में हमारे मन को शांत कर देती हैं और कुछ देर के लिए ही सही तनाव को भी पूरी तरह से मिटा देती हैं।

जागरूकता बढ़ाने में सक्षम

फिल्में देखना तो हर किसी को पसंद होता है। यह आश्चर्य की बात है की वर्तमान पीढ़ी पर सिनेमा उतना ही प्रभाव छोड़ती हैं, जितना कि किसी स्थल पर प्राकृतिक आपदाएं। समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सिनेमा किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है।

सिनेमा देखने के नुकसान Disadvantages of Watching Cinemas in Hindi

अपराध का कारण

पहले बताया गया की आधुनिक युवा पीढ़ी सिनेमा से सबसे ज्यादा प्रभावित रहती है। इस कारण फिल्मों में अच्छी चीजों के अलावा चोरी, डकैती, लूटमार, हत्या, इत्यादि जैसे अनगिनत अपराध भी दिखाई जाते हैं। 

जाहिर सी बात है की ऐसी चीजें भी लोगों के दिमाग में वेग की त्रिविता से घर कर जाती हैं, जो उनके जीवन की आदत बन जाती हैं। आज बढ़ते अपराध का एक कारण सिनेमा को भी माना जा सकता है।

शिक्षा पर नाकारात्मक प्रभाव

यह एक कड़वी सच्चाई है कि छात्रों को अपने पाठ्यक्रम का अता पता हो, कि नहीं लेकिन फिल्मों के डायलॉग्स जरूर याद होता है। अभद्रता और गालियों से भरी हुई फिल्मों को युवा पीढ़ी द्वारा देखा जा रहा है। ऐसे में सिनेमा के कारण शिक्षा की दुनिया धुंधली पड़ती जा रही है।

संस्कारों का नाश

एक समय हुआ करता था जब फिल्में लोगों की भावनाओं के रंग में रंग जाती थी। जहां बड़े ही सभ्यता और मजेदार तरीके से फिल्में परोसी जाती थी। लेकिन आज का वक्त बिल्कुल विपरीत है। 

आज की फिल्मों में जितने अभद्र भाषा, अश्लीलता को प्रस्तुत किया जाता है वो फिल्में उतनी ही लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं। यह सीधे तौर पर संस्कारों का नाश है।

सिनेमा देखने की लत

सिनेमा देखने का यह एक नकारात्मक पहलू है कि जब भी कोई फिल्म या सीरीज दर्शक देखने लगते हैं, तो उन्हें इसकी लत लग जाती है। सुनने में तो यह किसी आम शब्द के जैसा है, लेकिन यह कब आपका जीवन और स्वास्थ्य खराब कर दे कोई भी गारंटी नहीं है।

समय, धन और ऊर्जा का व्यय

ऐसी फिल्में देखना एक प्रकार से समय, धन और ऊर्जा का बेफिजूल खर्च ही होगा, जिससे आपको कुछ सीखने और नया जानने को ना मिले। आज की अधिकतर फिल्में इसी रोड मैप को अपनाकर काम कर रहे हैं।

भारतीय संस्कृति का परित्याग

यह खेद की बात है कि जहां भारतीय फिल्में अपनी संस्कृति को बनाए रखकर प्रस्तुत किए जाते थे, वही आज पाश्चात्य संस्कृति की तौर-तरीकों पर बनाए जा रहे हैं। सिनेमा जगत में बनाई जा रही अधिकतर फिल्में पाश्चात्य सभ्यता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं।

वयस्क सामग्री का प्रदर्शन

इस दूषित युग में सिनेमा इंडस्ट्री भी पूरी तरह से दूषित हो चुकी है। यहां संगीत के नाम पर कर्कश, असंगत, और भड़कीले गाने बनाए जाते हैं, जिन्हें लोग भी ख़ूब पसंद करते हैं। 

वयस्क सामग्रीयों को आज मनोरंजन के नाम पर खुलेआम प्रस्तुत किया जा रहा है। यह किसी भी मायने में एक अच्छे समाज के निर्माण में कामगार नहीं साबित हो सकता।

झूठी धारणाओं का प्रचलन

सिनेमा के शौकीन लोगों को इसके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले झूठे धारणाओं से बचने की सख्त आवश्यकता है। कई बार इसी कारण देश में हिंसक वातावरण भी बन जाते हैं। इस तरह सिनेमा के सबसे नकारात्मक पहलुओं में झूठी धारणाओं का प्रचलन भी शामिल है।

नशीली सामग्रियों का खुला प्रचार

अक्सर फिल्मों में कई ऐसे किरदार होते हैं, जो नशीली पदार्थों का सेवन करते हुए दिखाई जाते हैं। इसकी पूरी संभावना है कि युवा जो उन किरदार को निभाने वाले अभिनेता या अभिनेत्रियों को आदर्श मानते हैं वह भी उनकी तरह वास्तविक जिंदगी में नशीली सामग्रियों का सेवन करेंगे। 

चंद पैसों के लिए तथाकथित मनोरंजन करने वाले ऐसे लोगों को ऐसी सामग्रियों का खुला प्रचार बंद करना चाहिए।

धर्म विशेष का आपत्तिजनक प्रदर्शन

यह एक ट्रेंड बन गया है कि फिल्म इंडस्ट्री में किसी समुदाय अथवा धर्म विशेष के ऊपर आपत्तिजनक दृश्य या वाक्य को प्रदर्शित करके प्रसिद्धि बटोरी जा रही है, भले ही वह नकारात्मक ही क्यों न हो। सिनेमा जगत को ऐसे संवेदनशील मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और अपने सीमा में रहते हुए अपना कार्य करना चाहिए।

किस प्रकार के सिनेमा बनाए जाने चाहिए? What Kind of Cinema Should be Made?

  • ऐसी फिल्में जो शिक्षा को बढ़ावा दे
  • महिलाओं के अधिकारों के संबंध में जागरूकता फैलाएं
  • सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बात करे
  • पुरानी रूढ़िवादी प्रथाओं के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाए
  • भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे
  • नशीली सामग्रियों के खिलाफ उदाहरण पेश करे

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध (Essay on impact of cinema on life in Hindi) को पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

1 thought on “सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध Essay on Impact of Cinema in Life Hindi”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.