पर्यावरणीय प्रदूषण पर भाषण Speech on Environmental Pollution in Hindi
आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज मैं आप सभी के साथ पर्यावरणीय प्रदूषण पर अपने विचार साझा करना चाहता हूं।
पर्यावरणीय प्रदूषण पर भाषण Speech on Environmental Pollution in Hindi
आप सभी ने टीवी पर, अखबारों में या फिर अन्य स्रोतों से यह तो सुना ही होगा कि पर्यावरण बहुत अधिक बढ़ गया है और इसके परिणाम बहुत भयावह है। सबसे पहले तो यह सवाल की प्रदूषण होता क्या है?
प्रदूषण हमारे द्वारा फैलाई गई किसी भी तरह की गन्दगी का परिणाम होता है। प्रदूषण का अर्थ होता है आसपास के कारकों का अशुद्ध हो जाना एवं एक जहरीले पदार्थो के रूप में परिवर्तित हो जाना।
उदाहरणतः हम यह देख सकते हैं कि पीने वाला पानी यदि प्रदूषित हो तो हमारे शरीर के लिए वह कितना ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। उसी प्रकार अन्य सभी तरह के प्रदूषण भी मानव जीवन के लिए काफी ज्यादा हानिकारक होते हैं। जल प्रदूषित हो तो जल प्रदूषण, उसी तरह अन्य प्रदूषण जैसे, थल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और पर्यावरण प्रदूषण। अलग अलग तरह के प्रदूषण होने के अलग अलग कारण होते हैं।
जल प्रदूषण, जल के प्रदूषित होने के कारण होता है। वायु प्रदूषण, वायु मे वो विभिन्न तरह के अशुद्ध रासायनिक समीकरण मिश्रित होने के कारण होता है उसी तरह अन्य प्रदूषण जैसे कि थल प्रदूषण, थल के अशुद्ध होने के कारण होता हैं। प्रदूषण का आखिरी प्रकार पर्यावरणीय प्रदूषण है। पर्यावरण सभी कारकों से मिलकर बना है।
जल थल वायु ये सभी चीजें पर्यावरण में शामिल हैं। इसलिए इनमें से किसी भी तत्व के प्रदूषित होने के कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। यूँ तो किसी भी प्रकार का प्रदूषण मानव जीवन के लिए हानिकारक है लेकिन यदि पर्यावरणीय प्रदूषण की बात करें तो वह किसी भी अन्य प्रकार के प्रदूषण से ज्यादा अधिक हानिकारक है।
आदरणीय श्रोताओं आपने यह देखा होगा कि बीते दिनों में पृथ्वी का तापमान असमान रूप से बढ़ा है और वायु की अशुद्धता बढ़ती जा रही है। पर्यावरण के प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कई तरह के जीवों की स्पिसीज की तादात कम हुई है।
कई तरह के जीव जंतु विलुप्ति की कगार पर आ चुके हैं। यह काफी ज्यादा चिंतनीय और भयावह है। इस तरह के परिणामों को और ज्यादा नजदीक से जानने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को पलटना होगा और पलटकर देखना होगा कि आखिरी बार ऐसा कुछ हुआ था तब क्या हुआ था।
डायनासोर, यह नाम आपने सुना होगा। बचपन के दौरान कॉमिक्स में और युवावस्था के दौरान किताबों में। डायनासोर विलुप्त हो गए उसका प्रमुख कारण था, पृथ्वी का तापमान असमान रूप से बढ़ना और पर्यावरण का उनके प्रति अनुकूल न होना।
पर्यावरण की अनुकूलता को इस प्रकार देखा जा सकता है कि आप एक निश्चित तापमान पर सामान्य महसूस करते हैं, लेकिन जैसे ही वह तापमान कम या ज्यादा होता है, मानव असामान्य महसूस करने लगता है।
जैसे यदि हम सर्दियों की बात करें तो उस समय तापमान सामान्य से कम होता है और अगर हम गर्मियों की बात करें तो वहां पर भी तापमान सामान्य से ज्यादा होता है। ऐसे में तापमान के ज्यादा या कम होने के कारण हम किसी तरह की युक्ति के द्वारा तापमान को सामान्य करते हैं, जैसे कि सर्दियों के दौरान स्वेटर पहनकर या गर्मियों के दौरान वायु प्रदान करने वाले यंत्रों का प्रयोग करके।
वैसे ही यदि तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ या घट जाए तो मानवों की मृत्यु भी संभव है, और यही प्रक्रिया डायनासोर की प्रजाति के साथ भी क्रियान्वित की गई थी। दरअसल मानव जीवन के लिए पर्यावरण का उनके आवास के रूप में अनुकूल होना बहुत ज्यादा जरूरी है। यदि पर्यावरण मानवों के लिए अनुकूल नहीं हुआ तो मानव प्रजाति और अन्य सभी जीव जंतु विलुप्ति की कगार पर आ जाएंगे, यह काफी ज्यादा भयावह है।
आदरणीय श्रोताओं यह सभी पर्यावरणीय प्रदूषण के दुष्परिणाम थे, लेकिन मैं आपको केवल दुष्परिणामों से ही अवगत नहीं कराउंगा। मैं आपको पर्यावरणीय प्रदूषण के कारणों से भी अवगत कराउँगा।
किसी भी तत्व के कारण जानना बहुत ज्यादा जरूर है, ऐसा इसलिए क्यूंकि यदि हम समस्या की जड़ को जानेंगे तभी हम समस्या का समाधान खोज पाएंगे। आदरणीय श्रोताओं पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रमुख कारण वायु का प्रदूषित होना है।
यह आप सभी जानते हैं कि पर्यावरण में मौजूद हर तरह के घटक जैसे कि मानव, वृक्ष, जीव जंतु और अन्य घटक। उन सभी के जीवन का आधार वायु है। पर्यावरण में वायु की आवश्यकता और मौजूदगी के कारण वायु प्रदूषण ही पर्यावरणीय प्रदूषण का प्रमुख कारण है। वायु प्रदूषण के कारण तमाम तरह के जैविक प्राणी प्रभावित होते हैं।
वायु में मौजूद विभिन्न गैसों के कारण वायु काफी ज्यादा जहरीली हो चुकी है और यह जीवन के आधार के साथ साथ जीवन के नाशक और अंतक के रूप में भी बढ़ रही है। यह देखा जा सकता है कि किस तरह अस्पतालों में लोग दम घुटने के कारण मर जाते हैं और वे मरीजों को लगाए जाने वाले ऑक्सिजन सिलेंडर तो आपने देखे ही होंगे। यह काफी भयावह है कि वायु जो कि जीवन का मूल है उसे भी हमें खरीद कर प्रयोग करना पड़ रहा है।
पर्यावरण का दूसरा एवं प्रमुख कारण है वनोन्मूलन। बीते दशकों में यह देखा गया है कि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जाती है और उनके स्थान पर वृक्षारोपण भी बिल्कुल नहीं किया जाता। वृक्ष पर्यावरण का एक अभिन्न हिस्सा है एवं वे पर्यावरण में मौजूद अन्य सभी घटकों के जीवन का आधार भी हैं।
खाद्य शृंखला की शुरुआत करने वाले वृक्षों को यदि पृथ्वी से हटाया जाएगा तो पर्यावरण का प्रभावित होना जायज है। दरअसल वृक्षों के कारण पर्यावरण का एक बहुत बड़े हिस्से को बचाया भी जा सकता है।
जैसा कि आप सभी को मैं बता चुका हूं कि पर्यावरणीय प्रदूषण का प्रमुख कारण वायु का प्रदूषित होना है, लेकिन आप सब शायद ही यह जानते हो कि वृक्षों में एक ऐसा तंत्र होता है जो कि वायु को साफ कर देता है और उसमें ऑक्सिजन को बढा देता है। यदि वृक्षों को न काटा जाए अथवा वृक्षारोपण ज्यादा से ज्यादा किया जाए तो दोनों प्रकार की समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।
पर्यावरण प्रदूषण का तीसरा कारण है जल प्रदूषण। जल के प्रदूषित होने के कारण पर्यावरण के कई हिस्सों को क्षति पहुंचती है। पेड़ों का महत्व आप जानते हैं और पेड़ों के लिए जल का महत्व भी आपको पता ही है, इस कारण जहां पेड़ पर्यावरण को बचाने में सक्षम हैं वहीं साफ जल पेड़ों को बचाने में सक्षम है।
पर्यावरण प्रदूषण का चौथा कारण है प्रदूषित धरा। पर्यावरण धरा पर उपस्थित है चाहे वो पर्यावरण का कोई भी हिस्सा क्यूं न हो वो सब धरा पर उपस्थित है। धरा के प्रदूषित होने से पेड़ों के विकास एवं आरोपण में समस्या होगी और यह समस्या सम्पूर्ण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी।
आदरणीय श्रोताओं मैं आप सभी को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में बता चुका हूं। दुष्परिणाम और कारण जानने के पश्चात यह जानना बहुत जरूरी है कि हम किस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं।
चूंकि पर्यावरण में हर तरह के तत्व मौजूद हैं उसी प्रकार किसी भी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देना पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाएगा। व्यक्तिगत तौर पर प्राकृतिक संसाधनों का बचाव करके एवं उन्हे कम से कम प्रदूषित करके हम यह कदम उठा सकते हैं।
सामूहिक तौर पर बड़े स्तर पर वृक्षारोपण करके यह किया जा सकता है। पर्यावरण हमारा घर है और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है। यदि हम पर्यावरण को नहीं बचा पाए तो हमारा खुद का आस्तिव भी नहीं बच पाएगा। आशा करता हूँ आप सभी मेरे कथन से प्रेरित हुए होंगे और इस दिशा में कुछ न कुछ जरूर करेंगे। मुझे सुनने के लिए धन्यवाद। – जय हिंद